Move to Jagran APP

Monsoon: मानसून की वर्षा का बदल रहा ट्रेंड, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के किसानों को कर रहा परेशान

पिछले चार सालों से सितंबर में बरसात में इजाफा हुआ है। ऐसे में मानसून दो से तीन सप्ताह तक देरी से विदा हो रहा है। यही वजह है कि फसल की बुआई और कटाई दोनों पर प्रभाव पड़ रहा है।

By sanjeev GuptaEdited By: JP YadavPublished: Tue, 27 Sep 2022 08:15 AM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 08:15 AM (IST)
Monsoon: मानसून की वर्षा का बदल रहा ट्रेंड, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के किसानों को कर रहा परेशान
पिछले कई सालों से मानसून देरी से विदा हो रहा है। फाइल फोटो

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। मानसून की वर्षा का ट्रेंड साल दर साल बदल रहा है। इसके लौटने के समय झमाझम बरसात होने लगती है जबकि विदाई अक्टूबर माह के पहले या दूसरे सप्ताह में हो पा रही है। यह स्थिति मौसम चक्र को तो प्रभावित कर ही रही है, किसानों के लिए भी परेशानी की वजह बन रही है। बुआई और कटाई दोनों पर ही इसका असर पड़ रहा है। कई बार तो तेज वर्षा से कटाई के समय में फसल बर्बाद भी होने लगती है।

loksabha election banner

चार-पांच साल के दौरान देखने को मिला बदलाव

गौरतलब है कि बीते चार पांच साल से दिल्ली एनसीआर में मानसून की विदाई अक्टूबर में ही हो रही है, जबकि इसकी सामान्य तिथि 20 सितंबर है। मानसून का आगमन भले ही समय पर हो या थोड़ा आगे, लेकिन बीच- बीच में लंबे समय तक सूखे जैसी स्थिति भी बन जाती है। जैसे इस साल भी जून और अगस्त में मानसून की वर्षा क्रमश: 67 और 82 प्रतिशत कम दर्ज की गई। वहीं, जब सितंबर के तीसरे सप्ताह में इसके लौटने की उम्मीद की जाने लगी तो लगातार कई दिनों तक झमाझम वर्षा होती रही।

इस साल भी देरी से मानसून की विदाई

मौसम विज्ञानियों ने इस स्थिति के लिए जलवायु परिवर्तन को मुख्य वजह बताया है। इसी के चलते मानसून अपने अंतिम चरण में सक्रिय होता है। पहले यह प्रक्रिया अमूमन अगस्त के मध्य और अंत में देखने को मिलती थी। लेकिन अब सितंबर में देखी जा रही है। इससे मानसून की विदाई भी देरी से होने लगी है। इसका एक असर यह देखने में आ रहा है कि गर्मी का एहसास लंबा हो रहा है जबकि सर्दी सिमट रही है।

गाजर की खेती नहीं कर पा रही दिल्ली-एनसीआर के किसान

दूसरी तरफ जून में ज्यादा वर्षा ना होने से जहां फसलों की बुआई में परेशानी आ रही है वहीं बीच बीच में काफी दिनों तक बरसात न होने से पैदावार पर भी असर पड़ रहा है। कारण, मिट्टी में नमी बहुत नहीं रहती। इसी तरह सितंबर में तेज बरसात का असर खड़ी फसल और उसकी कटाई पर पड़ता है। दिल्ली- एनसीआर के किसान गाजर की खेती भी अच्छे से नहीं कर पा रहे। हां, इतना जरूर है कि देर तक होने वाली वर्षा से रबी की फसल की बुआई के लिए नमी वाली जमीन जरूर मिल जाती है। 

सितंबर में मानसून की सक्रियता से जुड़ी कुछ और अहम जानकारी

  • 1901 से अब तक 30वां सबसे अधिक वर्षा वाला सितंबर बना इस साल यह माह
  • 1951 के बाद से अब तक 22- 23 सितंबर दूसरे सबसे ठंडे दिन रहे
  • इस हफ्ते के दौरान राजधानी दिल्ली में कुल 107.7 मिमी बरसात दर्ज हुई
  • सितंबर के तीसरे हफ्ते में 1901 के बाद से यह पांचवीं सबसे अधिक वर्षा है

मौसम चक्र और जलवायु परिवर्तन का है असर

महेश पलावत (उपाध्यक्ष, मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन, स्काईमेट वेदर) की मानें तो पिछले कुछ सालों के दौरान देखने में आया है कि मानसून की विदाई अब अक्टूबर तक होने लगी है। पिछले साल भी मानसून अक्टूबर में विदा हुआ और इस बार भी मानसून की विदाई के आसार ऐसे ही बने हुए हैं। निश्चित तौर पर जलवायु परिवर्तन से मौसम चक्र भी कहीं न कहीं प्रभावित हो रहा है।

फसल की कटाई और बुआई तक हो रही प्रभावित

डॉ. जेपीएस डबास (प्रधान कृषि वैज्ञानिक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा) का कहना है कि खेती वाले बहुत से इलाके फसल के लिए बरसात पर ही निर्भर होते हैं। दिल्ली एनसीआर में भी ऐसे अनेक इलाके हैं। मानसून की वर्षा का यह बदलता ट्रेंड उनके लिए परेशानी पैदा कर रहा है। इससे फसल की बुआई, कटाई और उत्पादन सभी पर प्रभाव देखने में आ रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.