चिंताजनक! बाजार में बिक रहे नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक, कैंसर का बन रहा कारण
Microplastics in Salt and Sugar एक अध्ययन में सामने आया है कि नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक होती है। इस कारण से कैंसर होने की संभावना ज्यादा हो गई है। गैर सरकारी संगठन के अध्ययन में पाया गया है। देश में पहली बार किए गए इस अध्ययन में लैब टेस्ट के लिए सभी तरह के नमक पर अध्ययन किया गया था।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। नमक और चीनी से सिर्फ रक्तचाप और मधुमेह ही नहीं बढ़ता, यह कैंसर का कारक भी बन सकता है। गैर सरकारी संगठन के अध्ययन में पाया गया है कि भारत में नमक और चीनी के सभी छोटे और बड़े ब्रांड, चाहे वह ऑनलाइन बेचे जा रहे हो अथवा स्थानीय बाजारों में, पैक किया हुआ हो अथवा खुला बिक रहा हो, सभी में माइक्रोप्लास्टिक मौजूद है।
इससे भी ज्यादा चिंताजनक यह कि “आयोडाइज्ड नमक” में माइक्रोप्लास्टिक की उच्च सांद्रता पाई गई, जोकि बहुरंगी पतले रेशों और पतली झिल्ली के रूप में थी।
पहली बार किया गया लैब टेस्ट
देश में पहली बार किए गए इस अध्ययन में लैब टेस्ट के लिए टेबल नमक, सेंधा नमक, समुद्री नमक व स्थानीय कच्चे नमक सहित आम तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले नमक की दस किस्मों और चीनी के पांच नमूनों को ऑनलाइन तथा स्थानीय बाजारों से खरीदा गया था। नमक के दो नमूनों और चीनी के एक नमूने को छोड़कर, सभी ब्रांडेड थे।
परीक्षण किए गए नमक के 10 नमूनों में से तीन पैकेज्ड आयोडीन युक्त नमक थे, तीन नमूने सेंधा नमक, दो आर्गेनिक ब्रांड, दो समुद्री नमक व दो स्थानीय ब्रांड थे।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
- अलग-अलग नमक के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा और आकार अलग-अलग मिले। इसमें 6.71 से 89.15 टुकड़े प्रति किग्रा (सूखे वजन) एवं 0.1 से पांच मिलीमीटर तक थे। वे रेशों, छर्रों, पतली झिल्ली और टुकड़ों के रूप में पाए गए।
- माइक्रोप्लास्टिक्स की सबसे अधिक सांद्रता (सूखे वजन के प्रति किग्रा 89.15 टुकड़े) एक डिब्बाबंद (पैकेज्ड) आयोडीन युक्त नमक के नमूने में पाई गई। सबसे कम सांद्रता (सूखे वजन के प्रति किग्रा 6.70 टुकड़े) आर्गेनिक सेंधा नमक के नमूने में पाई गई।
- चीनी और नमक के नमूनों में मिले माइक्रोप्लास्टिक के अंश आठ अलग-अलग रंगों के थे- पारदर्शी, सफेद, नीला, लाल, काला, बैंगनी, हरा और पीला।
- विभिन्न चीनी नमूनों में पाए गए माइक्रोप्लास्टिक्स का आकार 0.1 मिलीमीटर से पांच मिलीमीटर तक था और अधिकतर रेशों (फाइबर) के रूप में थे, इसके पश्चात पतली झिल्ली और छर्रों के रूप में थे।
- परीक्षण किए गए पांच चीनी नमूनों में से माइक्रोप्लास्टिक के टुकड़ों की न्यूनतम संख्या आर्गेनिक चीनी नमूने में (11.85 टुकड़े प्रति किग्रा) पाई गई। सबसे अधिकतम संख्या सामान्य चीनी के नमूने में (68.25 टुकड़े प्रति किग्रा) पाई गई।
माइक्रोप्लास्टिक या नैनोप्लास्टिक के अंश स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। माइक्रोप्लास्टिक हानिकारक रसायन छोड़ते हैं जो मनुष्यों में प्रजनन संबंधी विकार, विकास की गति में होने वाली देर और कैंसर सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनते हैं। सूक्ष्म प्लास्टिक कण भोजन, पानी, हवा के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करते हैं। इससे फेफड़ों में सूजन और कैंसर, दिल का दौरा, अंतःस्रावी व्यवधान, वजन बढ़ना, इंसुलिन प्रतिरोध और बांझपन का खतरा बढ़ जाता है। -रवि अग्रवाल, संस्थापक निदेशक, टॉक्सिक लिंक
एक भारतीय औसतन हर दिन 10.98 ग्राम नमक और लगभग 10 चम्मच चीनी खाता है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसित सीमा से बहुत अधिक है। ऐसे में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। -सतीश सिन्हा, एसोसिएट निदेशक, टॉक्सिक लिंक
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