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    बिजली मीटर के पास अवश्य रखें अग्निशामक यंत्र

    Updated: Mon, 06 Oct 2025 11:52 PM (IST)

    कई घटनाओं में देखा गया है कि अधिक लोड पड़ने पर बिजली मीटर या वायरिंग में चिंगारी उत्पन्न होती है जो आग का रूप ले सकती है। यह स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब वायरिंग घटिया क्वालिटी की होती है या अनधिकृत ढंग से की गई होती है। घर के भीतर लगातार एयरकंडीशन चलाने से परहेज करें। समय-समय पर इसे बंद करते रहें।

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    जागरूकता और छोटी-छोटी सावधानियां बड़े हादसों को टाल सकती हैं।

     आग से सुरक्षा के लिए घर में कई मानकों को मानना बेहद आवश्यक है। दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी एंड इंजीनियरिंग के निदेशक जिले सिंह लाकड़ा ने एक अहम सुझाव दिया है। उनका कहना है कि हर घर में, विशेषकर बिजली मीटर के आसपास एक अग्निशामक यंत्र (Fire Extinguisher) अवश्य होना चाहिए। यह एक सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय है जो किसी भी आकस्मिक आगजनी की स्थिति में जान-माल की सुरक्षा कर सकता है।

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    उन्होंने बताया कि कई घटनाओं में देखा गया है कि अधिक लोड पड़ने पर बिजली मीटर या वायरिंग में चिंगारी उत्पन्न होती है जो आग का रूप ले सकती है। यह स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब वायरिंग घटिया क्वालिटी की होती है या अनधिकृत ढंग से की गई होती है।

    दिल्ली कॉलेज ऑफ फायर सेफ्टी एंड इंजीनियरिंग के निदेशक जिले सिंह लाकड़ा का कहना है कि घर के भीतर एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि लगातार एयरकंडीशन चलाने से परहेज करें। समय-समय पर इसे बंद करते रहें।

    जिले सिंह लाकड़ा का सुझाव है:

    घरों की वायरिंग हमेशा ISI मार्क वाले उच्च गुणवत्ता के तारों से होनी चाहिए।

    स्थापित बिजली मीटर और मुख्य वितरण बॉक्स के आसपास एक सक्षम अग्निशामक यंत्र जरूर रखें।

    सस्ते और नकली इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तथा वायरिंग के इस्तेमाल से बचें।

    समय-समय पर इलेक्ट्रिक लोड और वायरिंग की जांच करवाते रहें।

    किसी भी अनियमितता पर तुरंत कुशल इलेक्ट्रीशियन या बिजली विभाग से संपर्क करें।

    उनका कहना है कि जागरूकता और छोटी-छोटी सावधानियां बड़े हादसों को टाल सकती हैं। कई लोग बचत के नाम पर सस्ते वायर या उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह जानलेवा साबित हो सकता है।

    लाकड़ा का कहना है कि आपदा से बचाव के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण कार्यक्रम होने चाहिए। इस तरह के कार्यक्रमों में शिक्षा संस्थानों के साथ आरडब्ल्यू को भी शामिल होना चाहिए ताकि आबादी के प्रत्येक हिस्से में जानकारी पहुंचे।लाकड़ा बताते हैं कि हमारे देश में आपदा नियंत्रण के लिए दो संस्थाएं काम कर रही है। इसमें नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी और डायरेक्टर सिविल डिफेंस शामिल है। नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी नियम व कानून बनाती है। उन्होंने कहाकि आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण के ज़रिए, लोग आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए तैयार हो सकते हैं। इससे जोखिम कम करने और निरंतरता सुनिश्चित करने में मदद मिलती है। लाकड़ा कहते हैं कि फायर डिपॉर्टमेंट के लोग आपदा के समय बेहतरीन कार्य करते हैं।

    दिल्ली कॉलेज ऑफ़ फायर एंड सेफ्टी इंजीनियरिंग (www.Dcfse.com) के निदेशक जिले सिंह लाकड़ा कहते हैं कि फायर डिपार्टमेंट से जुड़ना एक कामयाब करियर के साथ साथ जनसेवा भी है। फायर फाइटर्स का मुख्य काम होता है आग लगने के कारणों का पता लगाना और उसे रोकने के उपायों का विषलेशण करना। फायर फाइटिंग सिविल, इलेक्ट्रीकल, एंवॉयरमेंटल इंजीनियरिंग से जुड़ा क्षेत्र है। मसलन आग बुझाने के यंत्रों की तकनीकी जानकारी, स्प्रिंक्लर सिस्टम, अलार्म, पानी की बौछार का सबसे स्टीक इस्तेमाल, कम से कम समय और कम से कम संसाधनों में ज्यादा से ज्यादा जान और काम की रक्षा करना उसका उद्देश्य होता है।