Delhi News: लाहौरी गेट हवेली को संग्रहालय में बदलेगा आइजीएनसीए, पुरानी दिल्ली का इतिहास होगा प्रदर्शित
दिल्ली की मशहूर लाहौरी गेट हवेली अब संग्रहालय बनेगी। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) और एमसीडी के बीच इस पर सहमति हुई है। 95 साल पुरानी इस हवेली का जीर्णोद्वार हो चुका है। एमसीडी फंड की कमी के कारण आईजीएनसीए की मदद ले रहा है। यहां पुरानी दिल्ली के इतिहास लाल किला जामा मस्जिद और चांदनी चौक के बाजार को प्रदर्शित किया जाएगा।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मशहूर लाहौरी गेट हवेली को संग्रहालय में बदलने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) और एमसीडी के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई है। 95 साल पुरानी इस हवेली का हाल ही में मरम्मत का कार्य पूरा हुआ था।
इसके बाद से ही एमसीडी की कोशिश इसे संग्रहालय के तौर पर विकसित करने की थी, लेकिन फंड के अभाव में एमसीडी इसे स्वयं न करने पर मजबूर थी। इसके तहत एमसीडी ने आइजीएनसीए का सहयोग लेने का निर्णय लिया था।
निगम ने एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अप्रैल में हवेली के जीर्णोद्वार का कार्य हुआ था। चूंकि हम इसे पुरानी दिल्ली के इतिहास को प्रस्तुत करने वाला संग्रहालय बनाना चाहते हैं इसलिए इसमें आइजीएनसीए हमारी मदद करेगा। इसमें हमारी उनसे सैद्धांतिक सहमति बन गई है।
अधिकारी ने बताया कि आइजीएनसीए इसमें गैलरी का डिजाइन बनाएंगे साथ ही इसमें क्या क्या स्थापित करना है क्या दस्तावेज रखने है यह भी आइजीएनसीए द्वारा तय किया जाएगा। एमसीडी की योजना है कि लाल किला, जामा मस्जिद, टाउन हाल, पारंपरिक हवेलियां और विभिन्न धर्मों के मंदिरों को भी प्रदर्शित किया जाएगा।
इसके अलावा, चांदनी चौक के बाजार, खाने और जीवनशैली के बारे में जानकारी भी दी जाएगी। संग्रहालय में किराना बाज़ार, सूखे मेवे, हस्तशिल्प और मीना बाजार के लिए अलग-अलग सेक्शन भी होंगे। यहां एक स्मृति चिह्न बिक्री की दुकान भी होगी।
अधिकारी ने आगे बताया कि लाहौरी गेट हवेली संग्रहालय में पहली मंजिल पर ऑडियो विजुअल कक्ष के साथ कैफेटेरिया भी होगा। इसका संचालन आइजीएनसीए द्वारा ही किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 1929 में बनी यह हवेली निजी तौर पर उपयोग की जाती थी। बाद में इसे एमसीडी डिस्पेंसरी के तौर पर उपयोग कर रही थी। वर्ष 2003 में हवेली की बुनियादी मरम्मत की गई थी, लेकिन बाद में इमारत खराब हो गई और जर्जर हो गई। केंद्र सरकार ने 2017 में हवेली को पुनर्जीवित करने के लिए 4.22 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इंटेक ने इसमें सलाहकार के तौर पर कार्य किया था।
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