विवादित पोस्ट को लाइक करना भी पहुंचा सकता है जेल, सोशल मीडिया पर गलत पोस्ट से बचें
सोशल मीडिया जैसे एक्स (ट्विटर) फेसबुक और वॉट्सऐप पर आने वाले किसी भी पोस्ट पर कमेंट्स शेयर लाइक करने से पहले उसके तथ्य को ध्यान से पढ़ लेना चाहिए। यदि किसी विवादित पोस्ट को लाइक भी कर दिया तो आप जेल जा सकते हैं। यह बातें कानूनी विशेषज्ञ और नई दिल्ली बार एसोसिएशन पटियाला हाउस कोर्ट के पूर्व सचिव वीरेंद्र कसाना ने सोमवार को दैनिक जागरण विमर्श के दौरान कही।

दक्षिणी दिल्ली, शनि पाथौली। सोशल मीडिया जैसे एक्स (ट्विटर), फेसबुक और वॉट्सऐप पर आने वाले किसी भी पोस्ट पर कमेंट्स, शेयर, लाइक करने से पहले उसके तथ्य को ध्यान से पढ़ लेना चाहिए। यदि किसी विवादित पोस्ट को लाइक भी कर दिया तो आप जेल जा सकते हैं। यह बातें कानूनी विशेषज्ञ और नई दिल्ली बार एसोसिएशन पटियाला हाउस कोर्ट के पूर्व सचिव वीरेंद्र कसाना ने सोमवार को दैनिक जागरण विमर्श के दौरान कही।
गलत पोस्ट से बचने की जरूरत
दैनिक जागरण विमर्श में वीरेंद्र कसाना ने सोशल मीडिया पर गलत पोस्ट से बचें विषय पर अपनी राय रखी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर गलत पोस्ट करने को लेकर सचेत किया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना आवश्यक लगता है तो उसे परिणाम भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी 2018 में महिला पत्रकारों के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणियों सं संबंधित फेसबुक पोस्ट साझा करने वाले तमिलनाडु के पूर्व विधायक व अभिनेता एसवी शेखर की याचिका पर की थी।
पोस्ट शेयर व कमेंट्स करने पर धारा 34 बना देती है समान दोषी
इसको लेकर कानूनी विशेषज्ञ वीरेंद्र कसाना ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट को लाइक, शेयर या उस पर कमेंट्स करता है तो आइपीसी की धारा 34 (समान नियम) के तहत आरोपित होता है। उस पर भी उतनी ही कार्रवाई की जाएगी, जितनी पोस्ट करने वाले असली यूजर पर होगी। इसलिए सोशल मीडिया का प्रयोग करते समय बेहद सावधानी बरती चाहिए।
आइटी एक्ट 2000 की धारा एफ करा सकती है उम्रकैद
वीरेंद्र कसाना ने बताया कि वर्तमान में सोशल मीडिया से जुड़े अपराध पर आइटी एक्ट 2000 की धारा 66 ई और 66 एफ के तहत केस दर्ज किए जाते हैं। किसी की निजी जानकारी को इंटरनेट, मोबाइल या कम्प्यूटर के माध्यम से सार्वजनिक करने के संदर्भ में धारा 66 ई के तहत कार्रवाई की जाती है।
इसके तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल कैद की सजा हो सकती है, जबकि धारा 66एफ में दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति देश की सुरक्षा या गोपनीय जानकारी इटरनेट, मोबाइल या कम्प्यूटर के माध्यम से सार्वजनिक करता है तो उस पर आइटी एक्ट की धारा 66एफ के तहत केेस दर्ज किया जाता है। इसमें दोषी पाए जाने पर उम्रकैद की सजा हो सकती है। इसे साइबर आतंकवाद भी कहा जाता है। इसलिए देश की सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ी कोई गोपनीय जानकारी इंटरनेट पर साझा करने से बचना चाहिए।
करना पड़ सकता है आपराधिक मानहानि का भी सामना
इटरनेट मीडिया पर की गई विवादित पोस्ट से आपराधिक मानहानि का भी सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञ वीरेंद्र ने बताया कि यदि आप किसी व्यक्ति के बारे में इटरनेट मीडिया के माध्यम से फर्जी या झूठी सूचना फैलाते हैं तो आपराधिक और दीवानी मानहानि का सामना पड़ना पड़ सकता है। जिस व्यक्ति के खिलाफ झूठी जानकारी सार्वजनिक की गई, वह आपराधिक मानहानि का केस दायर कर सकता है।
इतना ही नहीं, वह देश के किसी भी हिस्से में एफआईआर दर्ज करा सकता है। चूंकि सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को संबंधित व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से में मोबाइल पर देख सकता है। फिर दावा कर सकता है कि उसकी मानहानि दिल्ली या मुम्बई में हुई।
दीवानी मानहानि के मामले में पीड़ित व्यक्ति रुपयों में अपनी कीमत तय करता है। ऐसे मामलोें में आमतौर पर एक करोड़ या इससे अधिक कीमत की मानहानि का मामला दर्ज कराया जाता है। इसमें मानहानि के पैसे देने पर आरोपित को सजा नहीं होती, जबकि आपराधिक मानहानि में दो साल साज की सजा का प्रावधान है।
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