Delhi Congress News: जानिये, कौन हैं हाल ही में चर्चा में आए कांग्रेस नेता सुशांत मिश्रा
Delhi Congress News सुशांत मिश्रा ने ही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अनिल चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने में मदद की थी। ऐसे में सुशांत चौधरी के साथ जुड़ गए। जुड़ गए तो अपनों को सेट कराना भी आवश्यक है।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली कांग्रेस के गलियारों में आजकल सुशांत मिश्रा का नाम काफी चर्चा में है। दरअसल, हाल ही में दिल्ली कांग्रेस प्रदेश के सात जिलाध्यक्ष बदले गए तो इनमें से दो जिलाध्यक्षों आदेश भारद्वाज और विशाल मान ने इंटरनेट मीडिया पर अपनी नियुक्ति के लिए सुशांत मिश्रा का भी आभार जताया है। खास बात यह कि इस नाम के किसी शख्स को दिल्ली के वरिष्ठ कांग्रेसी तक नहीं जानते। पता करने पर सामने आया कि यह शख्स एआइसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के साथ जुड़ा है। उन्होंने ही दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष अनिल चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनवाने में मदद की थी। ऐसे में सुशांत चौधरी के साथ जुड़ गए। जुड़ गए तो अपनों को सेट कराना भी आवश्यक है। हैरत की बात यह कि अधिकांश कांग्रेसी रोहिणी के नए जिला अध्यक्ष विशाल मान को भी नहीं जानते। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जो अपनों में ही अनजान हैं, जनता में क्या पहचान बना पाएंगे!
प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता ख्वाब तो राजधानी दिल्ली की सत्ता के सपने संजो रहे हैं, लेकिन अपनों तक को साथ जोड़कर नहीं रख पा रहे। प्रदेश नेतृत्व के रूखे व्यवहार और उनके सिपहसालारों की सत्तालोलुप सोच के कारण एक-एक करके ढेरों दिग्गज पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। आलम यह हो गया कि अब तो जीवन भर कांग्रेस से जुड़े रहे नेताओं को अंत समय में शोक संदेश तक नहीं मिल पा रहा। पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह के बेटे और देवली से पूर्व विधायक अरविंदर सिंह का निधन हुआ तो पार्टी नेताओं ने न उनके लिए दो मिनट का मौन रखा और न ही कोई शोक संदेश दिया। आदर्श नगर जिला कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष संजय गुप्ता का निधन हुआ तो यहां भी प्रदेश ने कोई शोक संवेदना तक व्यक्त नहीं की। बताइए, जो ‘हाथ’ अपनों के अंत में भी साथ न हो, वह जनता का साथ क्या देगा!
कांग्रेस चली भाजपा की राह
बुढ़ापे में इंसानों के सठियाने की बात तो खूब सुनते रहे हैं, लेकिन लगता है कि ज्यादा पुराने होते जाने पर सियासी दलों के नेता भी राह से भटकने लगते हैं। अभी कुछ ही दिन पहले कांग्रेसी राहुल गांधी के साथ बैठक में आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के गुण गाकर आए थे और अब भाजपा की राह पर चलते हुए दलित बस्ती में रात्रि प्रवास करने लगे हैं। जन जागरण पोल खोल अभियान के तहत हाल में प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने सुल्तानपुरी माजरा की जेजे कालोनी में नारायण सिंह बैरवा के घर रात्रि विश्रम किया। इससे पहले मंगोलपुरी में संजय बैरवा के यहां अल्पाहार किया। स्लम बस्तियों में रात्रि प्रवास की राह पूर्व भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने पकड़ी थी जिस पर भाजपाई अब भी चल रहे हैं। जबकि, बिन पेंदी के लोटे की तरह कांग्रेसी कभी किसी की नकल करने लगते हैं, तो कभी किसी की।
जमीन गई, फिर भी खींचतान
दिल्ली में कांग्रेस के पास हवाई किले भले हों, लेकिन जमीन नहीं बची है। बावजूद इसके पार्टी नेताओं में खींचतान जारी है। प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी विरोधियों को निपटाने में ही लगे रहते हैं तो उनके विरोधी उन्हें नीचा दिखाने की हरसंभव जुगत में लगे रहते हैं। ताजा उदाहरण प्रदेश कार्यसमिति का ही है। प्रदेश अध्यक्ष ने अजय माकन और अर¨वदर सिंह लवली सहित कई विरोधियों को निपटाने के लिए उनके तमाम समर्थकों को दरकिनार कर दिया। लेकिन अभी वह अपनी इस सियासी ‘जीत’ को पचा भी नहीं पाए थे कि माकन और लवली ने ‘ऊपर’ बात करके अपने प्रमुख समर्थकों को कार्यसमिति का हिस्सा बनवा दिया। रोहिणी जिला अध्यक्ष पद से इंद्रजीत को हटाकर अनिल चौधरी ने उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव को भी नाराज कर दिया है। ऐसे में यक्ष प्रश्न यह है कि कम समर्थक-ज्यादा विरोधियों के बीच अध्यक्ष महोदय कितना लंबा सियासी सफर तय कर पाएंगे?
कांग्रेस चली भाजपा की राह
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के कुछ नेता ख्वाब तो राजधानी दिल्ली की सत्ता के सपने संजो रहे हैं, लेकिन अपनों तक को साथ जोड़कर नहीं रख पा रहे। प्रदेश नेतृत्व के रूखे व्यवहार और उनके सिपहसालारों की सत्तालोलुप सोच के कारण एक-एक करके ढेरों दिग्गज पार्टी को अलविदा कह चुके हैं। आलम यह हो गया कि अब तो जीवन भर कांग्रेस से जुड़े रहे नेताओं को अंत समय में शोक संदेश तक नहीं मिल पा रहा। पूर्व गृह मंत्री बूटा सिंह के बेटे और देवली से पूर्व विधायक अरविंदर सिंह का निधन हुआ तो पार्टी नेताओं ने न उनके लिए दो मिनट का मौन रखा और न ही कोई शोक संदेश दिया। आदर्श नगर जिला कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष संजय गुप्ता का निधन हुआ तो यहां भी प्रदेश ने कोई शोक संवेदना तक व्यक्त नहीं की। बताइए, जो ‘हाथ’ अपनों के अंत में भी साथ न हो, वह जनता का साथ क्या देगा!
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