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Delhi Chhath Puja Preparation 2019: दिल्ली में 1100 से अधिक घाटों पर पूजा की व्यवस्था

Delhi Chhath Puja Preparation 2019 दिल्ली में छठ मैया के पूजन के लिए लोगों में भी उत्साह है। 31 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ छठ का पर्व शुरू हो रहा है।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 30 Oct 2019 11:00 AM (IST)Updated: Wed, 30 Oct 2019 12:23 PM (IST)
Delhi Chhath Puja Preparation 2019: दिल्ली में 1100 से अधिक घाटों पर पूजा की व्यवस्था
Delhi Chhath Puja Preparation 2019: दिल्ली में 1100 से अधिक घाटों पर पूजा की व्यवस्था

नई दिल्ली,जागरण संवाददाता। Delhi Chhath Puja Preparation 2019: छठ मैया के पूजन के लिए देश की राजधानी दिल्ली में घरों से लेकर छठ घाटों पर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। छठ मैया के पूजन के लिए लोगों में भी उत्साह है। 31 अक्टूबर से नहाय खाय के साथ छठ का पर्व शुरू हो रहा है। इसको लेकर लोगों ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

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इस बार दिल्ली में 1100 से अधिक अस्थायी/ स्थायी घाटों पर छठ पूजा की व्यवस्था की गई है, पर रौनक यमुना घाटों पर ही देखने को मिलती है, जो मौजूदा समय में गंदगी से पटे हुए हैं। आइटीओ से लेकर कुदेसिया घाट पर घाटों पर सफाई नहीं हो सकी है। घाटों पर पूजा अवशेष के साथ खंडित मूर्तियां पड़ी हुई हैं।

इस बारे में छठ पूजा समिति के अध्यक्ष शिवाराम पांडे ने कहा कि दिल्ली सरकार व नगर निगम के दावों से इतर घाटों पर सफाई की व्यवस्था खुद से करानी पड़ रही है। नाले में तब्दील यमुना नदी में पानी को लेकर भी पूजा समिति के लोग चिंतित दिखे।

शिवाराम के मुताबिक पहले चार-पांच दिन पहले से ही यमुना का जलस्तर बढ़ जाता है, लेकिन इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है। यमुना का पानी कीचड़ के समान है। राहत की बात यह है कि आइटीओ घाट के पास ही एक कृत्रिम घाट भी बना है, जिसमें टैंकर से साफ पानी डाला जा रहा है। अकेले आइटीओ घाट पर डेढ़ से दो लाख लोग छठ पूजा के दौरान पहुंचते हैं।

वहीं, कुदेसिया से लेकर आइटीओ घाट पर दिल्ली सरकार की ओर से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए टेंट लगाए जा रहे हैं। यमुना नदी में बांस-बल्लियां भी गाड़ी जा रही हैं।

नई दिल्ली इलाके में रहने वाली अर्चना ने बताया कि छठ पर्व को लेकर कार्तिक माह लगते ही बहुत ही सात्विक रूप से रहना होता है। इस दौरान मांसाहारी चीजों का भी सेवन नहीं किया जाता है, वहीं, दिवाली के बाद से ही लहसुन व प्याज को पर्व तक के लिए त्याग दिया जाता है।

उन्होंने बताया कि इस पर्व को सम्मिलित रूप से मनाया जाता है। इसमें पख चढ़ने से शुरुआत होती है। इसमें पूरे घर की सफाई की जाती है। जो पूजा का स्थान होता है उस स्थान को विशेष रूप से साफ रखा जाता है। इसमें व्रतियों को बहुत ही पवित्रता से रहना होता है।

एक अन्य महिला कुसुम ने बताया कि छठ का पर्व नहाय खाय से ही शुरू हो जाता है। इस दिन व्रती नहाने के बाद साफ वस्त्र धारण कर भोजन शुद्ध शाकाहारी भोजन तैयार करती हैं। इसी भोजन को घर के लोग भी खाते हैं। इसके बाद अगले दिन खरना किया जाता है। इसमें नया चूल्हा स्थापित कर आम की लकड़ी व उपले जलाकर प्रसाद तैयार किया जाता है। इसके बाद पूरे विधि-विधान से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे पारन कहा जाता है।

घाटों की सफाई में आई तेजी

पूर्वांचलवासियों के प्रमुख पर्व छठ को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में तैयारियां तेज हो चली हैं। गली-मोहल्ले के पार्कों में मौजूद तालाबों समेत यमुना घाटों की सफाई होने लगी है।

घाटों पर बांस-बल्ली लगाकर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के भी इंतजाम किए जाने लगे हैं। छठ पूजा समितियां भी सक्रिय हो गई हैं। घाटों पर उनके भी टेंट लगने लगे हैं। श्रद्धालुओं का आना-जाना तेज हो गया है। बाजार भी छठ पूजा के सामानों से सजने लगे हैं तो घरों में भी तैयारियां तेज हो गई है।

कई लोग इस बार छठ मनाने के लिए बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश स्थित अपने पैतृक घरों की ओर रवाना होने लगे हैं। जो दिल्ली में हैं वे यहीं पर अपने रिश्तेदारों और करीबियों के साथ छठ पूजा मनाने की योजना में जुट गए हैं।

घरों में गूंजने लगे हैं छठ गीत

घरों में छठ गीत गूंजने लगे हैं। कई घरों में गेंहू को साफ कर उसे धोकर सुखाने का काम शुरू हो गया है। धूप में गेंहू सुखाने के दौरान यह खास ख्याल रखना पड़ता है कि कोई चीटी या चिड़िया गेंहू को जूठा न कर दे। छठ मैया सूर्य की बहन हैं। इस पर्व का विशेष महत्व है। इस पर्व को बहुत ही पवित्रता व शुद्धता से मनाना होता है।

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