Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण की वजह आई सामने, पराली नहीं है जिम्मेदार; रिपोर्ट में खुलासा

    By Rajesh KumarEdited By: Rajesh Kumar
    Updated: Tue, 04 Feb 2025 05:33 PM (IST)

    दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह पता चल गई है। पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने की बात का दाग कुछ हद तक मिट गया है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि स्थानीय कारणों से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा है। अध्ययन के लिए पंजाब हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में 30 सेंसर लगाए गए थे। अब हर पल की जानकारी सेंसर के द्वारा लिया जा रहा है।

    Hero Image
    दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का पता चल गया।

    पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह अब साफ हो गई है। एक अध्ययन से पता चला है कि अक्टूबर-नवंबर के दौरान दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण काफी हद तक स्थानीय कारकों के कारण है और पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से 2022 में कुल पीएम 2.5 के स्तर में 14 प्रतिशत का योगदान होगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'आकाश परियोजना' के तहत जापान के मानवता एवं प्रकृति अनुसंधान संस्थान के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता में परिवर्तन 'ग्रेप' प्रदूषण रोधी उपायों के बढ़ाए जाने या घटाए जाने से संबंधित हो सकता है।

    हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में लगाए सेंसर

    'एनपीजे क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस' पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में 2022 और 2023 के सितंबर-नवंबर महीनों के दौरान दर्ज किए गए सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम 2.5) के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन के लिए पंजाब, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में 30 सेंसर लगाए गए।

    पराली जलाना किसानों के लिए आम बात

    धान की कटाई के बाद भूमि को साफ करने के लिए पराली जलाना एक किसानों के लिए सामान्य प्रक्रिया है, जिसे अक्सर अक्टूबर-नवंबर के महीनों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पीएम 2.5 के स्तर में तेज और निरंतर वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है।

    हालांकि, विश्लेषण से पता चला कि पंजाब में पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन ने "अक्टूबर-नवंबर 2022 के दौरान दिल्ली-एनसीआर में कुल पीएम 2.5 में केवल मामूली (लगभग) 14 प्रतिशत का योगदान दिया।"

    पराली जलाने की घटनाओं में 50 फिसदी कमी

    लेखकों ने कहा कि इसके अलावा, दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर स्थिर रहा, जबकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं (जैसा कि उपग्रहों द्वारा दर्ज किया गया) में 2015-2023 के दौरान कम से कम 50 प्रतिशत की कमी आई।

    लेखकों ने लिखा, "इससे संकेत मिलता है कि दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 द्रव्यमान और पंजाब में (फसल अवशेष जलाने) के बीच बहुत कम संबंध है, जो क्षेत्र में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) को दर्शाता है।"

    ग्रेप-4 सबसे कठोर

    ग्रेप वायु गुणवत्ता स्तरों के जवाब में चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाने वाले प्रदूषण विरोधी उपायों के समूह को संदर्भित करता है। ग्रेप-4 सबसे कठोर है, जिसे तब लगाया जाता है जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 को पार कर जाता है और 'गंभीर प्लस' श्रेणी में पहुंच जाता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम 2.5 का स्तर ग्रेप चरणों के बढ़ने या घटने के अनुरूप बदलता रहा।

    पीएम 2.5 के स्तर में कमी

    उन्होंने लिखा,"दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 के स्तर में कमी मुख्य रूप से ग्रेप IV के कारण हुई, जब अन्य स्रोतों के अलावा सड़क यातायात और निर्माण गतिविधियों से होने वाले प्रमुख पीएम 2.5 उत्सर्जन में कमी आई। हालांकि, 2022 और 2023 के लिए ग्रेप IV को रद्द के बाद पीएम 2.5 लोड में वृद्धि दर्ज की गई।"

    लेखक प्रबीर पात्रा जो आकाश परियोजना के लीडर और जापान एजेंसी फॉर मरीन-अर्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रमुख वैज्ञानिक हैं। उन्होंने कहा,"पंजाब, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर को कवर करने वाले लगभग 30 साइटों के नेटवर्क पर माप के साथ, हम दिल्ली के पीएम 2.5 भिन्नताओं में धान की पराली जलाने के योगदान को पीएम 2.5 की विशेष घटनाओं और सप्ताह-मासिक औसत के आधार पर अलग करने में सक्षम हैं।"

    यह भी पढ़ें: दिल्ली चुनाव को लेकर संदीप दीक्षित का बड़ा दावा, केजरीवाल को लेकर ये क्या बोल गए कांग्रेस नेता