जानिये- मोनिका अरोड़ा की उस जंग के बारे में, जो बंगाल से दिल्ली तक के दंगा पीड़ितों को दिला रहीं न्याय
Monika Arora सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता व दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार की स्टैंडिंग काउंसल मोनिका अरोड़ा ने दिल्ली बंगाल समेत देश के विभिन्न हिस्सों के 500 से अधिक पीड़ितों को दिलवाई कानूनी व प्रशासनिक मदद दी है।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता व दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार की स्टैंडिंग काउंसल मोनिका अरोड़ा दिल्ली व बंगाल समेत देशभर में दंगा व हिंसा पीड़ितों की सशक्त आवाज बनी हुई हैं। वह पीड़ित लोगों को विभिन्न न्यायालय से न सिर्फ न्याय दिलवा रही है, बल्कि उनके पुनर्वास के लिए केंद्र, राज्य सरकार व विभिन्न आयोग तक का दरवाजा खटखटा रही है। हिंदू कालेज से एलएलबी करने वाली अरोड़ा अब तक देशभर में 500 से अधिक पीड़ितों की मदद करके उनके तथा उनके परिवार के जीवन को दोबारा से पटरी पर ला चुकी हैं। वर्ष 2007 में बार काउंसिल आफ दिल्ली में पंजीकृत हुई मोनिका ने दंगा व हिंसा जैसी घटनाओं के सही तथ्यों को जुटाने व जरूरतमंदों की मदद के लिए वर्ष 2016 में ग्रुप आफ इंटिलेक्चुअल एंड एकेडमिक नामक समूह बनाया।
मोनिका का मकसद पीड़ितों को न्याय और सरकारी योजना का लाभ दिलाना है
समूह की संरक्षक मोनिका अरोड़ा बताती हैं कि इस ग्रुप की खासियत यह है कि इसमें अधिवक्ता, रिटायर प्रोफेसर, चार्टर्ड एकाउंटेंट, सेवानिवृत्त नौकरशाह समेत कई 300 महिला बुद्धिजीवी शामिल हैं।पीड़ित व पुलिस-प्रशासन से हम बच्चे से लेकर बड़े और बुजुर्ग पीड़ित का रिकार्ड तैयार करते हैं और इसे जस का तस प्रकाशित करते हैं। इसकी रिपोर्ट केंद्र व राज्य सरकार के साथ विभिन्न आयोग भेजते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य पीड़ित को पुलिस और चिकित्सा सहायता दिलाने के साथ पीड़ित की एफआरआर दर्ज कराने से लेकर सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाना है।
न थकने वाली मोनिका की अन्याय के खिलाफ जंग जारी है
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ जब दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन तेज हुआ और फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़क गए तो अपने ग्रुप के पांच से छह लोगों की एक टीम बनाकर अरोड़ा खुद घटनास्थल पर पहुंच गई।
उन्होंने ज्यादा से ज्यादा दंगा पीड़ितों से मुलाकात कर उनका साक्षात्कार कर तथ्य रिकार्ड किए। मोनिका बताती हैं कि उनकी टीम ने दिल्ली दंगा में जहां 50 से अधिक लोगों को दी कानूनी मदद की। उनकी टीम ने कई मामलों को स्पष्ट किया। इसमें से एक मामला था, जिसमें एक स्कूल की छत से स्नाइपर अटैक हुआ था और विनोद कुमार कश्यप के माथे पर गोली मारी गई थी। उन्होंने बताया कि विनोद कश्यप समेत दिल्ली दंगा मामले में 50 से अधिक लाेगों की एफआइआर दर्ज कराने व कानूनी मदद करने का काम किया।सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का काम अब भी जारी है।
बंगाल हिंसा में महिला पीड़ितों के घाव पर लगाया मरहम
मोनिका अरोड़ा बताती हैं कि बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की जीत के बाद जब विभिन्न इलाकों में हिंसा हुई।वहां लोगों की शिकायत नहीं दर्ज की जा रही थी, बच्चों के पास खाने को नहीं था। तब उन्होंने अपनी टीम के साथ 250 से अधिक पीड़ित महिलाओं का फोन पर ही वीडियो साक्षात्कार किया।पीड़ित महिलाओं व बच्चों की शिकायत उन्होंने राज्य सरकार स राज्यपाल तक पहुंचा कर मामला दर्ज कराकर कानूनी मदद की।उनकी शिकायत पर 250 से अधिक पीड़ित महिलाओं की शिकायत दर्ज की गई और उन्हें कई महीने सरकारी योजना के तहत खाना उपलब्ध कराया गया।
लव जिहाद से पीड़ित 25 युवतियों को दिलाई कानूनी मदद
मोनिका अरोड़ा बताती हैं कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लव-जिहाद की पीड़िता पूर्वी दिल्ली निवासी एक पीड़ित युवती ने हमसे संपर्क किया।मुस्लिम लड़के ने हिंदू बनकर पहले उससे शादी की थी।फिर उस पर मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए दबाव डालता और मारपीट करता था।उस मामले में हमने एफआइआर दर्ज कराकर उसकी कानूनी मदद की। इसके बाद पंजाब व हरियाणा समेत कई विभिन्न जगहों से कई पीड़ित युवतियों ने संपर्क किया। अब तक हमने 25 से अधिक लड़कियों की कानूनी मदद की।दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में पुलिस की मदद से हमने मामला दर्ज कराया और उनकी कानूनी मदद की।
किताब का योगी करेंगे विमोचन
मोनिका बताती हैं कि लव जिहाद से पीड़ित युवतियों की दर्दनाक कहानियों को हमने एक किताब की शक्ल दी है।इस किताब का आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विमोचन करेंगे।
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