बुराड़ी फांसीकांडः 'वह' 11 लोगों को बचाने कैसे आता... ललित तूने ये क्या कर दिया
भाटिया परिवार को पिछले 11 सालों के दौरान मिली खुशी के लिए शुक्रिया अदा करने के लिए परिवार ने अनुष्ठान किया था और सबकुछ खत्म हो गया।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के बुराड़ी इलाके में 30 जून और 1 जुलाई की रात एक घर में एक साथ 11 लोगों के फांसी लगाने के मामले में रोज हो रहे नए-नए खुलासे से एक बात साफ हो गई है कि यह परिवार व्यवहार के मामले में अलग था। यह भी लगता है कि इस परिवार ने अपनी हर समस्या को तंत्रमंत्र और पूजा अनुष्ठान से जोड़ लिया, खासकर इस पूरे प्रकरण के मास्टरमाइंड ललित ने।
ललित ने वह सोचा जो संभव ही नहीं था
रजिस्टर में ललित ने दावा किया है कि फंदे पर लटकते समय ऐन मौके पर उसके पिता आकर उन्हें बचा लेंगे, जिन्हें वह सपने और कुछ क्रियाओं के दौरान देखता था। अब सवाल उठ रहा है कि क्या ललित को कोई मानसिक बीमारी थी, जो यह भ्रम कर बैठा कि साले पहले मरे पिता की आत्म उन्हें फांसी के फंदे से बचा लेगी।
11 सालों की खुशियों के लिए किया था अनुष्ठान
घर से मिले रजिस्टर,डायरी और नोट्स से पता चला है कि भाटिया परिवार को पिछले 11 सालों के दौरान मिले आनंद व खुशी के लिए शुक्रिया अदा करने के लिए परिवार ने अनुष्ठान किया था। अनुष्ठान के मास्टरमाइंड ललित और उसकी पत्नी टीना थे। ललित ने तरक्की के बहाने पूजा-अनुष्ठान करने की बात की। इसके लिए पूरे परिवार को राजी किया गया।
32 साल की प्रियंका थी मांगलिक, परेशान था परिवार
रजिस्टर में लिखे नोट्स और डायरी से यह भी पता चला है कि परिवार की बेटी प्रियंका मांगलिक थी, जिससे उसकी शादी नहीं हो रही थी। वह 32 साल की थी और बढ़ती उम्र परिवार के लिए परेशानी का सबब बन रही थी, हालांकि उसकी हाल में ही सगाई हुई थी और वह बेहद खुश थी।
मांगलिक प्रियंका का दोष दूर करने के लिए उज्जेन में की थी पूजा
वहीं, अब इस सामूहिक हत्याकांड के कुछ तार मध्य प्रदेश के उज्जैन से भी जुड़े हुए लग रहे हैं। पुलिस को परिवार की इस उज्जैन का यात्रा का पता घर से मिले रजिस्टरों से ही चला है। जांच में जुटी क्राइम ब्रांच की टीम का कहना है कि परिवार के कुछ सदस्य ललित के साथ पूजा के लिए उज्जैन भी गए थे। यह घटना डेढ़ साल पुरानी है। जानकारी के मुताबिक, भाटिया परिवार के तीन लोग (ललित भी शामिल था) डेढ़ साल पहले उज्जैन गए थे। उज्जैन जाने के पीछे प्रियंका थी।
उज्जैन में कराई थी तांत्रिक क्रियाएं
अपराध शाखा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका मांगलिक थी। इस कारण उसकी शादी नहीं हो रही थी। वह 32 वर्ष की हो गई थी। मांगलिक दोष को दूर करने के लिए ललित, प्रतिभा व प्रियंका करीब डेढ़ वर्ष पहले उज्जैन गए थे। वहां इन्होंने पूजा करवाई थी। इस रजिस्टर में साफ लिखा है कि वहां तांत्रिक क्रियाएं भी कराई गई थीं। इस मामले में एक चश्मदीद श्रीकांत की मानें तो उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे बने डेढ़ सौ गज का मंदिर में पूजा की गई थी। श्रीकांत ने बताया कि उस वक्त भाटिया परिवार काफी परेशान था।
मोलभाव कर ले गए थे स्टूल
क्राइम ब्रांच ने सैनी फर्नीचर की दुकान के कर्मचारियों से पूछताछ की। एक कर्मचारी सुनील ने बताया कि उसने चार स्टूल की कीमत 800 से 850 रुपये बताई थी, लेकिन मोलभाव के बाद 700 रुपये पर उसने स्टूल बेच दिए। दुकान के मालिक अभिषेक से भी पूछताछ की गई।
