यूपी चुनावः SP को पंसद राहुल-अखिलेश का संग, मुलायम-शिवपाल से काटी कन्नी!
मुख्यमंत्री और सपा के नए सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव को कार्यकर्ता प्रचार के लिए बुलाना चाहते हैं, लेकिन मुलायम और शिवपाल 'पसंद' नहीं हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी में सत्ता परिवर्तन के बाद शिवपाल यादव के साथ मुलायम सिंह यादव के भी हालात ठीक नहीं हैं। आलम यह है कि कार्यकर्ता भी शिवपाल और मुलायम से परहेज करने लगे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2017 के पहले चरण के लिए वोटिंग में पखवाड़े भर से कम समय बचा है। ऐसे में यूपी के मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के साथ उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव को कार्यकर्ता प्रचार के लिए बुलाना चाहते हैं, लेकिन मुलायम और शिवपाल 'पसंद' नहीं हैं।
यूपी में आने वाले एनसीआर के जिलों गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में मुलायम और शिवपाल को नहीं बुलाना चाहते हैं। वहीं, कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की भी यहीं मंशा है। वह भी चाह रहे हैं कि अखिलेश यादव प्रचार के लिए जरूर आएं, साथ ही कांग्रेसी यह भी चाहते हैं कि डिंपल और प्रियंका की जोड़ी एकसाथ प्रचार करे तो माहौल बदल जाएगा।
यही कारण है कि मुलायम-शिवपाल का नाम गाजियाबादी कांग्रेसियों ने स्टार प्रचारकों की सूची से काट दिया है। इस सूची में समाजवादी पार्टी से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व डिंपल यादव का नाम जोड़ा गया है, जबकि दोनों बड़े नेताओं का नाम नदारद है। यही नहीं कांग्रेस ने अखिलेश खेमे के प्रो. राम गोपाल का नाम भी नहीं रखा है। कांग्रेस द्वारा भेजी गई स्टार प्रचारकों की सूची से सपा-कांग्रेस गठबंधन में गाजिबाबाद में विवाद पैदा हो सकता है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अजय वर्मा ने बताया कि कांग्रेस से सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी व राहुल गांधी के अलावा प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर के प्रचार करने की मांग की गई है।
इसके अलावा सहयोगी पार्टी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व उनकी पत्नी सांसद डिंपल यादव के अलावा पार्टी के फायरब्रांड माने जाने वाले नेता मोहम्मद आजम खां, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम व मुलायम के पूर्व खासमखास व वर्तमान में अखिलेश के करीबी नरेश अग्रवाल के आने की मांग की गई है।
प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि कार्यक्रम के लिए फैक्स भेजकर 31 से नौ फरवरी के बीच का कार्यक्रम मांगा गया है, जब भी सुविधानुसार समय मिल जाएगा, रैली का आयोजन करा लिया जाएगा। वैसे सूत्रों का कहना है कि जिले के सभी प्रत्याशी अखिलेश यादव व राहुल गांधी और डिंपल यादव व प्रियंका गांधी को एक साथ देखना चाहते हैं।
कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे भीड़ भी जुटेगी और प्रत्याशियों को लाभ भी मिलेगा। वहीं लोनी से सपा प्रत्याशी व पूर्व जिलाध्यक्ष राशिद मलिक की पसंद भी अखिलेश व ङ्क्षडपल के साथ मोहम्मद आजम खां व राहुल प्रियंका हैं।
मोदीनगर में भाजपा से चुनाव लड़ रही डा. मंजू शिवाच अभिनेत्री एवं सांसद हेमा मालिनी और स्वामी प्रसाद मौर्य से समय लेने के लिए संपर्क साध रही हैं। वहीं, रालोद प्रत्याशी सुदेश शर्मा भी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत ङ्क्षसह और उनकी पुत्रवधू चारू से जनसभा के लिए समय मांग रहे है।
बसपा सुप्रीमो मायावती की सात फरवरी को गाजियाबाद में जनसभा होनी है। मोदीनगर में माहौल बनाने के लिए भारी संख्या में क्षेत्र के समर्थकों को बसपा प्रत्याशी वहाब चौधरी गाजियाबाद ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा वह क्षेत्र में नसीमुददीन सिद्दीकी की जनसभा कराने के भी प्रयास में हैं। सपा प्रत्याशी रामआसरे शर्मा ने भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेसी नेता राजबब्बर से जनसभा के लिए अर्जी लगाई है।
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वहीं, दोनों जिले से जुड़े एक सपा नेता का कहना है कि यूपी में मुलायम के बयान समाजवादी पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस तरह के बयान से कार्यकर्ता नाराज हैं। यूं भी कार्यकर्ताओं की पहली और आखिरी पसंद अखिलेश यादव हैं, ऐसे में मुलायम सिंह को बुलाने पर कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं है।
गौरतलब है कि इसके उलट अखिलेश यादव और राहुल गांधी की चुनावी जुगलबंदी को यह कहकर भुनाया जा रहा है कि "यूपी को यह साथ पसंद है", पर अखिलेश के पिता और समाजवादी पार्टी की नींव रखने वाले मुलायम सिंह यादव को यह साथ रास नहीं आ रहा।
सपा के संरक्षक मुलायम सिंह ने कह दिया है कि वे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच हुए गठबंधन के खिलाफ हैं।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे इस गठबंधन के लिए प्रचार भी नहीं करेंगे। अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मुलायम ने कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के भविष्य को ख़राब किया है।मुलायम यहीं नहीं रुके उन्होंने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कई सालों तक देश पर राज किया है और इसी की वजह से देश पिछड़ा हुआ है।
जानें मुलायम की अखिलेश से नाराजगी की वजह
-मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव से लंबे समय से नाराज हैं।
-अखिलेश ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया। वह कह रहे थे कि उन्हें अध्यक्ष बने रहने दिया जाए. दूसरा, वह चुनाव आयोग में साइकिल चुनाव चिह्न की लड़ाई अपने ही बेटे से हार गए। यह टीस भी कहीं न कहीं उनके मन में है
- मुलायम हमेशा कांग्रेस के खिलाफ लड़े हैं। वह हमेशा गैर-कांगेसी मोर्चों का हिस्सा रहे। उनकी पूरी सियासी परवरिश गैर-कांग्रेसवाद के नाम पर हुई है।
-मुलायम का मानना है कि यूपी में वह कांग्रेस को कमजोर करके यहां तक पहुंचे हैं। एक समय कांग्रेस का वोटबैंक रहे (मुस्लिम और पिछड़ावर्ग) ने उन्हें सत्ता तक पहुंचाया।
-हाल ही में जब वह दिल्ली गए थे तो एक पत्रकार से उन्होंने कहा था कि अखिलेश बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और वह पार्टी के लिए प्रचार करेंगे, लेकिन दिल्ली से आने के बाद प्रचार न करने का बयान दिया।
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