बातचीत के लिए ये ऐप यूज करते हैं लॉरेंस बिश्नोई के शूटर और गुर्गे, भारत में है बैन; नहीं पता चलती लोकेशन
Delhi Crime News दिल्ली पुलिस ने गैंगस्टर्स के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है जो आपस में संवाद करने के लिए अर्मेनियाई ऐप जंगी का इस्तेमाल कर रहे थे। यह ऐप इतना सुरक्षित है कि पुलिस भी इनकी निगरानी नहीं कर पा रही थी। गैंगस्टर्स सिम कार्ड का इस्तेमाल नहीं करते थे और राहगीरों के वाई-फाई पर निर्भर थे।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए गैंगस्टर्स के प्रमुख शूटरों व उनके गुर्गों से जुड़ी महत्वपूर्ण बात सामने आई है कि यह लोग आपस में संवाद (बातचीत) के लिए जंगी ऐप का उपयोग कर रहे थे। चाहे वह लॉरेंस बिश्नोई समूह हो या उसका प्रतिद्वंद्वी बंबिहा सिंडिकेट।
दिल्ली-एनसीआर और अन्य जगहों पर सक्रिय उनके गठबंधन, गैंगस्टर और उनके गुर्गे आपस में संवाद करने के लिए अर्मेनियाई एप्लिकेशन जंगी का इस्तेमाल करते पाए गए, जिससे उन पर निगरानी नहीं रखी जाए।
हिमांशु भाऊ के शूटरों ने किया खुलासा
कुछ महीने पहले, दिल्ली पुलिस ने गैंगस्टर हिमांशु भाऊ के दो शूटरों को गिरफ्तार किया थो, जिसमें पता चला था कि वह जंगी पर संवाद कर रहे थे। एक जांचकर्ता ने कहा कि एप्लिकेशन में भाऊ के निर्देश थे कि वे अलग-अलग स्थानों पर जोड़े में रहें, चुपके से हथियार इकट्ठा करें और अपराध करने के बाद सबूत नष्ट करें।
सिम कार्ड का नहीं करते थे प्रयोग
यह शूटर सिम कार्ड का उपयोग नहीं करते थे, बल्कि राहगीरों से वाई-फाई पर निर्भर थे और गोपनीयता बनाए रखने के लिए नियमित रूप से डेटा डिलीट करते थे। इसी तरह, भाऊ का एक और शूटर सुभाष, जो हत्या और जबरन वसूली के एक दर्जन से अधिक मामलों में शामिल था, सरगना से जुड़ने के लिए जंगी का इस्तेमाल करता पाया गया था।
बर्गर किंग के शूटरों ने इसी ऐप पर की थी बात
हाल ही में पश्चिमी दिल्ली में दो व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर गोलीबारी की घटनाओं में शामिल गैंगस्टर कपिल सांगवान के गुर्गे या बर्गर किंग शूटर भी ऐप पर संवाद करते पाए गए थे। पिछले महीने पकड़े गए गोगी गिरोह के कुछ सदस्य भी इसी ऐप पर संवाद करते पाए गए थे।
ऐप से ठिकाने का लगाना होता है मुश्किल
पुलिस के अनुसार, ऐप का अनट्रेसेबल नेटवर्क उनके लिए उपयोगकर्ताओं को ट्रैक करना और उनके ठिकानों का पता लगाना मुश्किल होता है। आमतौर पर, पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए संदिग्ध के मोबाइल या इंटरनेट नेटवर्क पर निर्भर करती है। हालांकि, जंगी किसी को अपना मोबाइल नंबर या ईमेल बताए बिना ऐप का उपयोग करने की अनुमति देता है।
इसके बजाय, यह अपना स्वयं का 10-अंकीय नंबर जेनरेट करता है, जिससे अपराधी अपने मोबाइल नंबर बताए बिना अपने सहयोगियों से संवाद कर सकते हैं। प्राप्तकर्ता की स्क्रीन पर केवल जेनरेट किया गया नंबर ही दिखाई देता है।
केंद्र ने जंगी सहित 14 मोबाइल मैसेजिंग एप्लिकेशन पर लगाया था प्रतिबंध
आरोपियों के बीच इसकी लोकप्रियता के बारे में बताते हुए साइबर सेल के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस ऐप में, जब आप कोई मैसेज भेजते हैं, तो वह सर्वर से होकर आपके इच्छित लक्ष्य तक पहुंचता है। जैसे ही मैसेज डिलीवर होता है, वह सर्वर से डिलीट हो जाता है।
इसलिए, मैसेजिस को ट्रैक नहीं किया जा सकता है और केवल प्राप्तकर्ता और भेजने वाला ही उन्हें या आडियो/वीडियो कॉल तक पहुंच सकते हैं। गैंगस्टर्स के अलावा, आनलाइन स्कैमर्स भी इस ऐप का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
पिछले साल, सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की सिफारिश पर, केंद्र ने जंगी सहित 14 मोबाइल मैसेजिंग एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनका उपयोग आतंकी समूहों द्वारा समर्थकों और ओवरग्राउंड वर्कर्स के साथ संवाद करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।
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