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    महिला के पेट से निकला 10.6 किलो का ट्यूमर, डॉक्टर भी रह गए दंग; ऑपरेशन करने वाली टीम को मिल रही शाबाशी

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 12:40 PM (IST)

    सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने 65 वर्षीय महिला के पेट से 10.6 किलो का ट्यूमर निकाला। महिला गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर से पीड़ित थी। सर्जरी 11 जुलाई को हुई और अब महिला की हालत में सुधार है। ट्यूमर छोटी आंत बड़ी आंत और अन्य अंगों से चिपका हुआ था। अस्पताल ने आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की।

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    प्रतीकात्मक तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने दुर्लभ कैंसर से पीड़ित एक 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला मरीज के पेट से 10.6 किलोग्राम का ट्यूमर निकाल कर नई जिंदगी दी। अस्पताल के सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने 11 जुलाई को छह घंटे में सर्जरी कर उस ट्यूमर को निकाला था।

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    अब उस बुजुर्ग महिला मरीज के स्वास्थ्य में सुधार है और खाना पीना शुरू कर दिया है। इसलिए 18 जुलाई को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई है।

    क्या है गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर?

    अस्पताल के सर्जरी विभाग की प्रोफेसर डॉ. शिवानी बी. परुथी ने बताया कि मरीज को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्ट्रोमल ट्यूमर (जीआईएसटी) था, जो पेट का रेयर कैंसर है। यह ट्यूमर पाचन तंत्र से जुड़े आइसीसी (इंटरस्टीशियल सेल्स आफ काजल) से शुरू होता है।

    आइसीसी को पाचन तंत्र का पेसमेकर भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग महिला को आठ माह से यह ट्यूमर था। इसके कारण भूख नहीं लगने से वह ठीक से खाना नहीं खा पा रही थीं। इस वजह से उनका वजन कम होता जा रहा था।

    ट्यूमर में भरा था दो किलोग्राम पानी

    ट्यूमर पेट के पूरे हिस्से में फैल चुका था और यह छोटी आंत, बड़ी आंत, यूरिनरी ब्लैडर सहित पेट में कई महत्वपूर्ण अंगों के साथ चिपका हुआ था। इसलिए उसे निकाल पाना चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने बताया कि कई अस्पतालों में इलाज के लिए भटकने के बाद वह बुजुर्ग महिला मरीज सफदरजंग अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचीं।

    शुरुआत में मेडिकल आंकोलाजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा कीमोथेरेपी देकर ट्मूमर छोटा करने का प्रयास किया गया। दो माह में भी इससे खास फायदा नहीं होने के बाद मरीज को सर्जरी विभाग में स्थानांतरित किया गया। इसके बाद तुरंत मरीज की सर्जरी की गई। इस दौरान पेट के सभी अंगों के साथ ट्यूमर के चिपके हुए हिस्से को सावधानी के साथ काटकर अलग कर ट्यमर निकाला गया।

    इस दौरान मरीज को काफी रक्तस्राव भी हुआ, लेकिन एनेस्थीसिया के डॉक्टरों के साथ मिलकर सफल सर्जरी की गई। ट्यूमर में दो किलोग्राम पानी भी भरा था। इस तरह वह अपने साथ 12.6 किलोग्राम वजन उठाकर चलने के लिए मजबूर थीं। सर्जरी के बाद मरीज को इस परेशानी से राहत मिली है।

    विभाग से छुट्टी देने के बाद अब मेडिकल आंकोलाजी विभाग के डाक्टर उन्हें कीमो देंगे। वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज व सफदरजंग अस्पताल के निदेशक डॉ. संदीप बंसल ने इसे जटिल सर्जरी बताते हुए कहा है कि अस्पताल मरीजों को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है।