Delhi Tourism Spots: दिल्ली में सफदरजंग का मकबरा बना पर्यटकों की पसंद, शाम के समय सुंदरता होती है मनभावन
Delhi Tourism Spots राष्ट्रीय स्मारक सफदरजंग का मकबरा भी पर्यटकों की पसंद में शामिल हो गया है। यही कारण है कि यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। यहां की खासियत इस मकबरे के मंडप हैं जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। यूं तो राजधानी दिल्ली में बहुत कुछ देखने के लिए है, मगर अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के अंतर्गत राष्ट्रीय स्मारक सफदरजंग का मकबरा भी पर्यटकों की पसंद में शामिल हो गया है। यही कारण है कि यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। यहां की खासियत इस मकबरे के मंडप हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इनमें तीन प्रमुख हैं। एक जंगल महल (पैलेस ऑफ वुड्स) है दूसरा मोती महल (पर्ल पैलेस) और तीसरा बादशाह पसंद (किंग्स फेवरिट) है। रात 10 बजे तक खुले रहने वाले इस स्मारक में पिछले कुछ सालों में बहुत बदलाव आया है।
संरक्षण का काफी काम हुआ है और बहुत कुछ होने जा रहा है। शाम के समय जब यह स्मारक रोशनी में नहा जाता है तो इसकी छवि मनभावन हो जाती है।
इस स्मारक में ये हुए हैं कार्य
मुख्य गुंबद में मुगलकालीन वाटर चैनल को टीक किया गया है। अब इसे उसी तरह से प्रयोग में लाया जा रहा है जिस तरह मुगलकाल में इसका उपयोग होता था। इससे यह फायदा होगा कि अब बारिश का पानी गुंबद के स्ट्रक्चर में नहीं जाएगा। मुख्य गुंबद के भूतल पर बनीं अनेक आर्च को ठीक किया जा रहा है।
इन आर्च में उस समय की नक्काशी गायब हो रही थी, कई जगह टूट फूट भी हो गई थी उसे फिर से बनाया जा रहा है। मकबरे के सामने वाले भाग में बंद पड़ा फव्वारा फिर से चालू किया गया है। स्मारक में हरियाली विकसित की गई है। मुख्य द्वार के पास बाहर के क्षेत्र में नई पार्किंग द्वार के कुछ दूरी पर बनाई गई है। मुख्य द्वार के बाहर सुंदरीकरण करने के साथ ही स्मारक की चारदीवारी ठीक की गई है।
मुगल काल से जुड़ा है मकबरा
सफदरजंग मुगल बादशाह मुहम्मद शाह का प्रधानमंत्री था। सफदरजंग का जन्म 1708 में ईरान के निशापुर में हुआ था। उसकी मृत्यु 1754 में सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) में हुई। उसका पूरा नाम अब्दुल मंसूर मुकीम अली खान मिर्जा मुहम्मद सफदरजंग था। वह अपने जीवन काल में कश्मीर, आगरा, अवध आदि प्रांतों का सुबेदार रहा। बाद में वह मुगलिया सल्तनत के अधीन पूरे देश का प्रधानमंत्री बना। यह मकबरा उसकी स्मृति में उसके बेटे अवध के नवाब शुजाउद्दौला खां ने 1754 में बनवाया था। इसमें सफदरजंग और उसकी बेगम की कब्र बनी हुई है।
यह भी जानें
- पर्यटकों की पसंद बनता जा रहा है राष्ट्रीय स्मारक सफदरजंग का मकबरा
- शाम के समय रोशनी से नहाये मकबरे की सुंदरता होती है मनभावन
- एक माह में शुरू होगा स्मारक के मुख्य द्वार में संरक्षण कार्य
- तीन अलग अलग नामों से जाने जाते हैं मकबरे के मंडप
स्मारक से जुड़े मुख्य तथ्य
- सफदरजंग का जन्म 1708 में ईरान के निशापुर में और मृत्यु 1754 में सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) में हुई थी
- अब्दुल मंसूर मुकीम अली खान मिर्जा मुहम्मद सफदरजंग था
- कश्मीर, आगरा, अवध आदि प्रांतों का रहा सुबेदार
- ’ बाद में मुगलिया सल्तनत के अधीन पूरे देश का बना प्रधानमंत्री
- मुगल बादशाह मुहम्मद शाह के प्रधानमंत्री सफदरजंग के नाम पर है मकबरे का नाम
- 1754 में अवध के नवाब शुजाउद्दौला खां ने बनवाया था मकबरा
- मकबरे में सफदरजंग और उसकी बेगम की बनी है कब्र
एक माह के अंदर मुख्य गुंबद में होगा संरक्षण कार्य
स्मारक में तीन अन्य बंद पड़े फव्वारों को चालू किए जाने की योजना है। कोरोना के कारण लेट हो चुका मुख्य गुंबद व स्मारक के मुख्य द्वार में संरक्षण कार्य एक माह में शुरू होगा। इसके तहत इनमें खराब हो चुके या टूट चुके पत्थरों को बदला जाएगा। मुख्य गुंबद की पहली मंजिल पर जालीदार पत्थरों को भी बदला जाएगा।
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