कुमार विश्वास ने नए साल के आगमन और 2021 की विदाई पर किया भावुक ट्वीट, आप भी पढ़िये
नए साल पर सेलिब्रिटी भी इंटरनेट मीडिया के जरिये अपने चाहने वालों को खूबसूरत संदेश के साथ बधाई दे रहे हैं। इस कड़ी में देश के जाने-माने कवि कुमार विश्वास ने भी अपनी खूबसूरत कविताओं के पंक्तियों के जरिये अपने चाहने वालों को शुभकामना संदेश लिखा है।

नई दिल्ली/गाजियाबाद, आनलाइन डेस्क। साल 2022 ने दस्तक दे दी है। इसके साथ ही लोग एक-दूसरे को फोन, मैसेज और वाट्सऐप के जरिये नए साल की बधाई दे रहे हैं। सेलिब्रिटी भी इंटरनेट मीडिया के जरिये अपने चाहने वालों को खूबसूरत संदेश के साथ बधाई दे रहे हैं। इस कड़ी में देश के जाने-माने कवि कुमार विश्वास ने भी अपनी खूबसूरत कविताओं के पंक्तियों के जरिये अपने चाहने वालों को शुभकामना संदेश लिखा है।
'ज़ायचा देख के बोला ये नजूमी मुझ से,
जो भी मांगा है वो हर हाल में मिल जायेगा।
क्या मुबारक है नया साल जो मैं खुश होऊं ?
वो जो बिछुड़ा था, क्या इस साल में मिल जाएगा?
इस ताजा संदेश के साथ कुमार विश्वास ने 'अलविदा इक्कीस' भी लिखा है। बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के लिहाज से वर्ष 2021 बहुत दुख देकर गया है। अप्रैल और मई महीने में आई कोरोना की दूसरी लहर ने ऐसा कहर बरपाया कि लाखों लोगों ने अपनी जान गंवा दी। संभवतया कुमार विश्वास ने इसके मद्देनजर ही अलविदा इक्कीस लिखा है।
इससे पहले कुमार विश्वास ने ट्वीट कर एक और बधाई संदेश अपने चाहने वालों को दिया था, जो इस प्रकार है।
'Bye Bye 2021.Never come again
जाते हुए 2021,सारी बुरी यादें तुम्हारे साथ ही विदा।ईश्वर वे दिन दुबारा न दिखाए।स्वागत 2022। वैसे 21 ने बता दिया होगा कि हम भारत हैं, न हारे थे न हारेंगे। फिर भी याद दिला दूं साथी, कि “न मैदान छोड़ेंगे न पीठ दिखाएंगे, लड़ेंगे-जीतेंगे” जय हिन्द।'
वहीं, नए साल से जुड़े तीसरे ट्वीट में कवि कुमार विश्वास ने कविता की कुछ पंक्तियां लिखी हैं-
'दिसंबर ख़ास कर डाला,
दिसंबर ख़ास कर डाला,
हमारी मुस्कराहट से भरी, भारी तिजोरी जो,
हज़ारों उलझनों के जेब ख़र्चों से हुई ख़ाली,
उसी को भर दिया तुमने, मुकम्मल आने-जाने से,
तुम्हारी चहचहाहट ने, वो पूरा साँस का परमिट,
ज़रा सा पास भर आकर, अचानक पास कर डाला,
दिसंबर ख़ास कर डाला..!'
वहीं, एक अन्य विषय में किए गए ट्वीट में कुमार विश्वास भारतीय सैनिकों के साथ नजर आ रहे हैं। 'दूर तक फैले भारतमाता के स्वर्णिम आँचल के अंतिम छोर सोनारभूमि,रणबाँकुरों की जननी,महाराणा प्रताप कीर्तिचंद्र की तपस्थली में साल का आख़री दिन उन नरनाहरों के साथ बिताया जिनकी निगहबानी में हम साल भर सुरक्षित रहते हैं।ईश्वर हमारे देश,समाज व विश्व को मनुष्यता की संज्ञा के योग्य बनाए।'
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