स्टेरॉयड और प्रोटीन पाउडर का दुरुपयोग युवाओं में कूल्हे की बीमारी AVN बढ़ा रहा, डॉक्टरों की चेतावनी; पढ़ें पूरी रिपोर्ट
स्टेरॉयड और स्टेरॉयड युक्त प्रोटीन पाउडर के अत्यधिक सेवन से युवाओं में एवस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) बीमारी तेजी से बढ़ रही है जिससे कम उम्र में ही कूल्हा प्रत्यारोपण की नौबत आ रही है। डॉक्टरों ने इस पर चिंता जताई और स्टेरॉयड के दुरुपयोग पर रोक लगाने की मांग की है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, नई दिल्ली: स्टेराॅयड दवा और स्टेराॅयड युक्त प्रोटीन पाउडर अत्यधिक सेवन से जिम जाने वाले युवाओं में एवस्कुलर नेक्रोसिस (AVN) बीमारी बढ़ रही है। इससे युवाओं के कूल्हे भी खराब हो रहे हैं।
लिहाजा, कम उम्र में युवाओं को कूल्हा प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ रही है। कूल्हा प्रत्यारोपण कराने वालों में करीब 30 प्रतिशत मरीज युवा होते हैं। 20-25 की उम्र में भी कई युवाओं को कृत्रिम कूल्हा प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ रही है।
राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित दिल्ली हिप-360 काॅन्फ्रेंस के दौरान ऑर्थोपेडिक के विशेषज्ञों डाक्टरों ने इस पर चिंता जाहिर की। डाॅक्टरों का कहना है कि यदि स्टेराॅयड और प्रोटीन पाउडर का दुरुपयोग नहीं रोका गया तो यह बीमारी आगे और बड़ी समस्या बन सकती है।
सामान्य तौर पर बुजुर्गों में यह बीमारी अधिक होती है
पूर्वी दिल्ली ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के आयोजन समिति के अध्यक्ष और मैक्स अस्पताल के ऑर्थोपेडिक्स और ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी विभाग के वरिष्ठ निदेशक डाॅ. एल तोमर ने कहा सामान्य तौर पर बुजुर्गों में यह बीमारी अधिक होती है।
लेकिन, अब युवाओं में कूल्हा खराब होने के मामले बढ़े हैं। हर सप्ताह ओपीडी में 30 वर्ष से कम उम्र के दो से तीन मरीज कूल्हे के दर्द की शिकायत के साथ पहुंचते हैं। जांच में अक्सर एवीएन बीमारी की पुष्टि होती है।
इस बीमारी में कूल्हे की हड्डी में रक्त संचार प्रभावित होती है। इससे कूल्हे की हड्डी सूखने लगती है। 70 प्रतिशत से अधिक मामलों में कारण एनाबालिक स्टेराॅयड या प्रोटीन पाउडर का अत्यधिक सेवन होता है।
कोरोना के बाद तीन वर्षों में बढ़े मामले
डॉ. तोमर ने बताया कि कोरोना के बाद तीन वर्षों में इसके मामले ज्यादा बढ़े हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि कोरोना के दौर में जिन मरीजों को स्टेराॅयड दिया गया, उनमें से 23 प्रतिशत एवीएन बीमारी से पीड़ित हुए।
हाल ही में महाराष्ट्र के एफडीए (फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) ने प्रोटीन पाउडर की जांच कराई थी। कई प्रोटीन पाउडर में स्टेराॅयड पाया गया था। इस तरह के प्रोटीन पाउडर खुदरा बाजार व ऑनलाइन मौजूद है।
डॉक्टर की सलाह के बगैर स्टेरॉयड का इस्तेमाल घातक
सम्मेलन के संयोजक व ऑर्थोपेडिक सर्जन डाॅ. राजीव जैन ने कहा कि स्टेराॅयड दुरुपयोग और चिकित्सकीय सलाह के बगैर इसका इस्तेमाल घातक होता है।
यह कूल्हे की हड्डी के ऊपरी हिस्से को कमजोर बना देता है। इससे दर्द व अकड़न होने से चलने में दिक्कत होती है। समय पर इसका इलाज न हो तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में कूल्हा प्रत्यारोपण ही विकल्प बचता है।
एवीएन से पीड़ित 30 प्रतिशत मरीजों की उम्र 35 वर्ष से कम
सम्मेलन में डाॅक्टरों ने एक शोध पत्र प्रस्तुत किया। इसके अनुसार पिछले तीन वर्षों में दिल्ली के अस्पतालों में देखे गए एवीएन के 30 प्रतिशत मरीज 35 वर्ष से कम उम्र के थे। उनमें से अधिकांश स्टेराॅयड इंजेक्शन, स्टेराॅयड की गोली या प्रोटीन पाउडर अधिक इस्तेमाल कर रहे थे।
सम्मेलन के वैज्ञानिक अध्यक्ष और ऑर्थोपेडिक सर्जन डाॅ. शरद अग्रवाल ने कहा कि जिम एक तेजी से बढ़ता व्यवसाय बन गया है, लेकिन उसके लिए उचित नियम नहीं हैं।
जिम में युवाओं को गुमराह किया जाता है कि स्टेराॅयड या स्टेराॅयड युक्त प्रोटीन पाउडर लेने से बाॅडी बिल्डिंग बेहतर हो सकती है, इसलिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। साथ ही स्टेराॅयड और स्टेराॅयड युक्त प्रोटीन पाउडर के बिक्री को नियमन किया जाना आवश्यक है।
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