LG के आदेश के विरोध में वकीलों ने ठप किया अदालतों का कामकाज, ये है पूरा मामला
दिल्ली में पुलिस थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा गवाही पेश करने के आदेश के विरोध में वकीलों ने हड़ताल की जिससे अदालतों का कामकाज ठप हो गया। तीस हजारी कोर्ट के बाहर वकीलों ने सड़क जाम की और अन्य अदालतों में भी प्रदर्शन किया। वकीलों ने एलजी के आदेश को रद करने की मांग की और हड़ताल जारी रखने का फैसला किया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली में पुलिस थानों से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गवाही व साक्ष्यों को पेश करने की अनुमति देने से संबंधित आदेश को वापस लेने की मांग पर अड़े अधिवक्ताओं ने सोमवार को विभिन्न जिला अदालतों का कार्य पूरी तरह से ठप रखा।
एलजी के आदेश के खिलाफ आंदोलन तेज करते हुए सोमवार को तीस हजारी कोर्ट के बाहर अधिवक्ता सड़क पर बैठ गए। वहीं, दूसरी तरफ राउज एवेन्यू, पटियाला हाउस, कड़कड़डूमा, द्वारका और रोहिणी कोर्ट में भारी संख्या में मौजूद अधिवक्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया।
वहीं, दिन भर चले विरोध प्रदर्शन के बाद शाम को तीस हजारी अदालत परिसर में हुई सभी जिला अदालतों की समन्वय समिति की बैठक में 26 अगस्त को भी हड़ताल जारी रखने का निर्णय लिया गया।
22 अगस्त से कार्य से विरक्त रहने वाले अधिवक्ताओं ने सोमवार को न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया। इस दौरान वकीलों ने न केवल अदालत परिसरों में पुलिसकर्मियों और सरकारी वकीलों को प्रवेश करने से रोका, बल्कि सड़क पर उतरकर प्रदर्शन भी किया।
तीस हजारी कोर्ट के बाहर अधिवक्ताओं ने चक्का जाम करते हुए विरोध-प्रदर्शन किया और इस दौरान लग रहे जाम को खुलवाने में पुलिस के पसीने छूट गए। कड़कड़डूमा कोर्ट की शाहदरा बार एसोसिएशन के सचिव नरवीर डबास ने घोषणा की कि किसी भी पुलिसकर्मी या सरकारी वकील को कोर्ट परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
इस दौरान साकेत कोर्ट में भी हड़ताल का असर दिखा और 100 से ज्यादा मामले प्रभावित हुए। कोर्ट रूम में वकीलों की गैरमौजूदगी के कारण अधिकांश मामलों में अगली तारीख देनी पड़ी।
साकेत बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजपाल कसाना ने कहा कि आदेश वापस नहीं हुआ तो एलजी कार्यालय का घेराव और चक्का जाम किया जाएगा। रोहिणी कोर्ट के अधिवक्ता मधुबन चौक पर पहुंचकर सड़क पर बैठ गए और पूरी सड़क जाम कर दी।
नई दिल्ली बार एसोसिएशन के सचिव तरुण राणा का कहना है कि इस संबंध में केंद्र सरकार की वर्ष 2024 की एक अधिसूचना है, जिसमें कहा गया था कि पुलिस स्टेशन या इसके कंट्रोल वाली जगह को आप सुबूत रिकार्ड करने की जगह नहीं बनाया जा सकता है।
वहीं, उक्त आदेश को दरकिनार करते हुए उपराज्यपाल ने 13 आदेश को यह आदेश पारित किया है, जिसमें पुलिस को थाने से ही वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये गवाही व साक्ष्यों को पेश करने की अनुमति दी गई है।
अधिवक्ताओं का कहना है कि यह कानून सम्मत न होकर एक मनमाना व असंवैधानिक आदेश है। नई दिल्ली बार एसोसिएशन के सचिव तरुण राणा का कहना है कि उपराज्यपाल के आदेश में किसी भी तरह के संशोधन को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इस आदेश को रद किया जाए और अगर कोई आदेश बनाना है तो इसके लिए एक कमेटी बनाई जाए। जिसमें अधिवक्ताओं को शामिल किया जाए और सभी की सलाह लेने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाए।
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