Kushak Mahal: क्या है कुशक महल का इतिहास? जिसे तुगलक ने शिकार के लिए बनवाया था
Kushak Mahal में पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी। यह महल जिसे फिरोजशाह तुगलक ने शिकार के लिए बनवाया था प्रधानमंत्री संग्रहालय परिसर में स्थित है। यहां पर्यटक सूचना केंद्र इतिहास की जानकारी वाले बोर्ड और बेंच लगाए जाएंगे। एएसआई समय-समय पर इसका संरक्षण करता रहता है। सुरक्षा के लिए रेलिंग लगाई गई है और अभी केवल अंग्रेजी में जानकारी उपलब्ध है।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। कुशक महल (Kushak Mahal) पर पर्यटकों के लिहाज से सुविधाएं विकसित की जाएंगी। तीन मूर्ति के पास प्रधानमंत्री संग्रहालय परिसर में स्थित यह महल पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण यह स्मारक माना जा रहा है।
बड़ी संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं। इसे देखते हुए यहां पर्यटक सूचना केंद्र, स्मारक के इतिहास से संबंधित हिंदी और अंग्रेजी में विस्तार सूचना बोर्ड व पर्यटकों के बैठने के लिए बेंच लगाए जाने की योजना है।
फिरोजशाह तुगलक ने कब कराया इसका निर्माण?
कुशक महल (Kushak Mahal) एक मध्ययुगीन संरक्षित इमारत में से एक है। कुशक महल का मतलब शिकार गाह (शिकार करने वाली जगह) है, जिसे 14 वीं शताब्दी में फिरोजशाह तुगलक ने बनवाया था। फिरोजशाह तुगलक ने सन 1351 से लेकर सन 1388 तक शासन किया था। इस स्मारक का स्वरूप आज भी लोगों को आकर्षिक करता है।
फिरोजशाह तुगलक द्वारा अपने बनवाए गए महल कोटला फिरोजशाह के अलावा उसके उसके द्वारा बनवाई गईं दो शिकारगाह भी चर्चित स्मारकों में शामिल हैं। इनमें एक शिकारगाह चाणक्यपुरी के सामने जंगल में स्थित है, जिसे मालचा महल कहा जाता है। दूसरी शिकारगाह कुशक महल है।
शिकार के दिनों में यही से शासन चलता था तुगलक
कुशल महल जिस स्थान पर बना है माना जाता है एक समय में यहां पर घना जंगल हुआ करता था। जिसके बीच में यह महल बना हुआ था ऐसा बताया जाता है कि फिरोजशाह तुगलक शिकार करने के लिए यहां पर काफी दिनों तक रहता था अपने लाव-लश्कर के साथ यहां ठहरता था और शिकार करने के दिनों में यही से अपना शासन चलता था।
यह शिकारगाह यानी कुशक महल अब अतिविशिष्ट इलाके में स्थापित है। इसका स्वरूप कुछ इस तरीके का है कि ये आज भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह तीन मंजिल चबूतरे को पर स्थापित है। अति विशिष्ट इलाका होने के कारण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इसके आसपास का इलाका विकसित नहीं कर सका है।
एएसआई यहां समय समय पर संरक्षण कार्य कराता रहता है और स्मारक अच्छी स्थिति में है। इसके ऊपरी भाग में चारों तरफ से रेलिंग लगाई गई है ताकि कोई पर्यटक ऊपर से बाहरी दीवारों तक न पहुंच सके। जिस किसी खतरे से बचा जा सके। अभी यहां पर संक्षिप्त सूचना बोर्ड लगा है जिस पर केवल अंग्रेजी में ही जानकारी उपलब्ध है।
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