जानिए लिसनिंग इन फाउडेंशन के क्या हैं फायदे, देश के 60 शहरों में लोग ले चुके प्रशिक्षण
हमें बचपन से लिखना पढ़ना और बोलना सिखाया जाता है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चीज सुनना कैसे है यह नहीं सिखाया जाता। इससे युवा अवस्था तक आते-आते लोग काफी चीज ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हमें बचपन से लिखना, पढ़ना और बोलना सिखाया जाता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चीज सुनना कैसे है, यह नहीं सिखाया जाता। इससे युवा अवस्था तक आते-आते लोग काफी चीजें पीछे छोड़ देते हैं। ऐसे में ठीक तरह से न सुनने से समाज में गलत चीजें ज्यादा प्रवाहित होने लगती है। इस वजह से एक अच्छे समाज की कल्पना करना मुश्किल हो जाता है। यह कहना है जसकिरन गिल का, जिन्होंने अनसुना करने के बजाय सुनने पर जोर देने को लेकर अभियान शुरू किया है।
अभियान के तहत वे हर सप्ताह राजधानी के प्रमुख बाजारों में लोगों को अच्छा श्रोता बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं। रविवार को वे अपनी टीम के सदस्यों के साथ कनाट प्लेस में लोगों को जागरूक करने पहुंचे। इसमें उन्होंने बाजार में आने वाले लोगों व आटो चालकों से बात कर उन्हें अच्छे श्रोता के गुण बताए। वे कहती हैं कि लोग बस बोलने पर ध्यान देते हैं, लेकिन आज के दौर में हमें कभी सिखाया ही नहीं गया कि सुनना कैसे है। इसको लेकर जसकिरन गिल ने लिसनिंग इन फाउडेंशन बनाया। इसके जरिये वे देश के 60 शहरों में सैकड़ों प्रशिक्षण दे चुकी हैं। उनका कहना है कि वे आने वाले पांच वर्ष में एक मिलियन लोगों तक इस मुहिम को ले जाना चाहती हैं।
गिल ने कहा कि आज दौड़ती-भागती जिंदगी में व्यस्त समय में लोग बात तो करना चाहते हैं, लेकिन सुनना कम चाहते हैं। इस वजह से आए दिन लोगों के सामने नई चुनौती खड़ी हो जाती है। इससे लोग बिना सुने किसी के लिए भी कुछ भी धारणा बना लेते हैं। इसका प्रभाव समाज पर पड़ता है, जिसे हम लोग बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को सुनने को महत्वपूर्ण बताकर इससे जोड़ा जा रहा है। इसमें अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े और उम्र के लोगों को शामिल किया जा रहा है। वे कहती हैं कि हम एक ऐसा समाज बनाने चाहते हैं, जहां सुनने को महत्व दिया जा सके।
इस अभियान के तहत कारपोरेट, स्कूल और कालेज के छात्रों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। हमारा मकसद है कि हम समाज में अच्छे श्रोता तैयार कर पाएं। उन्होंने बताया कि हमारी संस्था सुनने के लिए मुफ्त सुविधा भी उपलब्ध करवाती है, लेकिन वह मानसिक स्वास्थ्य सुविधा नहीं है। यह बस एक मंच है जब किसी को लगे की कोई हमारी बातें सुनने के लिए नहीं तो यहां वह लोग अपनी बात हमसे बोल सकते हैं।

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