Plastic Ban: बाजारों में एसयूपी के उचित विकल्प का अभाव, लोगों को थैला ले जाने की आदत नहीं
रेहड़ी-पटरी से लेकर रिहायशी कालोनियों के साप्ताहिक बाजारों और सब्जी मंडियों व बड़े बाजारों एसयूपी की प्रतिबंधित वस्तुओं का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। चंद लोग ही विकल्प के तौर पर कागज या कपड़े के थैले का उपयोग करते दिखाई दे रहे हैं।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध लगने के 10 दिन बाद भी यह बेअसर नजर आया। व्यापारियों और विक्रेताओं में चालान का डर तो है, लेकिन बाजारों में प्रतिबंध का मखौल उड़ रहा है। रेहड़ी-पटरी से लेकर रिहायशी कालोनियों के साप्ताहिक बाजारों और सब्जी मंडियों व बड़े बाजारों एसयूपी की प्रतिबंधित वस्तुओं का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। चंद लोग ही विकल्प के तौर पर कागज या कपड़े के थैले का उपयोग करते दिखाई दे रहे हैं। देशव्यापी प्रतिबंध में राष्ट्रीय राजधानी की यह तस्वीर ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। कई जगहों पर दुकानदार ग्राहकों से घर से थैला लाने की अपील करते दिखाई दिए। साथ ही इस बात की दुहाई देते रहे कि अगर निगम की टीम आ गई तो उनका चालान कट जाएगा।
प्रतिबंधित 19 वस्तुओं में पालीथिन का उपयोग सबसे ज्यादा
सबसे ज्यादा उपयोग हो रही पालीथिन सिंगल यूज प्लास्टिक में प्रतिबंधित 19 वस्तुओं में सर्वाधिक उपयोग पालीथिन का हो रहा है। सब्जी, फल से लेकर किराना और कास्मेटिक की दुकानों पर इसका उपयोग अभी भी जारी है। विक्रेताओं को अब भी पालीथिन का सस्ता विकल्प नहीं मिल रहा हैं, हालांकि जूस और रेस्तरां संचालकों ने प्लास्टिक के विकल्पों का उपयोग करना शुरू किया है।
चालान के वक्त एक ही तर्क, निकाल रहे हैं पुराना स्टाक
जिन विक्रेताओं का चालान कट रहा है, उनका अब भी यही तर्क हैं कि उनके पास पालीथिन का जो पुराना स्टाक पड़ा है, उसे निकाल रहे हैं। राजेंद्र नगर के पांडव नगर में नगर निगम का दस्ता कार्रवाई करने पहुंचा तो एक फल विक्रेता पालीथिन का उपयोग करते हुए पकड़े जाने पर कहने लगा कि वह उसके पास कुछ ही पालीथिन बची है। इसके खत्म होते ही कपड़े की थैलियों का उपयोग करेगा। हालांकि, बाजार में कुछ दुकानदार और पटरी विक्रेता ग्राहकों को थैला न लाने पर टोक रहे हैं। वह ग्राहकों को इसे लेकर जागरूक रहे हैं कि वे थैला लेकर आएं।
विशेषज्ञ की रायबंद हो पालीथिन का उत्पादन
प्रतिबंध के बेअसर होने पर विशेषज्ञ इसे विकल्पों का अभाव मान रहे हैं। पालीथिन का उत्पादन जारी होने की बात कह रहे हैं। नगर निगम में स्वच्छता मिशन के नोडल अधिकारी रहे राजीव जैन का कहना है कि एसयूपी की जिन वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध हैं। नियमानुसार उनके उत्पादन पर भी प्रतिबंध हैं, लेकिन अब भी पालीथिन की सप्लाई बाजारों में जारी है। जबकि इसका उत्पादन बंद होना चाहिए। शासन को चाहिए कि वह ऐसी इकाइयों को चिह्नित कर बंद कराए और विकल्पों का उत्पादन बढ़ाए। जब उत्पादन ज्यादा होगा तो एसयूपी वस्तुओं के विकल्पों के दाम भी कम हो जाएंगे। इसका लाभ छोटे दुकानदार भी उठा सकेंगे।
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