मानहानि के मामले में सजा के खिलाफ मेधा पाटकर की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
दिल्ली हाई कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह याचिका 23 साल पहले उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि के मामले में सजा के खिलाफ है। न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने दोनों पक्षों को 18 जुलाई तक लिखित दलीलें दाखिल करने की अनुमति दी है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से दायर मानहानि के एक मामले में ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
ट्रायल कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर की इस याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ ने दोनों पक्षों को 18 जुलाई तक लिखित दलीलें दाखिल करने की अनुमति दी है।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना सक्सेना ने यह मामला तब दायर किया था जब वह गुजरात में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के प्रमुख थे।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता 70 वर्षीय मेधा पाटकर ने मजिस्ट्रेट अदालत की ओर से सुनाई गई सजा को बरकरार रखने के दो अप्रैल के सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।
पाटकर ने लगाया था हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप
25 नवंबर 2000 को मेधा पाटकर ने एक बयान में वीके सक्सेना पर हवाला के जरिये लेनदेन का आरोप लगाया था और उन्हें कायर कहा था।
मेधा पाटकर ने कहा था कि वीके सक्सेना गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे।
तब दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना अहमदाबाद स्थित काउंसिल फार सिविल लिबर्टीज नामक एनजीओ के प्रमुख थे।
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