'दिल्ली कूच' के एलान का किसान मेले पर पड़ सकता है असर, टलने की संभावना बढ़ी
पंजाब-हरियाणा के बार्डर पर जिस तरह से किसान जमे हैं और उन्होंने दिल्ली कूच का एलान किया हुआ है। उसे देखते हुए इसके आयोजन के टलने की संभावना बढ़ने लगी है। बदली हुई परिस्थिति में क्या बेहतर रहेगा इसे लेकर संस्थान के अधिकारी शुक्रवार को निर्णय लेंगे। हालांकि पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में इसकी तैयारी अभी भी जोर-शोर से हो रही है।

गौतम कुमार मिश्रा, पश्चिमी दिल्ली। पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिसर में इन दिनों किसान मेले के आयोजन से जुड़ी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। लेकिन पंजाब-हरियाणा के बार्डर पर जिस तरह से किसान जमे हैं और उन्होंने दिल्ली कूच का एलान किया हुआ है। उसे देखते हुए इसके आयोजन के टलने की संभावना बढ़ने लगी है। बदली हुई परिस्थति में क्या बेहतर रहेगा, इसे लेकर संस्थान के अधिकारी शुक्रवार को निर्णय लेंगे।
पंजाब-हरियाणा से बड़ी संख्या में पहुंचते हैं किसान
पूसा में सलाना आयोजित होने वाले किसान मेले में जो किसान पहुंचते हैं, उनमें सबसे अधिक तादाद पंजाब और हरियाणा के किसानों की होती है। पिछली बार जब सिंघु, टीकरी बार्डर पर किसान जुटे थे, तब इनमें पंजाब व हरियाणा के किसानों की सर्वाधिक तादाद थी। दोनों तथ्यों को देखते हुए अनेक तरह की आशंकाएं सुरक्षा को लेकर हैं।
इन आशंकाओं को लेकर संभव है कि संस्थान के पदाधिकारी पुलिस अधिकारियों से मंत्रणा करें कि क्या बदली हुई परिस्थतियों में यदि मेला आयोजन होता है तो कानून व्यवस्था को लेकर कोई दिक्कत नहीं खड़ी होगी। एक समस्या बार्डर पर आवागमन रोकने को लेकर भी है। मेले में पंजाब व हरियाणा से पहुंचने वाले अधिकांश किसान गांवों से समूह बनाकर बस से पहुंचते हैं। बॉर्डर पर आवागमन बंद होने से इन्हें दिल्ली पहुंचने में परेशानी होगी। इन सभी बातों का भी मंत्रणा के दौरान ख्याल रखा जाएगा।
28 फरवरी से एक मार्च तक आयोजन है तय
फिलहाल मेले को लेकर जो तैयारियां चल रही हैं। उसके अनुसार मेला 28 फरवरी से एक मार्च तक आयोजित होना है। इस वर्ष मेले की थीम कृषि उद्यमिता से समृद्ध किसान है। मेला में इस बार करीब 200 स्टॉल लगाए जाने हैं। ये स्टॉल प्रगतिशील किसानों के अलावा विभिन्न मंत्रालयों, विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थानों को आंवटित किए गए हैं। इन स्टाल पर खेतीबाड़ी से जुड़ी पर्यावरण अनुकूल व आधुनिक तकनीक व माडल का प्रदर्शन किया जाएगा।
क्यों अहम है पूसा का किसान मेला
पूसा संस्थान के किसानों के लिए मेला का आयोजन वर्ष 1972 से ही किया जा रहा है। मेला आयोजन का उद्देश्य कृषि तकनीक विकास के बारे में जागरूकता पैदा करने और विभिन्न मुद्दों पर किसानों की प्रतिक्रिया प्राप्त करना है। यहां किसानों को विज्ञानियों से सीधे संवाद का भी अवसर प्राप्त होता है। पूसा का किसान मेला देश के किसानों में सर्वाधिक लोकप्रिय मेला है। इसकी वजह यह है कि यहां किसानों को विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों की जीवंत प्रदर्शनी देखने को मिलती है। किसानों के लिए यहां सबसे बड़ा आकर्षण बीजों की सीधी खरीद है। बीज खरीद को लेकर किसानों में इस कदर होड़ रहती है कि बीज खरीद काउंटर पर लंबी लंबी कतारें लगी रहती हैं। कई बार किसान बीज खरीदने को लेकर इतना उतावलापन दिखाते हैं कि भगदड़ के हालात बनने लगते हैं और पुलिस को बुलाना पड़ता है।
तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष पूसा संस्थान प्रशासन ने मेले के दौरान बीजों की बिक्री के लिए किसानों को आनलाइन बुकिंग का भी विकल्प दिया है। इसके तहत किसान पूर्व भुगतान कर जितनी मात्रा में चाहें बीज खरीद की अग्रिम बुकिंग करा सकते हैं। बुकिंग के बाद उन्हें एक टोकन दिया जाएगा, जिसमें निश्चित समय व स्थान का जिक्र होगा, जहां वे जाकर बीज ले सकते हैं। मेले में आने का एक और आकर्षण यह है कि यहां परिसर में एक ही स्थान पर किसानों को सरकार द्वारा संचालित किए जा रहे तमाम कृषि योजनाओं की जानकारी मिलती है।

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