जान लें किन-किन तरीकों से साइबर ठग कर रहे ठगी, दिल्ली-एनसीआर में रोजाना आ रहे 100 मामले, रहे होशियार
ठगों ने भी नए तरीके इजाद कर लिए। लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए ठग अब ओटीपी जैसे पुराने तौर तरीके पर निर्भर नहीं है बल्कि बैंकिंग से जुड़े एप वेबसाइट बनाकर व अन्य तरीके से लोगों को शिकार बना रहे हैं।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। कुछ समय पहले तक साइबर ठग वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) पर निर्भर के, लेकिन जैसे-जैसे रिजर्व बैंक आफ इंडिया और अन्य बैंकों के ग्राहक जागरूकता अभियान ने अपना असर दिखाना शुरू किया, वैसे ही ठगों ने भी नए तरीके इजाद कर लिए। लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए ठग अब ओटीपी जैसे पुराने तौर तरीके पर निर्भर नहीं है बल्कि बैंकिंग से जुड़े एप, वेबसाइट बनाकर व अन्य तरीके से लोगों को शिकार बना रहे हैं। दिल्ली पुलिस का फर्जी नोटिस भेजकर भी उगाही करने के मामले सामने आ रहे हैं।
राजधानी में देखा जाए तो इन दिनों रोजाना औसतन 100 मामले आ रहे हैं, जिनमें अधिकतर बैंकिंग से जुड़ी वेबसाइट व एप का लिंक भेजकर बैंक खाते की जानकारी लेकर ठगी करने के हैं। ऐसे मामलों में पीडि़त के पास ओटीपी नहीं आता है। जब पैसे खाते से कट जाते हैं तब उन्हें इसका संदेश पहुंचता है। अधिकारियों का कहना है कि अधिकतर मामलों में साइबर हेल्पलाइन पर मिली शिकायत के बाद पैसे ठगों के पास जाने से बचा लिए जाते हैं, लेकिन जिनकी शिकायत देर से मिलती है उस पर कार्रवाई में समय लगता है। यूपीआइ, पेटीएम, डेबिट व क्रेडिट कार्ड, आनलाइन नौकरी देने के तरीकों व हैकिंग मेल आदि से ठगी के मामले आते रहते हैं। लेकिन इन दिनों पुलिस का फर्जी नोटिस भेजकर व प्रापर्टी पोर्टल पर प्रापर्टी किराये पर लेने के लिए एडवांस पेमेंट के लिए क्यूआर कोड भेजकर ठगी करने के मामले सामने आ रहे हैं।
बैंक का एप बनाकर ठगी
हाल में दिल्ली एनसीआर में साइबर ठगों ने एक नामी बैंक का फर्जी एप हूबहू उसी तरह से बनाकर ठगी की। ठगों ने पीडि़त को एप का लिंक भेजकर एप डाउनलोड करा लिया। इसके बाद पीडि़त ने अपने बैंक खाते से जुड़ी जानकारी जैसे ही डाली तो उनके खाते से पैसे कट गए। पुलिस अधिकारी ने बताया कि बैंक की एप जैसा एप बनाकर स्क्रीन रिकार्ड करने की तकनीक का इस्तेमाल कर ठग अपने लैपटाप या मोबाइल पर पीडि़त द्वारा एप में भरी गई सारी जानकारी प्राप्त कर लेता है। ऐसे में वह बड़ी आसानी से पीडि़त के खाते से पैसे साफ कर देता है।
पुलिस का फर्जी नोटिस भेज ठगी
हाल ही में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने तमिलनाडु से तीन ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया जो लोगों को इंटरनेट पर पोर्न व अन्य आपत्तिजनक सामग्री देखने पर दिल्ली पुलिस का फर्जी नोटिस आनलाइन भेजते थे। नोटिस को कुछ इस तरह बनाया हुआ था कि देखने पर असली लगता था। इसमें लिखा जाता था कि कंप्यूटर की विंडो और सभी फाइलें लाक कर दी गई हैं आपके नाम और पते की पहचान कर ली गई है। साथ में यह चेतावनी भी रहती थी कि अगर छह घंटे के भीतर जुर्माना नहीं भरा तो पुलिस घर पहुंचकर गिरफ्तार भी करेगी। ऐसे में आरोपितों ने देशभर में करीब 10 हजार लोगों से 25 करोड़ की ठगी की वारदात को अंजाम दिया था।
