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    जानिए, दिल्‍ली में समय से पहले क्‍यों बूढ़े हो रहे हैं पेड़

    By Ramesh MishraEdited By:
    Updated: Mon, 21 Aug 2017 03:45 PM (IST)

    नीम, अर्जुन, आम और जामुन के पेड़ों की उम्र 80 से 90 साल तक मानी जाती है, जबकि अमलताश और गुलमोहर जैसे वृक्ष 50 से 60 साल की औसत उम्र वाले होते हैं।

    जानिए, दिल्‍ली में समय से पहले क्‍यों बूढ़े हो रहे हैं पेड़

    नई दिल्ली [ संजीव गुप्ता ]। बढ़ते वायु प्रदूषण का दिल्लीवासियों पर तो बुरा असर हो ही रहा है, यहां के पेड़ भी समय से पहले बूढ़े हो रहे हैं। नए पौधों का विकास प्रभावित हो रहा है, सो अलग। सबसे बड़ी बात यह है कि आबोहवा में कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मात्रा बढऩे से पेड़ों की स्वयं के लिए भोजन बनाने की प्रक्रिया (प्रकाश संश्लेषण) पर भी असर पड़ रहा है।

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    वन एवं पर्यावरण विभाग के मुताबिक पीपल, बरगद, पिलखन, कदम, शहतूत इत्यादि पेड़ों की उम्र सैकड़ों साल तक होती है। नीम, अर्जुन, आम और जामुन के पेड़ों की उम्र 80 से 90 साल तक मानी जाती है, जबकि अमलताश और गुलमोहर जैसे वृक्ष 50 से 60 साल की औसत उम्र वाले होते हैं।

    राजधानी में लगाए गए कई अन्य वृक्ष भी 30 से 50 साल तक की उम्र रखते हैं। मगर आबोहवा में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और बेंजीन इत्यादि गैसों की मात्रा अधिक होने से इनकी उम्र एवं सेहत दोनों पर असर पड़ रहा है। स्वच्छ हवा, पानी, मिटटी न मिलने से नए पौधों का विकास भी प्रभावित हो रहा है। अनगिनत पौधे बाल्यावस्था में ही दम तोड़ देते हैं।

    भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान एवं कई विदेशी एजेंसीज द्वारा की गई शोध के मुताबिक पेड़ों की उम्र का अनुमान उनकी शाखाएं और तनों के लटकने से लगाया जाता है। दिल्ली में यह शाखाएं व तने वक्त से पहले ही लटकने लगती हैैं। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष भर पूर्व में दिल्ली में एक सौ वर्ष पुराने केवल 18 पेड़ों को ही हेरिटेज ट्री का दर्जा दिया जा सका।

    कुछ इस तरह बिगड़ रही पेड़ों की सेहत

    बढ़ते प्रदूषण से पत्तियों पर जमने वाली धूल की परत गाढ़ी, बहुत बार सीमेंट जैसी होने लगी है। यह हवा के चलने पर भी साफ नहीं हो पाती। इस स्थिति में पत्तियां सूरज की किरणें भी नहीं ले पातीं।

    भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जेपीएस डबास का कहना है कि वाहनों के धुएं में सल्फर डाइऑक्साइड बढऩे से पेड़ों की जड़ में एकत्र पानी तेजाब बन जाता है। तेजाब धीरे-धीरे पेड़ को भीतर से खोखला कर देता है।

    दिल्ली विश्वविद्यालय में पर्यावरण अध्ययन विभाग में तैनात प्रो सीआर बाबू दिल्ली में दिनोंदिन बढ़ते वायु प्रदूषण से पेड़ों की जडें़ अच्छे से फैल नहीं पाती। पत्ते भी कम समय में झड़ जाते हैं। छोटे पौधों की विकास दर भी घटी है। बारिश कम हो रही है, भूजल का स्तर नीचे चला गया है। एक ओर पत्तों पर धूल जमी रहती है तो दूसरी ओर उन्हें सिंचाई के लिए पानी कम मिल पाता है।

    दिल्ली सरकार में अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक एके शुक्ला का कहना है कि वायु प्रदूषण ने पेड़ों की उम्र एवं सेहत को प्रभावित किया है। सीएनजी में लेड तो घटा दिया गया, लेकिन बेंजीन, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड अब भी बरकरार है। वाहनों के धुएं से कार्बन डाइऑक्साइड भी बढ़ती जा रही है।

    दिल्ली के 18 हेरिटेज ट्री का ब्योरा
         पेड़             जगह
    1. बरगद     भीकाजी कामा प्लेस
    2.  आम         लोधी गार्डन
    3. अर्जुन       राजघाट स्मारक
    4. अशोक      राजघाट स्मारक
    5. साल्वाडोर     कुतुब मस्जिद
    6. बरगद          इंडिया गेट
    7. एलानथस       नेहरू पार्क
    8. बरगद           एनएसडी
    9. बरगद          वीरा मिशन
    10. बरगद     कटवारिया सराय पार्क
    11. सोमालिया    तीन मूर्ति पार्क
    12. नीम       कदम शरीफ मस्जिद
    13. पिलखन   डियर पार्क, हौजखास
    14. इमली     आर्ट विलेज, हौजखास
    15. एलानथस     तुगलकाबाद
    16. नीम             तीन मूर्ति
    17. बरगद       जैन मुनि दादाबाड़ी
    18. खिरनी      चिराग दिल्ली दरगा