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कैसे MP के सीएम कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ा सकता है 1984 सिख दंगा, पढ़िए- यह स्टोरी

भाजपा विधायक व दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा का दावा है कि इनमें से गुरुद्वारा रकाबगंज दंगे से जुड़े एक केस में कमलनाथ ने आरोपितों को शरण दी थी।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 09:11 AM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 09:21 AM (IST)
कैसे MP के सीएम कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ा सकता है 1984 सिख दंगा, पढ़िए- यह स्टोरी
कैसे MP के सीएम कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ा सकता है 1984 सिख दंगा, पढ़िए- यह स्टोरी

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन दंगों से जुड़े बंद मामलों की फिर से जांच के लिए बनी एसआइटी ने सात मामलों की दोबारा जांच शुरू कर दी है। इन सभी मामलों में आरोपितों को बरी कर दिया गया है या अदालत में सुनवाई बंद हो चुकी है। वैसे तो इन सातों केस से जुड़ी एफआइआर में सीधे तौर पर कमलनाथ का नाम नहीं है, लेकिन भाजपा विधायक और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा का दावा है कि इनमें से गुरुद्वारा रकाबगंज दंगे से जुड़े एक केस में कमलनाथ ने आरोपितों को शरण दी थी और इसके लिए दो चश्मदीद गवाही देने को तैयार हैं।

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एसआइटी ने जिन सात मामलों की जांच का फैसला किया है, वे दिल्ली के थाना क्षेत्र वसंत विहार (दंगा स्थल मुनरिका), थाना क्षेत्र सनलाइट कालोनी (दंगा स्थल भगवान नगर), कल्याणपुरी, संसद मार्ग (दंगास्थल गुरुद्वारा रकाबगंज), कनॉट प्लेस, थाना क्षेत्र पटेल नगर (दंगास्थल आनंद पर्बत क्षेत्र) और शाहदरा थाना क्षेत्र से जुड़े हैं। एसआइटी ने सार्वजनिक सूचना जारी कर आम जनता से इन केस से संबंधित जानकारी देने को कहा है। इसके अनुसार कोई व्यक्ति, समूह, संस्था या संगठन इन केस से जुड़ी कोई भी जानकारी एसआइटी से साझा कर सकता है। इसके लिए एसआइटी के पुलिस स्टेशन में केस की जांच के प्रभारी अधिकारी से संपर्क करना होगा। दरअसल, 9 अप्रैल को गृहमंत्रलय ने एसआइटी को लिखा था कि ऐसे सभी गंभीर मामले जिसमें आरोपित बरी हो गए हैं, उसकी फिर से जांच शुरू की जाए। इसके बाद 19 अगस्त को इन मामलों से जुड़े तथ्यों को गृह मंत्रलय की वेबसाइट पर डालने का निर्देश दिया गया था ।

माथुर कमेटी ने की थी सिफारिश

मोदी सरकार ने 2014 में सेवानिवृत्त जस्टिस जीपी माथुर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। अपनी रिपोर्ट में जस्टिस जीपी माथुर कमेटी ने एसआइटी का गठन कर बंद मामलों की दोबारा जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद 12 फरवरी 2015 को दो आरक्षी निरीक्षक और एक न्यायिक अधिकारी वाले एसआइटी का गठन किया गया।

650 में से 80 मामलों की पड़ताल

साढ़े चार साल में एसआइटी ने सिख दंगे से जुड़े कुल 650 मामलों में से 80 की गहन छानबीन की है। इनमें से सात मामलों की जांच शुरू करने का फैसला लिया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कई राज्यों में भड़के सिख विरोधी दंगों में 3325 लोग मारे गए थे। इनमें से 2733 लोग सिर्फ दिल्ली में मारे गए थे। दिल्ली पुलिस ने सुबूतों के अभाव में 241 केस बंद कर दिए थे। बाद में सीबीआइ ने चार केस की दोबारा जांच शुरू की। इनमें से केवल दो केस में आरोपपत्र दाखिल किया गया। इन्हीं में से एक मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों से जुड़े तीन अलग-अलग मामलों में पिछले साल अदालतों से फैसले आए थे। इसमें पटियाला हाउस और हाई कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई। पिछले साल 20 नवंबर को पटियाला हाउस से जो फैसला आया था, वह 2015 में केंद्रीय गृह मंत्रलय द्वारा गठित स्पेशल जांच एजेंसी (एसआइटी) की तफ्तीश के बाद आया था। जबकि अन्य फैसले सीबीआइ जांच के बाद दायर किए आरोप पत्रों के आधार पर आए। इन फैसलों ने दंगा पीड़ित सिख समुदाय के लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने का काम किया।

पहला फैसला

20 नवंबर 2018 : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक दोहरे हत्याकांड में फैसला सुनाया। हत्याकांड के दोषी यशपाल सिंह को फांसी की सजा हुई थी, जबकि दोषी नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा दी गई थी। 1 नवंबर 1984 को दक्षिणी दिल्ली के महिपालपुर इलाके में हरदेव सिंह और अवतार सिंह (घटना के वक्त उम्र क्रमश: 24 और 25 साल) की हत्या कर दी गई थी। यह फैसला एसआइटी की जांच के बाद दाखिल किए गए आरोप पत्र पर आया था।

दूसरा फैसला

28 नवंबर 2018: दंगे के 88 दोषियों की 5 साल की सजा बरकरार रखने का फैसला पिछले साल 28 नवंबर को हाई से आया था। त्रिलोकपुरी में हुए दंगे में अगस्त 1996 के कड़कड़डूमा कोर्ट के फैसले पर हाई कोर्ट ने मुहर लगाई थी। अब सिर्फ 47 दोषी जीवित हैं, जबकि अन्य की मौत हो चुकी है। यह फैसला सीबीआइ की जांच पर आधारित है।

तीसरा फैसला

17 दिसंबर 2018 : हाई कोर्ट ने दिल्ली कैंट में सिख विरोधी दंगे के दौरान हुई पांच हत्याओं के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार सहित चार दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई। सज्जन कुमार को प्राकृतिक मौत तक जेल में रखने का आदेश है। यह फैसला भी सीबीआइ जांच पर आधारित था।

फिर से जांच का स्वागत करता हूं : मनजिंदर सिंह सिरसा

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वह एसआइटी के सिख विरोधी दंगों की दोबारा जांच करने का स्वागत करते हैं। सिरसा ने सोमवार को बताया कि एसआइटी ने संसद मार्ग थाने में दर्ज 601/84 की जांच शुरू कर दी है। यह मामला उन दो गवाहों के आधार पर है जिन्होंने नानावती कमीशन के सामने बयान देकर 1984 सिख विरोधी दंगे में कमलनाथ और वसंत साठे की भूमिका की बात कही थी। इसमें कमलनाथ पर आरोप है कि उन्होंने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में भीड़ को हिदायत देकर दंगे को अंजाम दिलवाया।

कमलनाथ से इस्तीफा लें सोनिया गांधी

सिरसा ने अपील की कि जो इस मामले में चश्मदीद गवाह हैं वे बिना किसी डर के सामने आएं और एसआइटी को जानकारी दें। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि वह कमलनाथ से इस्तीफा लें। सिरसा ने जांच शुरू होने का श्रेय शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को दिया। कहा कि उनके संघर्ष की वजह से एसआइटी को उन मामलों की जांच करने का अधिकार मिला जिन मामलों में या तो चार्जशीट फाइल हो चुकी थी या फिर अदालत द्वारा फैसला सुनाया जा चुका था। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब कमलनाथ इस मामले में बच नहीं सकेंगे।

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