प्रापर्टी किराये पर लेने के नाम पर धोखाधड़ी
प्रापर्टी किराये पर लेने के नाम पर भी दिल्ली एनसीआर में ठगी के कई मामले सामने आ रहे हैं। इसमें साइबर ठग प्रापर्टी पोर्टल पर सूचीबद्ध प्रापर्टी को किराये पर लेने के लिए प्रापर्टी मालिक को फोन करते हैं। उन्हें विश्वास में लेने के लिए ठग भारतीय सेना में कर्मचारी होना बताते हैं और वह सेना का फर्जी आइडी कार्ड आदि भी प्रापर्टी मालिक को भेज देते हैं। जब प्रापर्टी मालिक विश्वास कर लेता है तब वह उन्हें एडवांस पेमेंट देने के लिए क्यूआर कोड भेजते हैं। जैसे ही पीडि़त उसे स्कैन करता है तो उसके बैंक खाते से पैसे कट जाते हैं।
आनलाइन गेमिंग भी है ठगी का नया तरीका
गाजियाबाद में साइबर जालसाज पुलिस से भी कहीं तेज हैं। पुलिस एक तरीके को ट्रेस करती है, उससे पहले ही ठग चार नए तरीके ईजाद कर लेते हैं। नया तरीका है आनलाइन गेम। गाजियाबाद साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि ठग बल्क में मैसेज भेजते हैं, जिसमें एक लिंक होता है। इस पर क्लिक करते ही वेबसाइट खुलती है। मोबाइल नंबर से पंजीकरण कराने के बाद तीन पत्ती, रमी, लूडो समेत दर्जनों गेम खेलने का विकल्प आता है। इसमें पैसे जोड़कर खेलते हैं और जीतने पर रकम बढ़ जाती है। वालेट से पैसे खाते में ट्रांसफर करने का भी विकल्प मिल जाता है। कमाई होती देख लोग बड़ी रकम लगाते हैं। इसमें जीतने पर ट्रांसफर का विकल्प बंद हो जाता है। गाजियाबाद साइबर सेल को ऐसी 10 शिकायतें मिल चुकी हैं।
फरीदाबाद में बीमा के नाम पर ठगी
जिले में इंश्योरेंस पालिसी में मुनाफे का झांसा देकर साइबर ठगी की शिकायतें सबसे अधिक हैं। इस तरह की औसतन तीन से चार शिकायतें रोजाना पहुंच रही हैं। साइबर थाना प्रभारी बसंत कुमार ने बताया कि साइबर ठग पहले ऐसे लोग की तलाश करते हैं जो जिनकी इंश्योरेंस पालिसी की किस्त बकाया है या जो पालिसी सरेंडर करना चाहते हैं। ठग मोटे मुनाफे का झांसा देकर कुछ रकम बैंक खाते में ट्रांसफर करने को कहते हैं। झांसे में आकर व्यक्ति रकम ट्रांसफर कर देता है। साइबर ठग भुगतान की गई रकम की रसीद भी बनाकर देते हैं, जो बिल्कुल असली लगती है। इससे व्यक्ति को विश्वास हो जाता है कि बीमा कंपनी से ही उनके पास काल आ रही है। कभी रजिस्ट्रेशन फीस, कभी प्रोसेसिंग फीस के नाम पर साइबर ठग व्यक्ति से तब तक रुपये मंगाते रहते हैं जब तक उसे संदेह ना हो जाए। इसके बाद अपना मोबाइल बंद कर देते हैं।
कुछ और तरीके
- वीडियो काल पर अश्लीलता कर युवकों के अश्लील वीडियो रिकार्ड कर ब्लैकमेल करना।
- जालसाज बैंकिंग संस्था व आनलाइन शापिंग वेबसाइट के कस्टमर केयर के रूप में अपना मोबाइल नंबर रिव्यू के रूप में पोस्ट कर देते हैं। लोग गूगल पर सर्च करते हैं तो यही नंबर आते हैं, जिन पर काल करने के बाद जालजास बैंक खाते की जानकारी लेकर ठगी करते हैं।
- पुलिस अधिकारी, नेता, पत्रकार, व्यावसायी की क्लोन फेसबुक प्रोफाइल बना उनके दोस्तों से पैसे मांगना।
- पेंशनधारकों से कोषागार अधिकारी बनकर ठगी करना।