Delhi MCD Merger: एनडीएमसी की तर्ज पर हो सकती है दिल्ली MCD की व्यवस्था, हर साल बचेंगे 150 करोड़ रुपये
Delhi MCD Merger वर्तमान तीनों नगर निगमों का कार्यकाल 18 मई तक है। इससे कुछ दिन पूर्व एक आयुक्त और विशेष अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है। इसके साथ ही ...और पढ़ें

नई दिल्ली [निहाल सिंह]। गृह मंत्रालय के आदेश के बाद तीनों नगर निगम (उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी) इस महीने कभी भी एकीकृत दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का रूप ले सकते है। संसद से पहले ही इससे संबंधित कानून पारित हो चुका है। उस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि अब केवल गृह मंत्रालय के आदेश का इंतजार है। इससे पहले निगम में प्रशानिक व्यवस्था के पुनर्गठन की कवायद चल रही है।
माना जा रहा है कि नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) की तर्ज पर एमसीडी में भी एक-एक विभाग के दो निदेशक या विभागाध्यक्ष हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक इसका खाका तैयार है। सिर्फ एकीकृत निगम के आयुक्त और विशेषाधिकारी की नियुक्ति का इंतजार है।
दरअसल, तीन निगम बनने के बाद करीब 27 विभागों के तीनों निगम में अलग-अलग निदेशक बनाए गए थे। कुल 81 से अधिक निदेशक थे। अब एक निगम होने की स्थिति में वरिष्ठता सूची के आधार पर सबसे वरिष्ठ अधिकारी को यह जिम्मेदारी मिलनी चाहिए।
वर्तमान में निगम के अधिकारी मान रहे हैं कि करीब 10 साल पहले एक निगम था और आज के एक निगम में काफी अंतर है। दिल्ली में जनसंख्या बड़ी तेजी से बढ़ी है। ऐसे में एक निदेशक पूरी दिल्ली को देख लें यह थोड़ा कठिन होगा।
वरिष्ठ अधिकारी इससे निगम की सेवाओं के प्रभावित होने की भी आशंका जता रहे हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एक व्यक्ति पूरी दिल्ली देख ले और सभी वाडरें में काम की निगरानी करे, यह कठिन है। इसलिए एक विभाग के दो निदेशक या विभागाध्यक्ष बनाने की योजना है, हालांकि यह सब एकीकृत निगम के आयुक्त और विशेषधिकारी के विवेक पर निर्भर है कि वह इस प्रस्ताव को मानेंगे या नहीं।
जोन के आधार पर दी जा सकती है जिम्मेदारी
अगर एक विभाग के दो निदेशक बनते हैं तो एनडीएमसी की तर्ज पर क्षेत्र के आधार पर अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा सकती है। दिल्ली के तीनों नगर निगम में 12 जोन हैं। एक निगम होने के बाद भी यह 12 ही रहेंगे। ऐसे में दो अधिकारियों को छह-छह जोन के आधार पर जिम्मेदारी दी सकती है, जो निदेशक जिन क्षेत्र का होगा उसे क्षेत्र के सभी फैसले लेने का पूरा अधिकार होगा। हालांकि नीतियों में एकरूपता होनी चाहिए।
फंड में बचत करने में आएगी दिक्कत
तीनों नगर निगम को एक करने में माना जा रहा है कि 150 करोड़ रुपये सालाना की बचत होगी। यह बचत तीन-तीन अधिकारियों में दो के दफ्तर बंद करने के साथ ही एक महापौर और एक निगमायुक्त की नियुक्ति से हो सकेगी। हालांकि जब दो निदेशक बनेंगे तो इससे जो बचत होने की उम्मीद जताई गई है, वह नहीं होगी। क्योंकि जब दो निदेशक बनेंगे तो इनके दो दफ्तर होंगे। इसके आगे सभी को दो-दो की संख्या में स्टाफ भी देना पड़ेगा।

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