ED-CBI पर भारी पड़े केजरीवाल! सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला; पढ़ें किन शर्तों पर मिली जमानत
Delhi Excise Policy Case लंबे समय से जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को आज यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। केजरीवाल को जमानत मिलने से आप पार्टी के कार्यकर्ता बहुत खुश हैं। आप कार्यकर्ता अपने सोशल अकाउंट पर लिख रहे हैं कि आखिरकार AAP और केजरीवाल की ही जीत हुई। पढ़िए आखिर केजरीवाल को किन-किन शर्तों पर सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Delhi Excise Policy Case राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कई महीनों बाद तिहाड़ जेल जमानत मिल गई है। शराब घोटाले में जेल में बंद चल रहे केजरीवाल की जमानत से आम आदमी पार्टी में खुशी की लहर दौड़ गई है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर केजरीवाल को किन-किन शर्तों पर सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है।
केजरीवाल को किन शर्तों पर मिली है जमानत
सीएम अरविंद को 10 लाख के दो मुचलकों पर सुप्रीम कोर्ट से बेल मिली है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को लेकर सार्वजनिक टिप्पणी पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकदमे में केजरीवाल सहयोग करें। केजरीवाल को सीबीआई वाले केस में भी जमानत मिल गई है। केजरीवाल मामले में सुनवाई करते हुए दोनों जजों ने अलग-अलग बातें रखी है।
. केजरीवाल को 10 लाख के दो मुचलके भरने होंगे।
. कोई भी सार्वजनिक टिप्पणी पर भी पाबंदी लगाई गई।
. सीएम केजरीवाल दफ्तर भी नहीं जा पाएंगे।
. केजरीवाल किसी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकेंगे।
. केजरीवाल को मुकदमे में सहयोग करना होगा।
. सीएम केजरीवाल को हरियाणा चुनाव में प्रचार करने पर कोई पाबंदी नहीं।
. केजरीवाल को जब भी जांच के लिए बुला जाएगा, उन्हें आना पड़ेगा।
न्यायमूर्ति कांत ने गिरफ्तारी को बरकरार रखा, लेकिन न्यायमूर्ति भुयान ने केजरीवाल को गिरफ्तार करने की आवश्यकता और अनिवार्यता के बारे में अलग राय रखी। न्यायमूर्ति भुयान ने कहा कि सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी केवल मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को दी गई जमानत को विफल करने के लिए थी।
न्यायमूर्ति भुयान ने कहा कि सीबीआई ने 22 महीने तक केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं किया और ईडी मामले में उनकी रिहाई के ठीक पहले उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दायर याचिकाओं पर न्यायालय ने फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी और जमानत मांगी थी।
5 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था फैसला
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई की थी और 5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। दोनों न्यायाधीशों ने अलग-अलग फैसले सुनाए।
न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी थी और इसमें कोई प्रक्रियागत अनियमितता नहीं थी। न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि इस तर्क में कोई दम नहीं है कि सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार करते समय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के निर्देशों का पालन नहीं किया। साथ ही, दोनों न्यायाधीश इस तथ्य पर विचार करते हुए केजरीवाल को जमानत देने के फैसले पर एकमत थे कि मामले में आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है और निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने की संभावना नहीं है।
वहीं, ईडी मामले में अंतरिम जमानत देते समय समन्वय पीठ द्वारा लगाई गई शर्तें इस मामले में भी लागू होंगी। इसका मतलब यह होगा कि केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकेंगे।
केजरीवाल की मौजूदा याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के 5 अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत सीबीआई की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका को एकल न्यायाधीश की पीठ ने खारिज कर दिया था और जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की छूट दी थी।
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उन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार करने को चुनौती देते हुए एक और विशेष अनुमति याचिका भी दायर की थी। आप प्रमुख को 26 जून, 2024 को सीबीआई ने औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया था, जब वह कथित शराब नीति घोटाले से उत्पन्न धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में थे।
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वहीं, कुछ सप्ताह बाद, 12 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को धन शोधन मामले में अंतरिम जमानत दे दी, जबकि ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को एक बड़ी पीठ को भेज दिया। हालांकि, सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी के कारण वह हिरासत में रहे (जो 21 मार्च से शुरू हुई)।
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