न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा जैसे अनुभवी न्यायाधीश का अनुभव न्याय व्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण: मुख्य न्यायाधीश
दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा को उनकी सेवानिवृत्ति से पहले विदाई दी। मुख्य न्यायाधीश ने उनके अनुभव को न्यायिक व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण बताया। न्यायमूर्ति शर्मा ने अपने सफर पर गर्व जताया। उन्होंने उन्नाव दुष्कर्म मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को सजा सुनाई थी और उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में भी महत्वपूर्ण निर्णय दिए थे।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आगामी आठ जून को सेवानिवृत्त होने वाले न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट ने ग्रीष्मकालीन अवकाश पर जाने से पहले शुक्रवार को विदाई दी। शुक्रवार को अंतिम कार्य दिवस पर आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि जब न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा जैसे अनुभवी न्यायाधीश चले जाते हैं तो यह पूरी न्यायिक व्यवस्था के लिए क्षति है।
वहीं, विदाई समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने कहा कि जमीनी स्तर से उठकर दिल्ली हाई कोर्ट तक का सफर तय करने की अपनी यात्रा पर उन्हें गर्व है। हालांकि, हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपने अपेक्षाकृत संक्षिप्त कार्यकाल को देखते हुए उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा थी कि वे अधिक मामलों पर काम कर पाते।
कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई
17 मई 2023 को हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किए गए न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा ने ट्रायल कोर्ट में बतौर न्यायाधीश कई अहम निर्णय पारित किए। उन्होंने उन्नाव दुष्कर्म मामले में वर्ष 2017 के भाजपा से निष्कासित नेता व पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
इसके अलावा जुलाई 2022 में 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड से संबंधित एक मामले में सुबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए रियल एस्टेट टाइकून सुशील और गोपाल अंसल की सजा को बरकरार रखा था। इसमें 59 लोगों की जान चली गई थी।

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