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    दादा नानी की कहानी के साथ भारतीय संस्कृति को संजो रही पीहू, दिया आनलाइन प्लेटफार्म

    By Mangal YadavEdited By:
    Updated: Sun, 09 Jan 2022 04:14 PM (IST)

    पीहू ने बताया कि बचपन में उन्होंने भी अपनी नानी और दादी से कहानी सुनी थी एक दिन विचार आया कि बहुत सारे बच्चे ऐसे हैं जिनके दादा या नानी नहीं है। ऐसे म ...और पढ़ें

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    दिल्ली की रहने वाली पीहू अग्रवाल की फाइल फोटो

    नई दिल्ली [निहाल सिंह]। भारत विभिदता में एकता वाला देश हैं। शहरीकरण के बढ़ते दौर में एकल परिवारों की संख्या ज्यादा बढ़ रही है, लेकिन संयुक्त परिवारों में आज भी दादी या नानी से आज भी ऐसे किस्से सुनाए जाते हैं जो न केवल हमें जीवन में संघर्ष से जीतना सिखातें हैं बल्कि हमें एक आदर्श नागरिक बनने के लिए भी प्रेरित करते हैं। पर अब अगली पीढ़ी को इन किस्सों कहानियों को सुनाना है और भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाना है तो इनका डिजीटलीकरण आवश्यक है। क्योंकि, आज के समय में यह एक ऐसा माध्यम हैं जो बहुत कम समय में ज्यादा लोगों तक इसे प्रसारित कर सकता है। इसी सोच और संकल्प के साथ दिल्ली की पीहू अग्रवाल सुनो स्टोरी नाम से कहानियों का संकलन कर रही है। उनकी इस मुहिम से चार हजार से ज्यादा लोग साथ जुड़ चुके हैं और तीन सौ से ज्यादा कहानियां लोगों तक पहुंचाई जा चुकी है।

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    पीहू ने हाल ही में 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की है। उन्होंने यह काम कक्षा दसवीं से शुरू किया था। इसमें सुनो स्टोरी डाट काम नाम से वेबसाइट के माध्यम से इस मिशन को आगे ले जा रही है।

    पीहू ने बताया कि बचपन में उन्होंने भी अपनी नानी और दादी से कहानी सुनी थी, ऐसे में एक दिन विचार आया कि बहुत सारे बच्चे ऐसे हैं जिनके दादा या नानी नहीं है। ऐसे में उन्हें कहानी कौन सुनाता होगा। इन्ही कहानियों को ऐसे बच्चों और दूसरे लोगों तक पहुंचाने के साथ यह कार्य शुरू किया। उन्होंने इसका विचार अपने पापा से साझा किया तो उन्होंने इस विचार को मूर्त रूप देने में मदद की। पीहू बताती है कि एक जमाना था जब दादी-नानी की गोद में बैठ कर किस्से कहानियों की दुनिया में सैर के लिए निकल पड़ते थे। लेकिन समय बदलता गया परिवार छोटे होते चले गए,काम-धंधे एवं आजीविका कमाने के संघर्ष ने दादी-नानी की दुनिया को कहीं पीछे छोड़ दिया। अब न तो घर के आंगन में वो बड़ा सा पेड़ रहा जिसकी छांव तले बैठ कर बच्चे किस्से कहानियों,परियों की काल्पनिक दुनिया में खो जाते थे न ही वो समय रहा। ऐसे में हमे जो विरासत अपने पूर्वजों से मिली है उसको सहेजना बहुत जरुरी है। इसी उद्देश्य के साथ सुनो स्टोरी नाम से वेबसाइट चलाई जा रही है। इसमें तीन सौ से अधिक कहानियां है। ज्यादातर कहानियां हिंदी में हैं। हालांकि अग्रेजी और दक्षिण भारत की कई भाषाओं में है।

    कोई भी नागरिक बता सकता है अपनी कहानी

    पीहू अग्रवाल बताती है कि देश के किसी भी राज्य का कोई भी वासी अपनी कहानी सुनो स्टोरी पर पहुंचा सकता है। हम लोगों को सुझाव देते हैं कि कम से कम दो मिनट की कहानी हो। इसे हम लोगों से अपलोड करने के लिए बोलते हैं। इसके बाद हमारी सात दोस्तों की एक टीम है जो इन कहानियों को बारीकी से सुनती है। साथ ही उसमें कुछ जोड़ने की आवश्यकता होती है तो उसे जोड़ने का प्रयास किया जाता है। दूसरे लोगों को आसानी से समझ में आ जाए इसके लिए उसमें सुधार किए जाते हैं।

    त्योहारों में विशेष पहल

    भारत में प्रत्येक दिन कोई न कोई त्योहार मनाया जाता है। कुछ त्योहार ऐसे हैं तो मनाए तो एक ही दिन जाते हैं, लेकिन उनके नाम अलग-अलग है। साथ ही उनको मनाने का तरीका भी अलग है। ऐसे में दीपावली और नवरात्रि को मनाने के तरीकों के लिए वह विशेष पहल करते हैं। लोगों से पूछते हैं कि उनके राज्य या क्षेत्र में इन त्योहारों को कैसे मनाया जाता है। क्या विधि है। जब यह सारी चीजे एक प्लेटफार्म पर आती है तो लोगों को दूसरे राज्य की संस्कृति को समझने और जुड़ने का मौका मिलता है।