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    छोटी उम्र में बड़ा जुनून, नंगे पैरों को पहुंचा रहे हैं सुकून; क्या है 17 साल के केशव का Barefoot अभियान

    Updated: Thu, 17 Jul 2025 01:51 PM (IST)

    दक्षिणी दिल्ली के 17 वर्षीय केशव बेरफुट वारियर अभियान चला रहे हैं। वे घर-घर जाकर पुराने जूते-चप्पल इकट्ठा करते हैं और जरूरतमंदों को बांटते हैं। केशव ने सड़कों पर नंगे पैर घूमते बच्चों को देखकर यह संकल्प लिया था। अब तक वे करीब चार हजार जूते-चप्पल बांट चुके हैं। चिंतन संस्था के मार्गदर्शन में केशव इस मुहिम को चला रहे हैं।

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    बेरफुट वारियरअभियान चला रहे केशव की फाइल फोटो। जागरण

    जागरण संवाददाता, दक्षिणी दिल्ली। हौंसले की उड़ान में उम्र कभी बाधा नहीं बनती, ये पंक्ति दिल्ली के 17 वर्षीय केशव पर बिल्कुल सटीक बैठती है।

    दक्षिणी दिल्ली निवासी केशव ने समाज में बदलाव के लिए खास पहल चला रहे हैं। ‘बेरफुट वारियर’ अभियान के तहत वे घर-घर जाकर पुराने जूते-चप्पल इकट्ठा कर जरूरतमंदों को बांटते हैं।

    सड़क पर बच्चों को नंगे पैर चलते उन्होंने राहत दिलाने का संकल्प लिया था। अब तक वह करीब चार हजार जूते-चप्पल वितरित कर चुके हैं और छोटी सी उम्र में समाज में बड़ा बदलाव लाने की कोशिश में जुटे हैं।

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    12वीं में पढ़ते हैं केशव

    17 वर्षीय केशव 12वीं कक्षा में हैं। वे बताते हैं कि सड़कों पर नंगे पैर घूमते बच्चों को देखकर उनके लिए कुछ करने का ख्याल आया और घर से पुराने जूते-चप्पल इकट्ठा कर और कई बार पाकेटमनी से खरीद कर बांटने लगे।

    पहल को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने ‘बेरफुट वारियर्स’ की स्थापना की थी। इस समय वे चिंतन संस्था के मार्गदर्शन में ये मुहिम चला रहे हैं।

    केशव की इस मुहिम में सहयोग दे रहीं चिंतन संस्था की संस्थापक भारती चतुर्वेदी बताती हैं कि केशव इस मुहिम को बड़े पैमाने पर करना चाहते थे। उनके जज्बे को देखकर हम मदद कर रहे हैं।

    बंगाली मार्केट में बनाया है कलेक्शन सेंटर

    पुराने जूते-चप्पल साफ करने के लिए दो महिलाओं और उनकी मरम्मत के लिए एक मोची को रखा हुआ है। इन जूते-चप्पलों को ठीक कर जरूरतमंदों को दिए जाते हैं।

    बंगाली मार्केट में कलेक्शन सेंटर बनाया हुआ है, साथ ही घर से जाकर जूते-चप्पल एकत्र करते हैं। केशव के साथ पढ़ाई करने वाले छात्र भी उसके काम से बहुत प्रभावित हैं। इसी तरह क्षेत्र के युवा भी उसे हर संभव सहयोग करने का प्रयास करते हैं।

    धीरे-धीरे केशव को लोग जानने लगे हैं और वे खुद भी बंगाली मार्केट में इसके लिए बनाए गए कलेक्शन सेंटर में जाकर जूते-चप्पल पहुंचाते हैं।

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