Delhi Metro: DMRC नहीं लगाएगा 274 स्टेशनों पर प्लेटफार्म डोर स्क्रीन, HC को बताई ये वजह
डीएमआरसी ने हलफनामा दायर कर हाई कोर्ट को जानकारी दी कि अगर वह सभी 250 स्टेशनों पर पीडीएस लगाएगा तो उसे अधिक खर्च करना पड़ेगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi high Court) में दायर एक याचिका पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (Delhi metro Rail Corporation) ने जवाब दाखिल करके कहा कि सभी मेट्रो स्टेशन पर प्लेटफार्म डोर स्क्रीन (platform door Scree) लगाना संभव नहीं है। डीएमआरसी ने हलफनामा दायर कर हाई कोर्ट को जानकारी दी कि उसने तकनीकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पिंक लाइन (Pink Line) व मजेंटा लाइन (Magenta Line) के 69 स्टेशनों पर पीडीएस लगाए हैं। अगर वह सभी 250 स्टेशनों पर पीडीएस लगाएगा तो उसे अधिक खर्च करना पड़ेगा। इसके लिए भाड़ा बढ़ाना होगा या उसके बदले सरकार को उसे अनुदान देना होगा। उसने यह जानकारी मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ के समक्ष दी। मामले पर इस सप्ताह में सुनवाई की संभावना है।
अधिवक्ता हुसैन मुईन की याचिका पर दाखिल हलफनामे में डीएमआरसी ने कहा है कि इस समय वह 343.785 किलोमीटर के नेटवर्क का परिचालन कर रहा है। इसके पिंक व मजेंटा लाइन पर लगाए गए पीडीएस पूरी तरह स्वचालित ट्रेन परिचालन प्रणाली पर आधारित हैं। इसे तकनीकी जरूरतों को देखते हुए लगाया गया है।
नहीं दे सकते दिल्ली मेट्रो को कोई निर्देश
डीएमआरसी ने यह भी कहा है कि दुनिया के किसी भी देश के सभी मेट्रो स्टेशनों पर पीडीएस नहीं लगाए जाते हैं। यह प्रणाली तकनीकी जरूरतों को देखते हुए ही कुछ मेट्रो स्टेशनों पर लगाए जाते हैं।
वहीं, पीठ ने डीएमआरसी के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए जनहित याचिका का निपटारा कर दिया। पीठ ने कहा कि पीडीएस उच्च तकनीकी मामला है और वह इस पर दिल्ली मेट्रो को कोई निर्देश नहीं दे सकते। मेट्रो की सुरक्षा मेट्रो रेलवे कमिश्नर की जिम्मेदारी है और जरूरत के हिसाब से उनकी तरफ से दिए गए सुझाव पर अमल किया जाए।
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