रजिस्टर में भगवान व पिता को धन्यवाद करने के लिए अनुष्ठान करने की बात लिखी है। इसके अलावा उसका तरीका भी लिखा है। पुलिस आशंका जता रही है कि लगातार परिवार के साथ सब कुछ ठीकठाक होने के कारण परिवार के बाकी सदस्यों ने भी ललित पर विश्वास करना शुरू कर दिया। परिवार के सभी सदस्यों ने ऐसा ही करना शुरू कर दिया जैसा ललित कहता था। यहां तक पूजा करने के लिए भी सभी तैयार हो गए। पूजा के लिए बाजार से स्टूल, तार, रोटी लाए गए। फंदा लगाने से पूर्व नारायण देवी ने सभी को रोटी खिलाई। पुलिस आशंका जता रही है कि सभी ने एक-दूसरे के हाथ बंधे। ललित, भूपी और टीना ने फंदे लगाए। बाद में ललित व टीना ने भूपी को फंदा लगा दिया। ललित के साथ पूरे परिवार को यकीन था कि उनके पिता ऐन मौके पर पहुंचकर उन्हें बचा लेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सभी की मौत हो गई।
एक बाबा का था घर आना-जाना
एक स्थानीय व्यक्ति का कहना है कि ललित के घर के आगे से गुजरने पर अक्सर उनकी नजर एक बाबा पर पड़ती थी जो उसके घर आते-जाते थे। क्राइम ब्रांच को भी इस तरह की जानकारी मिली है। लिहाजा क्राइम ब्रांच को भी उस बाबा की तलाश है। क्राइम ब्रांच का कहना है कि ललित के घर से न तो कोई धार्मिक ग्रंथ मिला है और न ही आध्यात्मिक किताबें। सिर्फ हनुमान चालीसा व गायत्री मंत्र की किताब मिली है।
अब तक मिले 11 रजिस्टर
ललित के घर से क्राइम ब्रांच अब तक 11 रजिस्टर बरामद कर चुकी है। क्राइम ब्रांच का कहना है कि भाटिया परिवार मूलरूप से राजस्थान का रहने वाला है। वहां पिता की आत्मा आने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। क्राइम ब्रांच उसी अंधविश्वास से जोड़कर इस घटना को भी देख रही है।
यहां पर बता दें कि दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी सनसनीखेज घटना में बुराड़ी स्थित एक घर में एक जुलाई की सुबह एक ही परिवार के 11 लोग संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे। मृतकों में सात महिलाएं व चार पुरुष थे, जिनमें दो नाबालिग थे। एक महिला का शव रोशनदान से तो नौ लोगों के शव छत से लगी लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों से लटके मिले। एक बुजुर्ग महिला का शव जमीन पर पड़ा मिला था। नौ लोगों के हाथ-पैर व मुंह बंधे हुए थे और आंखों पर रुई रखकर पट्टी बांधी गई थी।
बुराड़ी-संत नगर मेन रोड से सटे संत नगर की गली नंबर दो में बुजुर्ग महिला नारायण का मकान है। इसमें वह दो बेटों भुवनेश व ललित, उनकी पत्नियों, पोते-पोतियों व विधवा बेटी संग रहती थीं। ये लोग मूलरूप से राजस्थान के निवासी थे और 22 साल पहले यहां आकर बसे थे। बुजुर्ग महिला के तीसरे बेटे दिनेश सिविल कांटेक्टर हैं और राजस्थान के चित्ताैड़गढ़ में रहते हैं। बुजुर्ग महिला के दोनों बेटों की भूतल पर एक परचून व दूसरी प्लाईवुड की दुकान है। ऊपर पहली व दूसरी मंजिल पर परिवार रहता था।
रोज सुबह ललित घर के सामने रहने वाले दिल्ली पुलिस से सेवानिवृत्त तारा प्रसाद शर्मा के साथ मार्निंग वॉक पर जाते थे। उससे पहले शर्मा ललित की दुकान से दूध लेते थे। रविवार सुबह दुकान नहीं खुली तो शर्मा दरवाजा खटखटाने गए, पर दरवाजा खुला था तो वह ऊपर चले गए। ऊपर का दरवाजा भी खुला था। आगे जाने पर उनकी रूह कांप गई। बरामदे वाले हिस्से में दस लोगों के शव लटके थे, जबकि एक महिला का शव कमरे में पड़ा था।
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