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    2.5 अरब साल पुराना पत्थर, न दरार आएगी... न पानी का होगा असर; जानिए भगवान रामलला की मूर्ति की खासियत

    Updated: Wed, 24 Jan 2024 08:22 PM (IST)

    डॉ. वेंकटेश बताते हैं कि चट्टान के गुण इसे किसी भी प्रकार की नक्काशी के लिए उपयुक्त बनाते हैं। यह पत्थर पानी को अवशोषित नहीं करता है या कार्बन के साथ ...और पढ़ें

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    जानिए भगवान रामलला की मूर्ति की खासियत

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। अयोध्या में रामलला के जिस विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई है, वह 51 इंच की मनमोहक मूर्ति एक विशेष काले ग्रेनाइट से बनी है। यह पत्थर करीब 2.5 अरब साल पुराना है। बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय शिला यांत्रिकी संस्थान (एनआइआरएम) ने पत्थर का परीक्षण किया था। पत्थर को मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने एक सुंदर मूर्ति में तब्दील किया था।

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    एनआइआरएम के निदेशक डॉ. एचएस वेंकटेश ने कहा कि यह चट्टान अत्यधिक टिकाऊ और जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधी है और न्यूनतम रखरखाव के साथ इस क्षेत्र की जलवायु के हिसाब से हजारों वर्षों तक टिकेगी। डॉ. वेंकटेश के मुताबिक, अधिकांश ग्रेनाइट चट्टानें तब बनीं, जब पृथ्वी के निर्माण के बाद पिघला हुआ लावा ठंडा हो गया।

    पानी और कार्बन का नहीं होगा असर

    ग्रेनाइट एक अत्यंत कठोर पदार्थ है। संस्थान ने कोलार गोल्ड फील्ड्स में अपनी परीक्षण प्रयोगशालाओं के साथ ग्रेनाइट ब्लाक का आकलन करने में मदद की। डॉ. वेंकटेश बताते हैं कि चट्टान के गुण इसे किसी भी प्रकार की नक्काशी के लिए उपयुक्त बनाते हैं। यह पत्थर पानी को अवशोषित नहीं करता है या कार्बन के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है।

    एनआईआरएम के निदेशक ने बताया कि उनकी टीम का काम मंदिर निर्माण में लगने वाले शिलाओं का परीक्षण करना है। उसी क्रम में इस शिला का भी परीक्षण किया है। दूसरी बार इसका संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने अयोध्या में किया, लेकिन उन्हें ये नहीं पता था कि इस शिला का उपयोग किस कार्य के लिए किया जाएगा।

    नक्काशी के लिए उपयुक्त पत्थर

    भगवान राम की मूर्ति के लिए यह पत्थर कर्नाटक के मैसूरू जिले के एचडीकोटे तहसील से लाया गया है। यह चट्टान विशाल, भव्य और रंग में एक समान है। यह महीन दाने वाला पत्थर ग्रेनाइट परिवार का है और प्रीकैम्ब्रियन युग का है। इस्तेमाल किया गया पत्थर बारीक दाने वाला, कठोर, सघन है और मूल चट्टान के सभी हिस्सों में समान विशेषता वाला है। चट्टान में उच्च संपीड़न (कम्प्रेसिव) शक्ति, तन्य (टेन्सिल) शक्ति, लचीली ताकत, टूटने का मापांक, दवाब झेलने की क्षमता है।

    चट्टान में अच्छी कठोरता और घर्षण क्षमता है, जो इसे किसी भी प्रकार की नक्काशी के लिए उपयुक्त बनता है। इसके अलावा उच्च घनत्व वाले इस चट्टान में उच्च पी तरंग वेग के साथ जल अवशोषण होता है, जो किसी भी आंतरिक दरार और फ्रैक्चर से रहित होता है।

    इसके तहत पत्थर पर हथौड़ा मारने के बाद उसमें तरंग उत्पन्न होते हैं अगर वे समान रूप से फैलते हैं, तो समझा जाता है कि पत्थर अंदर से भी एक ही है। इसमें कहीं भी अंदर जोड़ या टूटा हुआ, खोखला नहीं है। यह अत्यधिक टिकाऊ और जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधी है और न्यूनतम रखरखाव के साथ इस हजारों वर्षों तक टिकेगा।

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