दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मिला कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधिमंडल, रखी ये मांगे
दिल्ली में कश्मीरी पंडितों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से मुलाकात की और लंबित नकद सहायता और एएमआर से जुड़ी समस्याओं पर बात की। मुख्यमंत्री ने जल्द समाधान का आश्वासन दिया और उन्हें शारदा दिवस के लिए निमंत्रण भी दिया गया। यह रेखा गुप्ता के मुख्यमंत्री बनने के बाद कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ उनकी पहली आधिकारिक बैठक थी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और गृह, शहरी विकास एवं विद्युत मंत्री अशीष सूद से कश्मीरी पंडितों के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। यह बैठक दिल्ली सचिवालय में हुई, जिसमें समुदाय से जुड़ी अहम समस्याओं को उठाया गया।
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के समक्ष नकद सहायता की बहाली का मुद्दा रखा, जो आम आदमी पार्टी की सरकार से ही पिछले एक साल से बंद है। इसके अलावा एएमआर से संबंधित शिकायतों पर भी चर्चा की गई।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख लोग
इस प्रतिनिधिमंडल में आल इंडिया कश्मीरी समाज के अध्यक्ष रविंदर पंडिता, केईसीएसएस के पद्मश्री रमेश बामजई, जेकेवीएम से संजय गंजू, भाजपा नेता अश्विनी चुरंगू और मोनिका पंडिता, सामाजिक कार्यकर्ता आशीष जुत्शी और रमेश टिक्कू शामिल थे।
मुख्यमंत्री ने दिया जल्द समाधान का आश्वासन
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि मुद्दों का शीघ्र समाधान किया जाएगा। उन्होंने डिविजनल कमिश्नर और संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि इसे अगली कैबिनेट बैठक में रखा जाए।
शारदा दिवस के लिए दिया निमंत्रण
बैठक की शुरुआत में रवींद्र पंडित (सेव शारदा समिति) ने मुख्यमंत्री और मंत्री अशीष सूद को शारदा शाल भेंट की और उन्हें 31 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के तीतवाल स्थित शारदा मंदिर में होने वाले वार्षिक शारदा दिवस के कार्यक्रम में भाग लेने का निमंत्रण भी दिया।
नई सरकार से पहली आधिकारिक मुलाकात
गौरतलब है कि यह कश्मीरी पंडित समुदाय की दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से पहली आधिकारिक बैठक थी, जो उनके कार्यभार संभालने के बाद हुई। बता दें कि 1990 में कश्मीर में हुई लक्षित हिंसा के बाद करीब 20 हजार कश्मीरी पंडित परिवार दिल्ली आकर बस गए थे।
उस समय सरकार चार सदस्यों वाले कश्मीरी पंडित परिवार को 250 रुपये की आर्थिक मदद, नौ किलो चावल, दो किलो गेहूं और एक किलो चीनी देती थी, लेकिन 35 साल बाद आज दिल्ली के सिर्फ दो हजार के करीब कश्मीरी पंडित परिवारों को ही इस मदद का लाभ दिया जा रहा है। उसमें भी करीब एक वर्ष से यह सहायता बंद है।
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