मोटिवेटर ऐंड लाइफ कोच ने बताया नए साल में कैसे सुखमय बनाएं जीवन, दी ये खास सलाह
मुस्कुराहट हमारी जिंदगी से कम होती जा रही है। अगर हम सबके साथ अच्छे से रहें तो सभी लोग अच्छे से रहेंगे। हमारे सुखी जीवन के लिए मधुर और मजबूत संबंधों का होना बिल्डिंग की बुनियाद की तरह है लेकिन हम इसकी परवाह नहीं करते।

नई दिल्ली [डा. अनिल सेठी]। जीवन बहुत से संबंधों से भरा है। इन संबंधों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। फिर वह चाहे पर्सनल रिलेशन/पारिवारिक रिलेशन हो या सामाजिक रिलेशन हो या फिर प्रोफेशनल रिलेशन। वैसे भी, सुखी जीवन के लिए मधुर और मजबूत संबंधों का होना इमारत की बुनियाद की तरह है, लेकिन अक्सर हम इसकी परवाह नहीं करते। आइये, नये साल को सुखमय बनाने के लिए हम उन संबंधों पर विचार करते हैं, जो हमारे जीवन को खुशियों से भरने में सक्षम हैं।
यहां संबंधों के महत्व को एक उदाहरण के जरिये समझते हैं। बात लगभग 30 साल पुरानी है। मैं एक मल्टीनेशनल एफएमसीजी कंपनी में कार्यरत था। मेरी पोस्टिंग मुंबई में थी और मुझे बहुत यात्रा करनी पड़ती थी। इस दौरान मुझे बहुत बार नागपुर जाने का अवसर मिला, जो कि संतरों के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा, हमारे देश का सेंटर प्वाइंट भी नागपुर में है। नागपुर में मुझे एक होटल में बहुत बार रुकने का अवसर मिला। उस होटल में मैंने एक ऐसी प्रथा देखी जो एकदम निराली थी और जो कहीं और नहीं देखी। वहां सुबह कमरे में जब न्यूजपेपर आता था, तो उसके फ्रंट पेज पर ऊपर आपका नाम लिखा होता था। साथ में नीचे एक स्टांप लगी होती थी ‘गुड मार्निंग ऐंड हैव ए नाइस डे!’ अब आप सोचिये, उस जमाने में जब इंटरनेट नहीं था। टीवी चैनल भी कम थे।
समाचारों का माध्यम समाचार पत्र ही होता था। ऐसे में सुबह-सुबह आप पेपर उठाएं और आपको अपना नाम व शुभकामनाएं मिलें तो अनायास ही चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ जाती है और आप अच्छा महसूस करते हैं। अब आप देखें कि यह छोटी-सी बात है, लेकिन मुझे आज भी याद है। क्योंकि यह सबसे हटकर है और आपको बेहतर महसूस कराने वाली बात है।
कम बोलें, ज्यादा सुनें
मेरे एक अंकल थे, उनसे कभी-कभी मिलना होता था। लेकिन उनकी एक बात जो अलग से महसूस होती थी कि वह हमेश मुस्कुराकर मिलते थे और हमेशा हम बच्चों की बात सुनने को तैयार रहते थे। अगर वह व्यस्त होते तो वह कुछ समय बाद मिलने को कहते थे और हमेशा मिलते थे। हम सभी बच्चे उनसे हमेशा मिलना चाहते थे। लेकिन आज की व्यस्त जिंदगी की भागदौड़ में हम सभी जीवन के इस पहलू को भूलते जा रहे हैं। भगवान ने हमें दो कान और एक मुंह दिया है ताकि हम बोलें कम और सुनें ज्यादा, लेकिन हम कर रहे हैं इसका उल्टा।
मुस्कुराना न भूलें
मुस्कुराहट हमारी जिंदगी से कम होती जा रही है। अगर हम सबके साथ अच्छे से रहें, तो सभी लोग अच्छे से रहेंगे। हमारे सुखी जीवन के लिए मधुर और मजबूत संबंधों का होना बिल्डिंग की बुनियाद की तरह है, लेकिन हम इसकी परवाह नहीं करते। कई बार किसी परिवार के सदस्य या बास के साथ अपने संबंध को सुधारने का प्रयास नहीं करते और तनाव में जीते हैं। इसलिए हमको नये रिश्तों की शुरुआत में थोड़ा सतर्क रहने की आवश्यकता है। यह सतर्कता ही हमारे जीवन को खुशियों से भर सकती है।
(लेखक मोटिवेटर ऐंड लाइफ कोच हैं।)
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