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    Lok Sabha Elections: BJP के कई सांसदों के कट सकते हैं टिकट, AAP-कांग्रेस के गठबंधन से भाजपा हुई सतर्क

    आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने से लोकसभा चुनाव में लड़ाई आमने-सामने की हो गई है। इसे ध्यान में रखकर पार्टी प्रत्याशियों का चयन करेगी। ऐसे में अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और जनता से दूरी बनाने वाले सांसदों की मुश्किल बढ़ सकती हैं। पदाधिकारियों से संवाद के लिए प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में प्रदेश से दो-दो पर्यवेक्षक भेजे गए थे।

    By Santosh Kumar Singh Edited By: Shyamji Tiwari Updated: Tue, 27 Feb 2024 03:02 PM (IST)
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    BJP के कई सांसदों के कट सकते हैं टिकट

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आप-कांग्रेस के बीच दिल्ली में गठबंधन से भाजपा नेतृत्व सतर्क हो गया है। सभी लोकसभा क्षेत्र में योग्य प्रत्याशियों की तलाश शुरू हो गई है। संबंधित संसदीय क्षेत्र के पदाधिकारियों से बात कर रिपोर्ट बनाई जा रही है। नमो एप पर सांसदों के कामकाज को लेकर आम जनता से प्रतिक्रिया ली जा रही है।

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    आप-कांग्रेस गठबंधन से BJP सतर्क

    इसे भी टिकट बंटवारे का आधार बनाया जाएगा। माना जा रहा है कि अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और जनता से दूरी बनाने वाले सांसदों की मुश्किल बढ़ सकती हैं। आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन होने से लोकसभा चुनाव में लड़ाई आमने-सामने की हो गई है। इसे ध्यान में रखकर पार्टी प्रत्याशियों का चयन करेगी।

    प्रत्याशियों की संभावित सूची तैयार

    कई सांसदों को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। कार्यकर्ताओं और आम नागरिक के साथ उनके संबंध एवं क्षेत्र में उनकी सक्रियता की जानकारी एकत्रित की जा रही है। सोमवार को सातों सीटों से संबंधित पदाधिकारियों से बात कर सांसदों के कामकाज की जानकारी लेने के साथ ही संभावित प्रत्याशियों की सूची तैयार की गई।

    इस बार ज्यादा सांसदों के कटेंगे टिकट

    वर्ष 2019 में पूर्वी दिल्ली में सांसद महेश गिरि की जगह गौतम गंभीर को टिकट दिया गया था। वहीं, उत्तर पश्चिमी दिल्ली से उदित राज का टिकट काटकर हंसराज हंस को चुनाव लड़ाया गया था। भाजपा नेताओं का कहना है कि इस चुनाव में पिछली बार से ज्यादा सांसदों के टिकट कट सकते हैं।

    दिल्ली की सातों सीटें भाजपा के पास हैं। लोकसभा क्षेत्र में आने वाले संगठनात्मक जिलों के अध्यक्ष, पूर्व अध्यक्ष, जिलों के प्रभारी, सह प्रभारी, उस क्षेत्र में रहने वाले प्रदेश या राष्ट्रीय पदाधिकारियों से संवाद के लिए प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में प्रदेश से दो-दो पर्यवेक्षक भेजे गए थे।

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