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    जानिये- क्या है किगाली संशोधन, जिससे देश को होंगे कई लाभ

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Sat, 21 Aug 2021 05:40 AM (IST)

    किगली संशोधन हर तरह से भारत सरकार की एक सकारात्मक पहल है। एचएफसी का उपयोग कूलिंग में काफी होता है और भारत की इस विषय को लेकर संवेदनशीलता इसी से जाहिर है कि भारत 2019 में कूलिंग एक्शन प्लान लान्च करने वाले दुनिया के पहले देशों में से एक है।

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    जानिये- क्या है किगाली संशोधन, जिससे देश को होंगे कई लाभ

    नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) की खपत और उत्पादन को धीरे-धीरे कम करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इस प्रोटोकॉल में अकेले सदी के अंत तक वातावरण के 0.5 डिग्री गर्म होने से बचने की क्षमता है। जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ वैश्विक जंग में एक बार फिर भारत ने नेतृत्व दिखाते हुए  मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन को मंज़ूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस संशोधन को मंज़ूरी दे दी है। इस मंजूरी से दो मुख्य लाभ होंगे। पहला एचएफसी के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद मिलेगी और इससे लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है। वहीं, दूसरा फायदा यह होगा कि गैर-एचएफसी और कम ग्लोबल वार्मिंग संभावित प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के अंतर्गत तय समय-सीमा के अनुसार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन का उत्पादन और खपत करने वाले उद्योग हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करेंगे।

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    गौरतलब है कि  एचएफसी (हाइड्रो फ्लोरो कार्बन) नामक सुपर प्रदूषक गैसों पर केंद्रित, इस प्रोटोकॉल में अकेले सदी के अंत तक वातावरण के 0.5 डिग्री गर्म होने से बचने की क्षमता है। वहीं, यह संशोधन तब आया है जब हाल ही में आईपीसीसी ने कोड रेड वार्निंग जारी करते हुए वैश्विक स्तर पर तत्काल कारवाई की मांग की है।

    जानकारों की मानें तो किगली संशोधन हर लिहाज़ से भारत सरकार की एक सकारात्मक पहल है। एचएफसी का उपयोग कूलिंग में काफी होता है और भारत की इस विषय को लेकर संवेदनशीलता इसी से पता चलती है कि भारत 2019 में कूलिंग एक्शन प्लान लान्च करने वाले दुनिया के पहले देशों में से एक है। यह योजना आर्थिक विकास और अगले कुछ दशकों में कूलिंग और रेफ्रिजरेशन की आवश्यकता से जुड़ी है। इस व्यापक योजना का उद्देश्य 20 साल की समयावधि के साथ कूलिंग डिमांड को कम करना, रेफ्रिजरेंट ट्रांजिशन को सक्षम बनाना, एनर्जी एफिशिएंसी को बढ़ाना और बेहतर टेक्नोलॉजी विकल्प देना है। किगाली संशोधन पर हस्ताक्षर से एचएफसी गैसों से संक्रमण को तेजी से दूर करने के लिए बाजार को एक अच्छा संकेत मिलेगा।

    इसके अलावा, भारत के लिए एचएफसी गैसों के चरणबद्ध तौर से खत्म होने की तारीख वर्ष 2028 में शुरू होती है, फिर भी, यह अनुसमर्थन एक संकेत है कि उद्योग स्पष्टता चाहता है और एयर कंडीशनिंग और रेफ्रिजेरेशन उद्योग को अधिक कुशल शीतलन प्रौद्योगिकियों को तेजी से विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

    ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) की सीनियर प्रोग्राम लीड शिखा भसीन कहती हैं, नेशनल कूलिंग एक्शन प्लान के साथ आने वाला पहला देश होने के बाद भारत अब इस वैश्विक राजनीतिक अनुसमर्थन के साथ आया है। यह निश्चित रूप से सीओपी 26 से पहले एक उपलब्धि है। यह न केवल दुनिया के सबसे बड़े कूलिंग बाजारों में से एक में बल्कि दुनिया भर के कई देशों के लिए भी इस महत्वपूर्ण वर्ष में जलवायु कार्यों पर विचार करने के लिए कम-जीडब्ल्यूपी और वैकल्पिक शीतलन प्रौद्योगिकियों की तैनाती सुनिश्चित करने का सही संकेत है।

    किगाली संशोधन से देश को मिलेंगे कई लाभ

    • अनुसमर्थन का अर्थ यह होगा कि भारत कम ग्लोबल वार्मिंग क्षमता वाले जीडब्ल्यूपी रेफ्रिजरेंट के लिए बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है, जो घरेलू नवाचार को बढ़ावा देगा और अंतरराष्ट्रीय निवेश को आकर्षित करेगा।
    • भारत उन कुछ देशों में से एक है जो पेरिस समझौते के तहत अपनी जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की राह पर है। किगाली की पुष्टि करने से इस प्रगति में और तेजी आएगी।
    • किगाली संशोधन को मंजूरी देने से दुनिया भर में भारत का प्रभाव और सद्भावना मजबूत होगी और एचएफसी को चरणबद्ध तरीके से बंद करते हुए ऊर्जा दक्षता सहित स्मार्ट नीतियों और उपनियमों को स्थापित करने के भारत के प्रयासों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
    •  भारत इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान को लागू करने के साथ आगे बढ़ रहा है, जो कूलिंग दक्षता और रेफ्रिजरेंट के लिए घरेलू लक्ष्य निर्धारित करता है, लेकिन भारत के लिए किगाली समयसीमा को पूरा करने के लिए अपने आप में पर्याप्त नहीं हो सकता है। अनुसमर्थन से R-134a, R410a और R-404a जैसे अत्यधिक शक्तिशाली (उच्च-GWP) HFC का उपयोग करने वाले आयातों को रोकने के लिए एक स्पष्ट नीतिगत ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी।