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    चौंकिए मत! सच में मतदाताओं से अधिक पड़े थे वोट... पढ़ें दिल्ली चुनाव के इतिहास का दिलचस्प किस्सा

    Updated: Mon, 30 Dec 2024 09:45 AM (IST)

    दिल्ली में 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव को लेकर एक हैरान करने बात है। इस चुनाव में मतदाताओं से ज्यादा वोट पड़े थे। बताया गया कि पहले चुनाव में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली थी और चौ. ब्रह्म प्रकाश राजधानी दिल्ली के पहले सीएम बने थे। आइए आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि आखिर दिल्ली के पहले चुनाव का इतिहास क्या है।

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    दिल्ली के पहले विधानसभा चुनाव में मतदाताओं से अधिक वोट पड़े थे। फाइल फोटो

    रणविजय सिंह, नई दिल्ली। एक विधानसभा चुनाव ऐसा भी था, जब पांच क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या की तुलना में मतदान अधिक हुआ था। यह बात हैरान करने वाली जरूर है, लेकिन यह सब कुछ नियम के मुताबिक हुआ था।

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    1952 में हुआ था दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव  

    हम बात कर रहे हैं पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव की। पार्ट सी एक्ट 1951 के तहत वर्ष 1952 में पहली बार दिल्ली विधानसभा अस्तित्व में आई और आजादी के बाद 27 मार्च 1952 को पहली बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव हुआ। 

    छह विधानसभा क्षेत्रों से दो-दो सदस्य निर्वाचित किए जाने थे  

    तब दिल्ली में 42 विधानसभा सीटें थीं, इनमें छह विधानसभा क्षेत्रों से दो-दो सदस्य निर्वाचित किए जाने थे। जिसमें रीडिंग रोड, सीताराम बाजार तुर्कमान गेट, पहाड़ी धीरज बस्ती जुल्लाहन, रेहगर पूरा देव नगर, नरेला व महरौली विधानसभा क्षेत्र शामिल थे। यहां से राजनीतिक दलों को दो प्रत्याशी उतारने व मतदाताओं को भी दो वोट डालने का अधिकार था। इसलिए मतदाताओं की वास्तविक संख्या की तुलना में मतदान देने के पात्र मतदाताओं की संख्या अधिक थी। 

    चौ. ब्रह्म प्रकाश बने थे दिल्ली के पहले सीएम 

    तब चुनाव में रीडिंग रोड विधानसभा क्षेत्र को छोड़कर अन्य पांच क्षेत्रों सीताराम बाजार तुर्कमान गेट, पहाड़ी धीरज बस्ती जुल्लाहन, रेहगर पूरा देव नगर, नरेला व महरौली में मतदाताओं की वास्तविक संख्या की तुलना में मतदान अधिक हुआ था। कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला और चौ. ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के पहले सीएम बने थे। तब प्रशासनिक बागडोर मुख्य आयुक्त के हाथ में होती थी। 

    विधानसभा को कानून बनाने का भी था अधिकार

    मंत्री परिषद की भूमिका मुख्य आयुक्त के सलाहकार की थी। विस सदस्यों की भूमिका जनता के प्रतिनिधि की थी और विधानसभा को कानून बनाने का भी अधिकार था। चार वर्ष सात माह बाद वर्ष 1956 में दिल्ली को पार्ट सी राज्यों की सूची से हटाकर केंद्र शासित घोषित किए जाने से विधानसभा भंग हो गई। वर्ष 1991 में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सरकार अधिनियम लागू होने के बाद वर्ष 1993 में विधानसभा दोबारा अस्तित्व में आई, लेकिन पहले विस चुनाव की तरह दिल्ली के किसी विस क्षेत्र से दो प्रतिनिधि चुनने का अब प्रविधान नहीं रहा।

    इन छह क्षेत्रों में तब मतदाताओं की संख्या व मतदान के आंकड़े

    रीडिंग रोड: अमीन चंद

    बीजीएस, प्रफुल्ल रंजन 

    चक्रवर्ती- कांग्रेस 

    सीताराम बाजार तुर्कमान गेट 

    शिव चरण दास- कांग्रेस, 

    सुदर्शन सिंह- कांग्रेस 

    पहाड़ी धीरज बस्ती जुल्लाहन

    हेम चंद जैन- कांग्रेस, 

    धनपत राय- कांग्रेस 

    रेहगर पूरा देव नगर

    सुशीला नायर- कांग्रेस, 

    दया राम- कांग्रेस 

    नरेला

    प्रभु दयाल- कांग्रेस, 

    मांगे राम-कांग्रेस 

    महरौली

    मित्तर सेन- कांग्रेस

    सुख देव- कांग्रेस

    वर्ष 1952 के विस चुनाव में दलों को मिली सीटें

    कांग्रेस  39
    भारतीय जनसंघ 5
    सोसलिस्ट पार्टी 2
    हिंदू महासभा 1
    निर्दलीय  1

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