एक लाख मोबाइल की तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, नेपाल-बांग्लादेश में बेचते थे NCR से चोरी फोन
दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो दिल्ली-एनसीआर से चोरी किए गए मोबाइल फोन को नेपाल और बांग्लादेश में बेचता था। पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से 228 मोबाइल फोन बरामद किए हैं। गिरोह का सरगना मोताहर शेख है और ये पिछले पांच सालों से इस काम में शामिल थे।

जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। दक्षिणी-पूर्वी जिले की एसटीएफ ने दिल्ली-एनसीआर से लूटे व चोरी किए गए मोबाइल नेपाल और बांग्लादेश में बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर तीन बदमाशों को गिरफ्तार किया है। ये अंतरराज्यीय गिरोह अभी तक एक लाख से ज्यादा मोबाइलों की तस्करी कर चुका है।
पुलिस उपायुक्त डा. हेमंत तिवारी ने बताया कि आरोपितों की पहचान बंगाल के मालदा निवासी मोहम्मद गुलु सेख, मोताहर शेख और अब्दुल शमीम के रूप में हुई है। पुलिस ने इनकी निशानदेही पर 228 मोबाइल, तीन देशी पिस्तौल और छह कारतूस बरामद किए हैं।
ये मोबाइल दिल्ली-एनसीआर में अलग अलग जगह से चोरी व लूटे गए थे। पुलिस ने आरोपितों को सराय काले खां से गिरफ्तार किया है। ये यहां झपटमारों से मोबाइल खरीदने आए थे। पुलिस दिल्ली में सक्रिय इन झपटमारों का भी पता लगा रही है।
30 हजार में खरीदकर 60 हजार में बेचते थे महंगा मोबाइल
एसटीएफ प्रभारी इंस्पेक्टर शिवकुमार हूण व प्रमोद चौहान ने बताया कि तीनों आरोपित दिल्ली में मोबाइल चोरी व लूट करने वाले बदमाशों के संपर्क में थे।
ये तीनों इन झपटमारों से सस्ते दाम में मोबाइल खरीदकर बंगाल में बैठे अपने साथियों की मदद से नेपाल और बांग्लादेश में बेचते थे। एक महंगे मोबाइल को आरोपित 30 हजार में खरीदते थे। फिर उसे बांग्लादेश व नेपाल में 60 हजार रुपये में बेच देते थे।
5 साल में की एक लाख से ज्यादा मोबाइल की तस्करी
इंस्पेक्टर शिवकुमार हूण ने बताया कि गिरोह का सरगना मोताहर शेख है। मोताहर ने पूछताछ में बताया कि वह पिछले पांच साल से मोबाइलों की तस्करी कर रहे हैं। ये अभी तक एक लाख से ज्यादा मोबाइल बेच चुके हैं। इनमें 20 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक के मोबाइल शामिल हैं।
देश से बाहर ट्रेस नहीं होती मोबाइल की लोकेशन
गिरोह पुलिस से बचने के लिए इन दोनों देशों में मोबाइल बेचता था। पुलिस को भारत में मौजूद नेटवर्क प्रदाता कंपनियों से आइएमइआइ नंबर की लोकेशन आसानी से मिल जाती है, लेकिन जब विदेश में इन मोबाइल का इस्तेमाल होता है तो वहां के नेटवर्क प्रदाता कंपनी से लोकेशन लेना आसान नहीं होता। इसके अलावा अन्य औपचारिकताएं भी परेशानी बनती है।
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