अब घरों तक नहीं जाएंगी एंबुलेंस, मिशन दिल्ली सेवा बंद; अटकी रहेगी मरीजों की सांस!
मिशन दिल्ली सेवा बंद होने से हार्ट अटैक के मरीजों को घर पर तुरंत इलाज नहीं मिल पाएगा। एम्स की फर्स्ट रिस्पॉन्डर बाइक एंबुलेंस अब उनके घर नहीं जाएगी। इस सेवा को बंद करने से हार्ट अटैक के मरीजों के लिए त्वरित उपचार मुहैया कराने का अत्याधुनिक मॉडल विकसित करने और इसे पूरे देश में लागू करने की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एम्स ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की मदद से शुरू किए गए मिशन दिल्ली (दिल्ली इमरजेंसी लाइफ हार्ट अटैक इनिशिएटिव) को बंद कर दिया है। इसलिए एम्स की फर्स्ट रिस्पॉन्डर बाइक एंबुलेंस अब हार्ट अटैक के मरीजों की जान बचाने के लिए उनके घर नहीं जाएगी।
इससे हार्ट अटैक के मरीजों को त्वरित उपचार मुहैया कराने का अत्याधुनिक मॉडल विकसित करने और इसे पूरे देश में लागू करने की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं।
मौत का सबसे बड़ा कारण हार्ट अटैक
दिल्ली समेत देश में मौत का सबसे बड़ा कारण हृदय संबंधी बीमारियां हैं। हार्ट अटैक के शुरुआती तीन घंटे काफी मुश्किल भरे होते हैं। लेकिन ज्यादातर मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते।
2019 में हुई थी मिशन दिल्ली सेवा की शुरुआत
एम्स की ओर से किए गए अध्ययन के मुताबिक, हार्ट अटैक और स्ट्रोक के दो तिहाई मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। इसे देखते हुए आईसीएमआर की पहल पर 25 अप्रैल 2019 को एम्स में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर मिशन दिल्ली (दिल्ली इमरजेंसी लाइफ हार्ट अटैक इनिशिएटिव) शुरू किया गया था।
आईसीएमआर के तत्कालीन महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव और एम्स के तत्कालीन निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने इसे लॉन्च किया था और दो हेल्पलाइन नंबर (14430 और 1800111044) जारी किए थे।
तब चार फर्स्ट रिस्पॉन्डर बाइक एंबुलेंस थीं और एम्स के तीन किलोमीटर के दायरे में हार्ट अटैक के मरीजों के घर जाकर उनका इलाज करने का प्रावधान किया गया था।
इसके सफल होने पर आईसीएमआर ने कहा था कि इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। एम्स प्रशासन ने 13 अक्टूबर 2022 को इस सेवा का विस्तार करते हुए फर्स्ट रिस्पॉन्डर बाइक एंबुलेंस की संख्या बढ़ाकर आठ कर दी थी।
साथ ही एम्स के पांच किलोमीटर के दायरे में सुविधा उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था। बाद में जीबी पंत अस्पताल के सहयोग से पुरानी दिल्ली और बल्लभगढ़, फरीदाबाद में भी यह सुविधा शुरू करने की योजना थी।
15 मिनट के अंदर मरीजों के घर पहुंचते थे डॉक्टर
इस फर्स्ट रिस्पॉन्डर बाइक एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर, डिफिब्रिलेटर, ईसीजी मशीन, क्लॉट बस्टर इंजेक्शन और जरूरी दवाइयां मौजूद थीं। कंट्रोल रूम में कॉल आने पर प्रशिक्षित पैरामेडिकल कर्मी 15 मिनट के अंदर मरीज के घर पहुंचकर ईसीजी जांच कर उसकी रिपोर्ट एम्स में बैठे डॉक्टर को भेज देते थे।
हार्ट अटैक आने पर मरीज को घर पर ही क्लॉट बस्टर दवा देने का प्रावधान किया गया था। 13 अक्टूबर 2022 तक
790 मरीजों को मिली मदद
सीने में दर्द की शिकायत लेकर दिल्ली मिशन हेल्पलाइन पर कॉल करने वाले 790 मरीजों को इस बाइक एंबुलेंस से मदद मिली। इसमें 40 हार्ट अटैक के मरीज भी शामिल थे। इनमें से 20 मरीजों को पैरामेडिकल स्टाफ ने उनके घर जाकर क्लॉट बस्टर इंजेक्शन लगाए।
अन्य 20 मरीजों ने हार्ट अटैक के 12 घंटे बाद हेल्पलाइन पर कॉल की थी। इसलिए उन्हें यह इंजेक्शन देने से ज्यादा फायदा नहीं होता। इस कारण उन मरीजों को एंबुलेंस से एम्स लाया गया और एंजियोप्लास्टी की गई।
डॉ. बलराम भार्गव की अहम भूमिका
मिशन दिल्ली सेवा शुरू करने में डॉ. बलराम भार्गव की अहम भूमिका रही। पिछले साल उन्होंने एम्स से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। इसके बाद अब ये फर्स्ट रिस्पॉन्डर बाइक एंबुलेंस एम्स में धूल फांक रही हैं। दोनों हेल्पलाइन नंबर भी बंद हैं।
इस वजह से बंद हुई सेवा
एम्स प्रशासन का कहना है कि इसके लिए आईसीएमआर ने फंड जारी किया था और इसकी पांच साल की अवधि भी खत्म हो गई है। इस कारण इसे बंद करना पड़ा। फंड के स्रोत तलाशे जा रहे हैं। फंड की व्यवस्था कर यह सेवा नए सिरे से शुरू की जाएगी।
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