Delhi Chunav Result: LG की सक्रियता से बढ़ती गईं AAP सरकार की मुश्किलें, एक के बाद एक झटके से उबर नहीं पाई पार्टी
LG Vk Saxena की सक्रियता से Aam Aadmi Party की सरकार को लगातार झटके लगे। विकास कार्यों में तेजी लाने और शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करने की प्रवृत्ति ने आप सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। प्रचार के दौरान ही चर्चा होने लगी थी कि जब सरकार एलजी और केंद्र सरकार की वजह से काम नहीं कर पा रही है तो उसे वोट क्यों दिया जाए!

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। सत्ता विरोधी जिस लहर के चलते इस चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) को करारी शिकस्त मिली है, वह कुछ दिनों में नहीं बनी थी। यह माहौल एलजी वीके सक्सेना की ढाई वर्ष की सक्रियता का नतीजा था। दिल्ली में विकास को गति देने के लिए उनकी भागदौड़ और शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करने की प्रवृत्ति आप सरकार के लिए गले की फांस बन गई।
चुनाव प्रचार के दौरान तो यह चर्चा आम हो गई थी कि जब यह सरकार एलजी और केंद्र सरकार की वजह से काम कर ही नहीं पा रही है तो फिर उसे वोट दिया ही क्यों जाए! कांग्रेस से 15 साल लंबी सत्ता छीनकर 2013 में आप ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनाई तो एलजी नजीब जंग थे।
एलजी और केजरीवाल के बीच कैसे शुरू हुई जंग!
अधिकारों एवं अभिमान की रस्साकशी में खींचतान भी तभी शुरू हो गई। केजरीवाल और जंग के बीच टकराव की मुख्य वजह उपराज्यपाल से सलाह के बिना मुख्य सचिव की नियुक्ति और उनकी सहमति के बिना भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू करने जैसे मुद्दे थे। इस खींचतान ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की स्थिति को लेकर कानूनी विवाद को जन्म दिया।
यह कानूनी विवाद मुख्यतया दिल्ली के केंद्रशासित प्रदेश होने के विशेष दर्जे के मद्देनजर एलजी की प्रशासनिक शक्तियों को लेकर था। 49 दिन बाद इस्तीफा देकर 2015 में आप सरकार बहुमत के साथ फिर से सत्ता में आई तो यह विवाद दोबारा तूल पकड़ने लगा। दिसंबर 2016 में नजीब जंग ने इस्तीफा दे दिया। अगले एलजी अनिल बैजल बने। उनके साथ भी आप सरकार की यह खींचतान ऐसे ही चलती रही।
टकराव से विकास की दौड़ में पिछड़ने लगी दिल्ली
एक बार तो आप सरकार के मंत्री सीसीटीवी कैमरों को लेकर राजनिवास में ही धरने पर बैठ गए। कई साल तक चली खींचतान के बाद दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2021 आया। इसके बाद सरकार की शक्तियां और अधिकार सिमट गए, लेकिन उनके आरोप प्रत्यारोप बढ़ने लगे। इस सबके बीच दिल्ली पिसने लगी, विकास की दौड़ में भी पिछड़ने लगी।
वीके सक्सेना की एलजी पद पर कब हुई नियुक्ति?
26 मई 2022 को वीके सक्सेना ने एलजी का पद संभाला। इन्होंने अपनी विशेष रणनीति के तहत आप सरकार को उसी के हिस्से के कामकाज पर घेरना शुरू कर दिया। वह राजनिवास में राजसी सुख लेने के बजाए सड़कों पर उतर गए। विभिन्न मुद्दों पर आप सरकार को न केवल आइना दिखाया बल्कि खुद अपने हाथ में कमान लेकर सुधार की दिशा में आगे बढ़ने लगे।
इससे आप सरकार के दावों की कलई खुलने लगी। रही सही कसर उन घोटालों ने कर दी, जिनकी जांच के आदेश देने में सक्सेना ने जरा भी समय नहीं लगाया। जांच में तेजी से पहले सत्येंद्र जैन, फिर मनीष सिसोदिया, उसके बाद अरविंद केजरीवाल व संजय सिंह भी सलाखों के पीछे जा पहुंचे। इससे राजधानी में हो रहा थोड़ा बहुत विकास कार्य भी ठप पड़ने लगा। नतीजा, सरकार के लोगों में गुस्सा भरने लग लगा।
कुछ तरह आप सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करते गए सक्सेना
- पद की शपथ लेते ही एलजी वीके सक्सेना धौला कुंआ से एयरपोर्ट के दौरे पर निकल गए। वहां की बदहाली पर सरकार को घेरा।
- सराय काले खां बस अडडे के सामने पड़े मलबे के ढेर को डीडीए से साफ करवाया और बांसेरा जैसा पिकनिक स्पॉट बनवाया।
- कूड़े के पहाड़ हटाने में जुट गए लेकिन आप सरकार को परेशानी होने लगी। सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर कर एलजी के प्रयास रूकवा दिए।
- सक्सेना ने यमुना की सफाई का बीड़ा उठाया तो आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर कर यहां भी स्टे ले लिया।
- एलजी ने नजफगढ़ नाले की सफाई शुरू करवाई तो आप सरकार को यह भी रास नहीं आया। उन्हें सहयोग करने से मना कर दिया गया।
- सरकार लगातार यह आरोप लगाने लगी कि एलजी चुनी हुई सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं। जबकि एलजी एक जगह से रोके जाने पर दूसरा काम करने में लग जाते थे।
- आबकारी घोटाला, फीडबैक यूनिट, डीटीसी घोटाला और क्लासरूम घोटाले की फाइलें आई तो एलजी ने तत्परता से उनकी जांच को आगे बढ़वाया।
- यमुना में बाढ़ आई तो एलजी ने यमुना में सिल्ट का मुददा उठाया और शहर में जगह जगह हुए जलभराव पर आप सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
- आप सरकार एलजी को रोकने में लगी रही जबकि एलजी कारपोरेट घरानों की मदद से जी 20 के दौरान भी दिल्ली को संवारने में कामयाब हो गए।
- एमसीडी की खींचतान और केजरीवाल के जेल जाने पर भी एलजी ने बहुत समझदारी से काम लिया। यहां भी सरकार की छवि प्रभावित हुई।
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