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Aarushi Murder Mystery: मिल जाते इन सवालों के जवाब तो सामने आ जाता देश के सबसे सनसनीखेज मर्डर का रहस्य

Indian Murder Mystery 15-16 मई 2008 की मध्य रात्रि को नोएडा सेक्टर-25 स्थित जलवायु विहार के एल-32 फ्लैट में क्या हुआ जिससे आरुषि- हेमराज का कत्ल हो गया? बहुत से सवाल हैं जिनके जवाब नही मिले और 14 साल बाद भी यह देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री है।

By Jp YadavEdited By: Published: Sun, 15 May 2022 11:48 AM (IST)Updated: Sun, 15 May 2022 11:58 AM (IST)
Aarushi Murder Mystery: मिल जाते इन सवालों के जवाब तो सामने आ जाता देश के सबसे सनसनीखेज मर्डर का रहस्य
मिल जाते इन सवालों के जवाब तो खुल जाता देश के सबसे सनसनीखेज मर्डर का रहस्य

नई दिल्ली / नोएडा, जागरण डिजिटल डेस्कAarushi-Hemraj Murder Case: 15-16 मई, 2008 की मध्य रात्रि को नोएडा की 13 वर्षीय आरुषि तलवार को उसके जन्म दिन पर उसे मौत का गिफ्ट किसने दिया- किसने मारा था? यह रहस्य 14 वें साल भी बरकरार है। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ ने देश के सबसे बड़े मर्डर की जांच की, लेकिन सवाल वही है कि 15-16 मई की रात को नोएडा सेक्टर-25 स्थित L-32 के इस घर में  क्या-क्या हुआ और किसने और आरुषि तलवार को न केवल मार डाला, बल्कि घर पर मौजूद घरेलू सहायक हेमराज का बेरहमी से कत्ल कर उसे हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया। 

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नोएडा पुलिस की 5 बड़ी लापरवाही

1. सुस्ती पर भारी पड़ी अपराधी की चुस्ती

आरुषि हत्याकांड को लेकर यूं तो कई सवाल हैं जिनके जवाब शायद ही कभी मिलें, क्योंकि इस मामले में शुरुआत से ही नोएडा पुलिस ने लापरवाही बरती। घटना की सुबह यानी 16 मई, 2008 की सुबह जैसे आरुषि तलवार हत्याकांड का पता चला तो मीडिया कर्मी सेक्टर-25 स्थित जलवायु विहार की ओर दौड़ पड़े। कुछ ही घंटों के भीतर L-32 में मीडियाकर्मियों का जमावड़ा हो गया। इस दौरान मीडियाकर्मियों के साथ आम लोग भी बेझिझक L-32 के भीतर दाखिल होते रहे। जाहिर है इस दौरान सबूतों के जाने अनजाने और चाहे अनचाहे छेड़छाड़ हो गई। नोएडा पुलिस ने सक्रियता तो दिखाई, लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी।

2.सबूतों की तलाश में भी चूक

आरुषि की हत्याकांड के चंद घंटे के भीतर ही नोएडा पुलिस की ओर से तरह का इशारा कर दिया गया कि घरेलू सहायक हेमराज ही आरोपित है और वारदात के बाद वह फरार हो गया। इसके चलते नोएडा पुलिस की कई टीमों ने उसकी तलाश तेज कर दी। यहां तक कि पुलिस की एक टीम नेपाल तक जा पहुंची, जहां का हेमराज मूलनिवासी था। इस थ्योरी पर काम शुरू करने के साथ नोएडा पुलिस अन्य एंगल को भूल गई। अगले दिन यानी 17 मई, 2008 को घरेलू सहायक हेमराज का शव घर की छत पर मिला। घटनास्थल से तत्काल फॉरेंसिक नमूने नहीं लिए गए। लिहाजा दोनों दिन फ्लैट में जुटी भीड़ के पैरों और हाथों के निशान में सभी सबूत मिट गए।

3. खून के नमूने लेने में भी लापरवाही

एक हत्याकांड की जांच की कड़ी में जो काम सबसे पहले होता है उसमें भी नोएडा पुलिस ने लापरवाही बरती। हत्याकांड की जानकारी लगने पर बड़ी तत्परता के साथ नोए़डा पुलिस मौके पर तो पहुंची, लेकिन वह घर में घुसी भीड़ को भी नहीं हटा सकी, जिसमें बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी थे। इसके साथ नोएडा पुलिस ने जांच की शुरुआत में ही वह काम नहीं किया, जो उसे तत्काल करना चाहिए था। घर पर पहुंची नोएडा पुलिस ने न तो खून के नमूने लिए और न ही खून से सनी चादर और गद्दों को पुलिस ने सीज किया, जिस पर आरुषि तलवार का शव मिला था।

