Blackout In Delhi: 15 मिनट तक अंधेरे में डूबी रही लुटियंस दिल्ली, 54 साल बाद दिखा ऐसा नजारा
54 साल बाद लुटियंस दिल्ली में 15 मिनट के लिए बिजली कटौती की गई जिससे 1971 के युद्ध की यादें ताजा हो गईं। एनडीएमसी ने ऑपरेशन अभ्यास के तहत रात 8 बजे बिजली आपूर्ति रोकी। राष्ट्रपति भवन और कुछ अस्पतालों को छोड़कर कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अंधेरा छा गया। कनॉट प्लेस और खान मार्केट जैसे बाजारों में भी ब्लैक आउट का अनुभव हुआ।

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। लुटियंस दिल्ली ने 54 वर्ष बाद अभूतपूर्व क्षण देखा, जब साढ़े तीन किमी का क्षेत्र 15 मिनट तक अंधेरे में डूब गया। ''ऑपरेशन अभ्यास'' के तहत ठीक रात्रि आठ बजे एनडीएमसी के एक हजार से अधिक सब स्टेशनों से बिजली आपूर्ति रोक दी गई।
केवल, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास व चार अस्पताल (एम्स, आरएमएल, सफदरजंग व लेडी हार्डिंग) में बिजली आपूर्ति बरकरार रखी गई। इसके अतिरिक्त नार्थ ब्लाक, साउथ ब्लाक, सुप्रीम कोर्ट के जज, सभी दूतावास व उच्चायोग, राज्यों के भवन समेत एनडीएमसी के सभी 10 से अधिक फाइव स्टार होटलों, क्लबों व बाजारों के साथ आवासीय क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति अल्प समय के लिए बाधित कर दी गई।
ब्लैक आउट से पूर्व बाराखंभा रोड। फोटो- हरीश कुमार
दिल्ली की सभी बाजारों में छाया अंधेरा
यहां तक कि चाणक्यपुरी स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में भी अंधेरा पसर गया। कनॉट प्लेस, खान मार्केट पालिका बाजार व सरोजनी नगर समेत सभी बाजारों में भी रात्रि आठ बजे अंधेरा छा गया। स्ट्रीट लाइट व रेड लाइट भी बंद हो गई थी। ऐसा मंजर लुटियंस दिल्ली ने वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान देखा था।
यहां नहीं हुआ अंधेरा
प्रधानमंत्री आवास व राष्ट्रपति भवन तथा चार अस्पताल (एम्स, आरएमएल, सफदरजंग व लेडी हार्डिंग)
यहां हुआ अंधेरा
नार्थ ब्लाक व साउथ ब्लाक, केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज, सभी केंद्रीय मंत्री, सांसद, दूतावास व उच्चायोग के कार्यालय- घर, साथ सभी पंचतारा होटल, कनॉट प्लेस व खान मार्केट जैसे सभी बाजार
लुटियंस दिल्ली कितने हैं बिजली के कनेक्शन?
एनडीएमसी के एक अधिकारी के अनुसार, लुटियंस दिल्ली में 25 हजार से अधिक बिजली के कनेक्शन है, जिसमें से कुछ को छोड़कर बाकि की आपूर्ति रोक दी गई थी। जिसकी जिम्मेदारी सभी एक हजार से अधिक सब स्टेशनों के कर्मी ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उनके अनुसार, इस ब्लैक आउट की जानकारी सभी उपभोक्ताओं को समय रहते दे दी गई थी।
समय 8 : 15 ब्लैक आउट के दौरान कनॉट प्लेस में जल गइ लाइटें। हरीश कुमार
युवाओं ने पहली बार सुना ब्लैक आउट
जानकार लोग वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध को याद कर रहे थे। तब भी ब्लैक आउट था। कनॉट प्लेस के निवासी व दुकानदार अमित गुप्ता के अनुसार, उन्होंने अपने दादा से ब्लैक आउट के बारे में सुना था। पहली बार इसे देख भी लिया।
कनॉट प्लेस में 500 से अधिक दुकानें व 250 से अधिक रेस्तरां है। उनके साथ कनॉट प्लेस के गलियारों से लेकर सड़कों तक पर रात्रि आठ बजे से 15 मिनट के लिए अंधेरा छा गया। जो जहां था वहां कुछ देर के लिए रूक गया। दुकानों और रेस्तरां में जो जहां रहा, वहीं ठहर गया। गलियारों में लोग स्मार्टफोन का सहारा लेते दिखे।
सड़कों पर केवल वाहनों की लाइटों जल रही थी। वैसे, बंद रेड लाइट पर लगे लाउट स्पीकर लोगों को ब्लैक आउट की जानकारी देते हुए उनसे सहयोग की अपील कर रहे थे। दिल्ली पुलिस व यातायात पुलिस मौके पर व्यवस्था को संभाल रही थी। बाजार संगठनों व आरडब्लूए ने पूरा सहयोग दिया। गोल मार्केट जैसी आवासीय कालोनियों में भी अंधेरा रहा। बाहरी दिल्ली के रोहिणी के एक माल में ऐच्छिक ब्लैक आउट रखा।
दिन में मॉक ड्रिल रात में ब्लैक आउट
खान मार्केट दिनभर व्यस्त रहा। दोपहर में मॉक ड्रिल में भाग लिया तो रात्रि आठ बजे अंधेरा छा गया। खान मार्केट दिल्ली का प्रतिष्ठित बाजार हैं, जहां बड़ी संख्या में विदेशी भी खरीदारी करने आते हैं। उनके बीच भी भारत-पाक के बीच तनाव के साथ मॉक ड्रिल तथा ब्लैक आउट की चर्चा होती रहीं।
वैसे, खान मार्केट में आम दिनों की तुलना में कम खरीदार व पर्यटक थे। खान मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बृज किशोर खोसला ने बताया कि सुबह जहां डीडीएमए अधिकारियों के साथ बैठक चली। फिर मॉक ड्रिल फिर ब्लैक आउट हुआ। नेमिष हेमंत, सात मई
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