37वां गणेशोत्सव: मयूर विहार में गणपति महोत्सव की धूम, महाराष्ट्र मंडल के इतिहास में मील का पत्थर है यह आयोजन
Ganeshotsav 2024 महाराष्ट्र मंडल मयूर विहार में 37वां गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार उत्सव नए पुनर्निर्मित गार्ग सेलिब्रेशन प्लेस में आयोजित किया जा रहा है। गणपति स्थापना आरती अंताक्षरी संगीत कार्यक्रम जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। जागरण कनेक्ट इस आयोजन का डिजिटल मीडिया पार्टनर है। यह आयोजन मंडल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। महाराष्ट्र मंडल, मयूर विहार, जो पिछले चार दशकों से मराठी संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित और प्रोत्साहित करता आ रहा है, इस वर्ष अपना 37वां गणेशोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मना रहा है। यह आयोजन मंडल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो अपने सदस्यों और गणपति भक्तों के लिए सामुदायिक जुड़ाव का एक प्रमुख मंच प्रदान करता है।
इस वर्ष का गणेशोत्सव विशेष होगा क्योंकि इसका आयोजन 7 और 8 सितंबर 2024 को नए पुनर्निर्मित गार्ग सेलिब्रेशन प्लेस, मयूर विहार फेज-1 में किया जा रहा है। यह स्थान अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है और एक भव्य आयोजन के लिए पूरी तरह से उपयुक्त है।
उत्सव की मुख्य विशेषताएं
गणेशोत्सव के दौरान, दो दिवसीय कार्यक्रम में गणपति स्थापना और आरती जैसे धार्मिक अनुष्ठान होंगे, जो भक्तों को भगवान गणेश के आशीर्वाद के साथ जुड़ने का अवसर देंगे। इसके अलावा, मंडल ने मनोरंजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी व्यवस्था की है, जिसमें अंताक्षरी, संगीत कार्यक्रम जैसे मजेदार और सामुदायिक भावना को बढ़ाने वाले कार्यक्रम शामिल हैं। आयोजन के अंतिम दिन महाप्रसाद की भी व्यवस्था की गई है, जो पारंपरिक तरीके से सभी भक्तों को परोसा जाएगा।
इस उत्सव में मराठी संस्कृति और उसकी समृद्ध परंपराओं को प्रदर्शित करते हुए, मंडल यह सुनिश्चित करता है कि हर साल यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और सामुदायिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो।
जागरण कनेक्ट की भागीदारी
इस गणेशोत्सव के लिए जागरण कनेक्ट को डिजिटल मीडिया पार्टनर के रूप में चुना गया है। जागरण कनेक्ट, जो जागरण का कम्युनिटी प्लेटफॉर्म है, इस पूरे आयोजन को व्यापक रूप से कवर करेगा। यह साझेदारी न केवल महाराष्ट्र मंडल की पहचान को और व्यापक बनाएगी बल्कि उनके कार्यक्रमों को और अधिक लोकप्रियता दिलाने में मदद करेगी।
यह आयोजन मंडल के समर्पण और मराठी समुदाय को एकजुट करने के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का एक सशक्त उदाहरण है। गणेशोत्सव की यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को पोषित करती है, बल्कि समाज के भीतर एक मजबूत सांस्कृतिक और भावनात्मक जुड़ाव का भी प्रतीक है।