4. छत पर जाने की जहमत तक नहीं उठाई

नोएडा पुलिस अगर 16 मई, 2008 की सुबह छत पर जाने की जहमत उठाती तो शायद जांच की दिशा ही बदल जाती। दरअसल, नोएडा पुलिस ने मान लिया कि हेमराज ही आरुषि तलवार का मर्डर करके फरार हुआ है, जबकि अगले दिन उसकी लाश छत पर मिलती है। हैरत की बात यह है कि नोएडा पुलिस ने घर की छत पर जाने वाली सीढ़ियों पर गिरी खून की बूंदे तक नहीं देखी। वहीं, छत के दरवाजे और उसमें लगाए ताले पर भी खून से सने हाथों के निशान साफ-साफ दिखाई दे रहे थे।

5. बिना तैयारी के पहुंचे पुलिसकर्मी ने की खानापूर्ति

आरुषि-हेमराज हत्याकांड देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री इसलिए भी बन गई, क्योंकि नोएडा पुलिस एक-एक कर कई लापरवाही कर बैठी थी। पहले नोएडा पुलिस ने शुरुआत में सबूत इकट्ठा करने में लापरवाही दिखी। रही सही कसर देरी ने कर दी। 16 मई, 2008 को आरुषि का शव एल-32 स्थित घर पर मिला था। ठीक उसी दिन यानी 16 मई, 2008 को नोएडा के मेट्रो अस्पताल में भर्ती एक बड़े नेता को देखने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आए थे। जाहिर है बड़े पुलिस अधिकारी उनके सुरक्षा में लगे थे, इसलिए तत्कालीन थाना सेक्टर-20 प्रभारी दाताराम नौनेरिया मौके पर पहुंचे थे। दाताराम ने वहां पहुंचते ही हत्या के इस केस में महज खानापूर्ति की और आरुषि के शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इसके बाद रही सही कसर फ्लैट में पहुंचे मीडियाकर्मियों ने किया, जो घंटों घर भर में सबूतों को अनजाने-अनचाहे मिटाते रहे।

डेढ़ दशक बीते नहीं मिले इन सवालों के जवाब

  1. 15-16 मई, 2008 रात को आरुषि और हेमराज का मर्डर एकसाथ किया गया या फिर अलग-अलग और क्या दोनों की हत्यारोपी एक ही थे।
  2. आरुषि का शव खून से लथपथ था और उसके बिस्तर पर पड़ा मिला था। आरुषि के शव को बहुत सलीके से रखा हुआ था। जैसे किसे ने उसे मारा और फिर पछतावा होने पर उसके शव की सलीके से बेड पर रखा। 
  3. हैरत की बात यह भी है कि सीएफएसएल दिल्ली की 19 जून 2008 की रिपोर्ट के अनुसार आरुषि के तकिये, बेडशीट और गद्दे पर हेमराज का कोई डीएनए या खून नहीं मिला था।
  4. नौकर हेमराज का खून से लथपथ शव तलवार दंपती के घर की छत पर मिला। दोनों की हत्या गला काटकर और सिर पर किसी भारी चीज से वार कर की गई थी। हथियार की बरामदगी पर सवाल कायम है।
  5. आरुषि की मां नूपुर तलवार और पिता राजेश तलवार फ्लैट के दूसरे कमरे में सो रहे थे। उन्हें आरुषि के चीखने की आवाज तक नहीं आई, जबकि आरुषि पर कई वार किए गए थे। 
  6. घटना की रात यानी 15-16 मई की रात एल-32 फ्लैट में राजेश, नूपुर, आरुषि तलवार और हेमराज के अलावा कोई और भी नहीं था। इसका पता आज तक नहीं चला, जबकि इन चारों में से 2 का कत्ल हुआ।
  7. एक पल को मान भी लिया जाए कि आरुषि को किन्हीं वजहों से हेमराज ने मारा तो हेमराज को किसने और क्यों मारा?
  8. तलवार दंपती की छत पर जहां हेमराज का खून से लथपथ शव मिला था, वहीं दीवार पर खून से सने हाथ के पंजे का निशान भी मिला था। पंजे का निशान कातिल का हो सकता है। 

जानिए आरुषि हेमराज की हत्या के अहम बिंदु

बता दें कि नोएडा के जलवायु विहार के 'एल-32' फ्लैट में 15-16 मई, 2008 की रात राजेश तलवार और नूपुर तलवार की आरुषि तलवार और नौकर हेमराज का मर्डर हो गया था। 16 मई की सुबह राजेश-नूपुर के घर में काम करने वाली घरेलू सहायिका ने आरुषि को उसके बेडरूम में मृत पाया। आरुषि के पिता राजेश तलवार ने घरेलू सहायक हेमराज पर बेटी की हत्याकर फरार होने का आरोप लगाया था। गाजियाबाद की सीबीआइ कोर्ट ने नवंबर 2013 में तलवार दंपती को उनकी बेटी और नौकर की हत्या मामले में आरोपी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनवाई थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 अक्टूबर 2017 को बेटी आरुषि तलवार और नेपाली मूल के नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में गाजियाबाद की डासना जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे दंत चिकित्सक डा. राजेश तलवार और उनकी पत्नी डा. नूपुर तलवार को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। जांच की कड़ी में सीबीआइ की पहली टीम ने तलवार दंपती की क्लीनिक और उनके बेहद करीबी डा दंपती के नौकर समेत एक अन्य नौकर को हत्यारोपी मानते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था।


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