Manish Sisodia Bail: 'सांप-सीढ़ी का गेम नहीं खेल सकते', सिसोदिया की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा
Manish Sisodia को आज Delhi Excise Policy Scam केस में जमानत देते हुए एक मौका ऐसा आया जब अदालत को यह कहना पड़ा कि हम उन्हें सांप-सीढ़ी का खेल खेलने को नहीं कह सकते। हम नहीं कह सकते कि एक नागरिक बार-बार पिलर से पोस्ट तक दौड़ लगाए। कोर्ट ने अपनी बात से यह स्पष्ट कर दिया कि फिर से सिसोदिया को ट्रायल कोर्ट जाने के लिए नहीं कह सकती।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री Manish Sisodia को Bail मिल गई है। देश की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें शुक्रवार को Delhi Liquor Scam Case में ईडी और सीबीआई दोनों मामलों में नियमित जमानत दे दी है।
इसके साथ ही अदालत ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कई शर्तें जरूर लगाईं हैं लेकिन मुख्यमंत्री दफ्तर या दिल्ली सचिवालय जाने से नहीं रोका है। इसी दौरान कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की, जो अन्य केसों में भी मील का पत्थर बनेगा।
जस्टिस बीआर गवई की अहम टिप्पणी
जस्टिस बीआर गवई ने बीते अक्टूबर में सिसोदिया को दी गई जमानत याचिका वापस दायर करने की छूट की बात दोहराते हुए कहा कि इस कोर्ट ने ही याचिकाकर्ता को अपनी याचिका को रिवाइव करने की आजादी दी थी। अब उन्हें दोबारा ट्रायल भेजने का मतलब होगा कि हम उन्हें सांप-सीढ़ी का गेम खेलने को कह रहे हैं।
एक नागरिक को इधर-उधर दौड़ने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। 4 जून के ऑर्डर में कहा गया था कि यह मेरिट्स में नहीं जा रहा। कोर्ट ने एसजी के आश्वासन को मान लिया था कि जांच पूरी हो जाएगी और 3 जुलाई से पहले चार्जशीट फाइल हो जाएगी।
यह न्याय का मजाक होगा...
जस्टिस गवई ने आगे कहा, कि यह न्याय का मजाक होगा कि हम याचिकाकर्ता को वापस ट्रायल कोर्ट भेज दें। हम पीएमएलए के सेक्शन 45 को ध्यान में रख रहे हैं। अक्टूबर 2023 को इसी कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल में देरी हुई तो ऐसा किया जाएगा।
जस्टिस गवई आगे बोले, सवाल है कि क्या निचली अदालत और हाईकोर्ट ने ट्रायल में देरी को ध्यान में रखा कि नहीं। हमारे हिसाब से ऐसा नहीं किया गया।
ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता की उस बात पर ध्यान नहीं दिया कि वह ट्रायल में देरी के लिए जिम्मेदार नहीं है।
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