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    K Kavitha Bail: कल आप अपनी मर्जी से किसी को भी उठा सकते हैं? शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने ED-CBI को लताड़ा

    Updated: Tue, 27 Aug 2024 02:19 PM (IST)

    Delhi Excise Policy Scam Case में मंगलवार को एक और नेता के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा आरोपी बनाई गईं भारत राष्ट्र समिति की नेता K Kavitha को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। उन्हें जमानत देते हुए अदालत ने ईडी और सीबीआई के पक्षपातपूर्ण रवैये की जमकर लताड़ा और HC की भी आलोचना की।

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    सुप्रीम कोर्ट से के कविता को मिली जमानत। फाइल फोटो पीटीआई

     डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Delhi Liquor Scam केस में एक और बड़े नेता को राहत मिल गई है। मामले में भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता को सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को जमानत मिल गई है। संजय सिंह, मनीष सिसोदिया के बाद मामले में जमानत पाने वाली के कविता तीसरी बड़ी नेता हैं।

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    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने के. कविता को जमानत देते हुए ईडी और सीबीआई की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। पीठ ने एजेंसियों के चयनात्मक रैवेये के लिए लताड़ लगाते हुए कुछ आरोपियों को गवाह बनाने को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी।

    यह भी पढ़ें: मनीष सिसोदिया के बाद के. कविता को SC से राहत, दिल्ली शराब घोटाले में इन शर्तों पर मिली जमानत

    जस्टिस बीआर गवई ने की तल्ख टिप्पणी

    जस्टिस बीआर गवई ने के कविता को जमानत देते हुए यह कहा कि 'अभियोजन निष्पक्ष होना चाहिए। एक शख्स जिसने खुद को दोषी बताया हो, उसे गवाह बना दिया गया! कल को आप जिसे चाहेंगे उसे उठा लेंगे? आप किसी आरोप को चुन नहीं सकते। ये कैसी निष्पक्षता है? बहुत ही निष्पक्ष और उचित विवेक लगाया है!'

    जस्टिस गवई ने एएसजी को दी चेतावनी

    जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऑफ इंडिया एसवी राजू को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा, अगर एएसजी ने मेरिट के आधार पर जमानत का विरोध करना जारी रखा तो वो ऐसी टिप्पणियां अपने आदेश में भी लिखेंगे।

    अदालत ने आदेश में क्या-क्या कहा

    • पीठ ने कहा कि सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट व शिकायत पत्र आदि सब जमा कर दिए गए हैं।
    • इसलिए पांच महीने से जेल में बंद आरोपी से कस्टडी में पूछताछ की अब कोई जरूरत नहीं है।
    • दोनों ही मामलों में ट्रायल जल्द खत्म नहीं हो सकता क्योंकि केस में करीब 493 गवाहों और 50000 पन्नों के दस्तावेजों का परीक्षण किया जाना है।
    • पीठ ने मनीष सिसोदिया केस में दी गई अपनी टिप्पणी को दोहराते हुए कहा कि अंडर ट्रायल कस्टडी सजा में नहीं बदलनी चाहिए।
    • पीठ ने यह भी कहा कि पीएमएलए एक्ट की धारा 45(1) में महिला को बेल के लिए विशेष कंसीडरेशन दिया गया है।
    • इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की उस ऑब्जर्वेशन की भी आलोचना की जिसमें कहा गया था कि पीएमएलए एक्ट महिलाओं को हाई स्टेटस नहीं देता।