आमिर की फिल्म 'PK' से चर्चा में आई उग्रसेन की बावली में भरा पानी, ASI ने दिया निर्देश- देखने जाएं तो ना सेल्फी
Agrasen ki Baoli Update आमिर खान अभिनीत पीके फिल्म में दृष्य दिखाए जाने के बाद चर्चा में आई उग्रसेल की बावली में अब पानी 17 सीढ़ियों से ऊपर निकल चुका है। फिल्म पीके में यहां के दृश्य दर्शाए गए हैं।

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। दिल्ली मेट्राे के भूमिगत राजीव चौक स्टेशन बनाने के समय पर जिस उग्रसेन बावली का पानी सूख गया था, इस बावली में अब फिर से पानी आ गया है। बावली की कुएं की तरफ से 17 सीढ़ियों तक पानी भर गया है।
पीके फिल्म में दिखाए गए सीन के बढ़े पर्यटक
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के एक अधिकारी ने कहा कि बावली का स्रोत खुल गया है और 2020 के अंत से बावली में पानी आना शुरू हो गया था जो अब काफी बढ़ चुका है, पानी की बढ़ोत्तरी पिछले छह माह में अधिक देखी गई है।
2015 में एएसआइ ने कराया था संरक्षण कार्य
देश व विदेश के पर्यटक तो यहां पहुंचते ही हैं दिन भर यहां स्कूल व कालेज के छात्र-छात्राओं की भीड़ बनी रहती है। इन लोगों की संख्या भी पहले से बढ़ी है। पीके फिल्म रिलीज होने के बाद जनवरी 2015 में एएसआइ ने इस बावली में बड़े स्तर पर संरक्षण कार्य कराया था।
एएसआइ का निर्देश, खतरनाक हिस्सों में सेल्फी लेने पर लगेगी रोक
इस बावली में मुख्य काम सूख चुके इस बावली का जल स्रोत ढूंढने का किया गया था।हालांकि उस समय पूरी तरह से बावली के 140 मीटर गहरे बड़े कुएं से मिट्टी नहीं निकाली जा सकी थी, मिट्टी में दबीं 17 सीढ़ियों तक खोदाई कर गाद निकाली गई थी।अब इन सीढ़ियों तक पानी है। सेल्फी प्वाइंट बनी इस बावली के खतरनाक भागों में जाकर फाेटो खिंचवाने पर भी रोक लगेगी। एएसआइ ने इस बारे में निर्देश दिए हैं।
कनॉट प्लेस से नजदीक होने के चलते भी आते हैं पर्यटक
बता दें कि बावली के मुख्य भाग में युवा ही नहीं अधिक उम्र के लोग भी जाकर फोटो खिंचवाते हैं, जिससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है। सात साल पहले फिल्म पीके के मुख्य किरदार एलियन (आमिर खान) के निवास के रूप में देश-विदेश में चर्चा में आई थी। उग्रसेन की बावली में उसके बाद से और भीड़ बढ़ चुकी है। कनाट प्लेस के नजदीक होने के चलते पर्यटकों से अधिक स्कूल व कालेजों के छात्र छात्राओं की यहां भीड़ रहती है।
निचले हिस्से तक चले जाते हैं पर्यटक
यहां भीड़ का एक और कारण यह है कि यहां टिकट नहीं लगता है। बावली की सीढ़ियों पर युवा ही नहीं अधिक उम्र के लोग भी जाकर फोटो खिंचवाते हैं।मगर कई युवा बावली के बिल्कुल निचले भाग मेें चले जाते हैं या फिर बावली की हर मंजिल पर दोनों ओर बनीं दीवारों पर चढ़ जाते हैं, जहां से बावली की निचली सीढ़ियों तक काफी दूरी है।
वहां पर सुरक्षा के लिहाज से एएसआइ ने सुरक्षा कर्मी लगा रखे हैं जो पर्यटकों को खतरनाक स्थलों की ओर जाने से रोकते हैं।मगर फिर भी कई बार युवा नजर बचाकर उधर पहुंच जाते हैं।इसलिए वहां सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी। खतरनाक भागों में युवा नहीं जा सकें इसके लिए एएसआइ परमानेंट समाधान चाहता है।इसके लिए खतरनाक भागों में रोक के लिए बैरीकेडिंग पर भी विचार किया जा रहा है।
उग्रसेन की बावली
भूमितल पर उत्तर-दक्षिण की ओर 60 मीटर लंबी और 15 मीटर चौड़ी अनगढ़े और गढ़े हुए पत्थरों से निर्मित ये बावली दिल्ली की बेहतरीन बावलियों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस बावली को राजा उग्रसेन ने बनवाया था।कस्तूरबा गांधी रोड और सिकंदरा रोड को काटती हुई पुराने हेली रोड पर यह बावली स्थित है।
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