अंबिका देवी ने सैकड़ों महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, मधुबनी चित्रकला का कर रहीं प्रचार प्रसार
अंबिका कहती हैं कि मधुबनी चित्रकला उनकी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। इसे उन्होंने कहीं से सीखा नहीं बल्कि बचपन से ही अपनी दादी नानी और मां को देखकर विरासत में पाया है। मधुबनी कला में पांच विशिष्ट शैली जैसे भर्णी कच्छनी तांत्रिक गोदा और कोहबर शामिल हैं।

नई दिल्ली [रितु राणा]। मिथिलांचल में हर तीज त्योहार, शादी, मुंडन जैसे अवसरों पर रंगोली के रूप में बनाई जाने वाली मधुबनी चित्रकला आज धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों व कागज पर उतर आई है। जी हां, इसी चित्रकला से पूर्वी दिल्ली के न्यू अशोक नगर में रहने वाली अंबिका देवी ने खुद की पहचान तो बनाई, साथ ही दिल्ली से लेकर मधुबनी जिले की सैकड़ों महिलाओं रोजगार के अवसर भी दिए। अंबिका कहती हैं कि मधुबनी चित्रकला उनकी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। इसे उन्होंने कहीं से सीखा नहीं, बल्कि बचपन से ही अपनी दादी, नानी और मां को देखकर विरासत में पाया है।
उन्होंने बताया कि मधुबनी कला में पांच विशिष्ट शैली जैसे भर्णी, कच्छनी, तांत्रिक, गोदा और कोहबर शामिल हैं। इसमें दस विष्णु भगवान की मूरत वाली चित्रकारी सबसे खास है, जिसे बेटी की शादी में मां बनाती है और बेटी की विदाई में उसके साथ ससुराल भेजती है। वह पेपर, लकड़ी, कपड़े, दीवार और मिट्टी के बर्तनों पर मधुबनी चित्रकारी करती हैं। साथ ही आर्डर मिलने पर जीन्स और लेदर बैग आदि पर भी चित्रकारी करती हैं।
करीब 300 महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
अंबिका वर्ल्ड क्राफ्ट काउंसिल यूनेस्को, चेन्नई क्राफ्ट काउंसिल द्वारा कमला देवी अवार्ड आदि पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा जब उन्हें मधुबनी चित्रकारी के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ, तब उन्होंने निश्चय किया कि वह दूसरी महिलाओं को भी इसके माध्यम से आत्मनिर्भर बनाएंगी। अंबिका ने बताया कि उनका उद्देश्य अपनी परंपरा को आगे बढ़ाना है, और गरीब महिलाओं को रोजगार दिलाना है। क्योंकि यह हुनर गांव की हर महिला के हाथों में है, तो इससे वह आसानी से रोजगार कमा सकती हैं।
वह दिल्ली से बिहार के मधुबनी जिला गांव जाकर करीब 300 जरूरतमंद महिलाओं को मधुबनी चित्रकारी के हुनर से आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। वह समय समय पर गांव जाकर महिलाओं द्वारा बनाए चित्रों को अलग अलग जगह प्रदर्शनियों में ले जाती हैं और उनकी बिक्री के बाद उन्हें गांव जाकर पैसे भी देती हैं।
देशभर के स्कूल व कालेजों में जाकर कर रही मधुबनी चित्रकारी का प्रचार प्रसार
अंबिका दिल्ली, बिहार सहित देश के विभिन्न राज्यों में जाकर मधुबनी चित्रकला का प्रचार प्रसार भी कर रही हैं। इसके लिए वह सरकारी व निजी स्कूलों में निश्शुल्क कार्यशाला का आयोजन करती हैं।
इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कालेज, कमला नेहरू कालेज, दिल्ली हाट, आइआइटी दिल्ली, कानपुर और रुड़की सहित कलकत्ता, हैदराबाद, पूणे, चेन्नई, बेंगलुरु में भी जाकर कार्यशाला व अपने चित्रों की प्रदर्शनी लगा चुकी हैं।
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