Delhi Chunav: जब मदनलाल खुराना ने CM पद से दिया था इस्तीफा, पढ़िए अब तक कौन-कौन रह चुका है दिल्ली का मुख्यमंत्री
Delhi Chunav 2025 के लिए सभी 70 सीटों पर एक चरण में पांच फरवरी को वोटिंग होगी और इसके नतीजे आठ फरवरी को आएंगे। 1952 के बाद से दिल्ली की राजनीति में कई उतार-चढ़ाव आए। दिल्ली में एक बार विधानसभा का अस्तित्व समाप्त खत्म होने के साथ दो बार राष्ट्रपति शासन भी लग चुका है। दिल्ली के तीसरे मुख्यमंत्री ने मदनलाल खुराना ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया था।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश की राजनीति में भी कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। आजादी के बाद 1951 में दिल्ली विधानसभा का गठन हुआ था। 1952 में विधानसभा का चुनाव हुआ। ब्रह्मप्रकाश पहले मुख्यमंत्री बने, लेकिन कुछ समय बाद विधानसभा के अस्तित्व को समाप्त कर दिल्ली को पूरी तरह से केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
परिसीमन के बाद 1993 में हुए चुनाव
सत्ता की बागडोर केंद्र के हाथों में आ गई। उप राज्यपाल केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में प्रदेश की सत्ता को चलाते रहे। लंबे समय तक दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश रहा। लोगों की मांग पर 1991 में फिर से विधानसभा का गठन किया गया। परिसीमन के बाद 1993 में चुनाव हुए। इसमें 49 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते।
2 दिसंबर 1993 को मुख्यमंत्री बने मदनलाल खुराना
कांग्रेस को सिर्फ 14 सीटों से संतोष करना पड़ा। तीसरी पार्टी के रूप में जनता दल ने चार सीट जीती थीं। भाजपा के मदनलाल खुराना ने दो दिसंबर 1993 के प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वह मोती नगर विधानसभा सीट से जीते थे। पंजाबी समाज से ताल्लुक रखने वाले खुराना जमीनी नेता थे।
झाड़ू लेकर सड़कों पर उतर जाते थे खुराना
खुराना मुख्यमंत्री होते हुए खुद अपने हाथों में झाड़ू लेकर सफाई करने सड़कों पर उतर जाते थे। उनके जीवन में एक समय ऐसा आया, जब उन पर मुख्यमंत्री रहते हुए 1996 हवाला स्कैम में शामिल होने का आरोप लगा। जैन हवाला डायरी कांड में उनका नाम भी शामिल होने की बात कही गई।
भ्रष्टाचार के आरोप पर दिया था इस्तीफा
खुराना पर 1989 में हवाला कारोबारी जैन बंधुओं से तीन लाख रुपये लेने के आरोप लगे। विपक्षी दलों के तेवरों के आगे भाजपा कमजोर न पड़े, इसलिए मदनलाल खुराना स्वयं आगे आए और जांच में सहयोग करने की बात कर पद से इस्तीफा दे दिया। नैतिकता के आधार पर दिए गए इस्तीफे की लोगों ने सराहना की। वह दो वर्ष 86 दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे।
साहिब सिंह वर्मा को मिली दिल्ली की कमान
उनकी जगह भाजपा ने साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री बनाया। हालांकि, बाद में अदालत से मदनलाल खुराना को क्लीनचिट दे दी गई। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं का एक वर्ग उन्हें फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा देखना चाहता था, लेकिन पार्टी ने उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया।
विधानसभा चुनाव से पहले साहिब सिंह वर्मा को भी हटा दिया गया। उनकी जगह सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई। यानी भाजपा का पांच वर्ष का शासन काल भी उतार चढ़ाव वाला रहा।
दिल्ली के मुख्यमंत्रियों की लिस्ट
नाम | कब से कब तक |
ब्रहमप्रकाश यादव | 17 मार्च 1952 से 12 फरवरी 1955 तक |
गुरमुख निहाल सिंह | 12 फरवरी 1955 से 01 नवंबर 1956 तक |
राष्ट्रपति शासन | 1956 से 1993 तक |
मदनलाल खुराना | 02 दिसंबर 1993 से 26 फरवरी 1996 तक |
साहिब सिंह वर्मा | 26 फरवरी 1996 से 12 अक्टूबर 1998 तक |
सुषमा स्वराज | 12 अक्टूबर 1998 से 03 दिसंबर 1998 तक |
शीला दीक्षित | 03 दिसंबर 1998 से 01 दिसंबर 2003 तक |
शीला दीक्षित | 01 दिसंबर 2003 से 29 नवंबर 2008 तक |
शीला दीक्षित | 29 नवंबर 2008 से 28 दिसंबर 2013 तक |
अरविंद केजरीवाल | 28 दिसंबर 2013 से 14 फरवरी 2014 तक |
राष्ट्रपति शासन | 14 फरवरी 2014 से 14 फरवरी 2015 तक |
अरविंद केजरीवाल | 14 फरवरी 2015 से 15 फरवरी 2020 तक |
अरविंद केजरीवाल | 16 फरवरी 2020 से 17 सितंबर 2024 तक |
आतिशी | 17 सितंबर 2024 से वर्तमान में |
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