Move to Jagran APP

जानें- इंडिया गेट के बारे में, आज ही के दिन 1921 में रखी गई थी नींव

एके जैन कहते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत चाहती थी कि सरकार से संबंधित आयोजन भव्यता के साथ आयोजित हों इस वजह से इंडिया गेट के चारों तरफ खुला मैदान रखा गया है और इसी के चलते विभिन्न रियासतों के राजाओं को इंडिया गेट के आसपास जमीन आवंटित की गई।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 10 Feb 2021 11:20 AM (IST)Updated: Wed, 10 Feb 2021 11:20 AM (IST)
डयूक ऑफ कनॉट ने इंडिया गेट की नींव रखी थी।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। 10 फरवरी, 1921 को डयूक ऑफ कनॉट ने इंडिया गेट की नींव रखी थी। इसको आर्किटेक्ट एडविन लुटियन ने तैयार किया था। 12 फरवरी, 1931 को यह बनकर तैयार हुआ था। प्रसिद्ध वास्तुकार एके जैन कहते हैं कि इंडिया गेट और पेरिस के आर्च ऑफ विक्ट्री में काफी समानताएं है। आर्च ऑफ विक्ट्री, इंडिया गेट से सौ साल पुराना है। लुटियन ने नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा की रूपरेखा तैयार की तो इसके पूर्व भाग में इंडिया गेट का खाका खींचा।

loksabha election banner

सेंट्रल विस्टा के एक तरफ रायसीना हिल्स तो दूसरी तरफ नहर थी। सेंट्रल विस्टा की चौड़ाई 600 मीटर है। राजपथ इसके ठीक बीच में है। वहीं, इंडिया गेट की संरचना की बात करें तो यह 42 मीटर ऊंचा और 9.1 मीटर चौड़ा है इसे लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बनाया गया है। पत्थरों को राजस्थान के भरतपुर से लाया गया था। इंडिया गेट का पूरा परिसर करीब 400 एकड़ में फैला हुआ है।

समारोहों के आयोजन की योजना

एके जैन कहते हैं कि ब्रिटिश हुकूमत चाहती थी कि सरकार से संबंधित आयोजन भव्यता के साथ आयोजित हों इस वजह से इंडिया गेट के चारों तरफ खुला मैदान रखा गया है और इसी के चलते विभिन्न रियासतों के राजाओं को इंडिया गेट के आसपास जमीन आवंटित की गई। जोधपुर हाउस, बड़ौदा हाउस, हैदराबाद हाउस, जयपुर हाउस आदि इसी विचार के चलते अस्तित्व में आए। यहां किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा भी लगाई गई थी, हालांकि, आजादी के बाद उसे हटाकर किंग्सवे कैंप भेज दिया गया।

इंडिया गेट पर सैनिकों के नाम

एके जैन बताते हैं प्रथम विश्व युद्ध 1914 में शुरू हुआ। भारत के करीब एक लाख जवान युद्ध में शामिल हुए जिनमें से 60 हजार से अधिक जवानों की मौत हुई थी। जब विश्व युद्ध खत्म हुआ तो वायसराय लार्ड हार्डिग ने सैनिकों की याद में एक स्मारक बनाने का प्रस्ताव दिया। इस तरह इंडिया गेट पर सैनिकों के नाम अंकित किए गए। लुटियन की योजना थी कि यहां एक झील बने जिसे यमुना से जोड़ा जाए, लेकिन चूंकि योजना काफी खर्चीली थी इसलिए इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.