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    प्रिया रमानी को बरी करते हुए जज ने कहा- रामायण-महाभारत के देश में महिलाओं से अपराध शर्मनाक

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Thu, 18 Feb 2021 08:29 AM (IST)

    जज रविंद्र कुमार पांडे ने कहा कि यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए महिला का दंडित नहीं किया जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन की गारंटी के रूप में जीवन के अधिकार और महिला की गरिमा की हर कीमत पर रक्षा करने का प्रविधान है।

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    यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए महिला का दंडित नहीं किया जा सकता है।

    नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। जिस देश में महिलाओं के सम्मान के लिए हुए संघर्ष पर रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ लिखे गए, वहां महिलाओं के साथ अपराध और हिंसा की घटनाएं होना शर्मनाक है। यह टिप्पणी करते हुए अतिरिक्त मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रविंद्र कुमार पांडे ने प्रिया रमानी को मानहानि मामले से बरी कर दिया।आदेश सुनाते समय उन्होंने कहा 'वाल्मिकी रामायण में महिलाओं के सम्मान के प्रति उच्च मानकों को रेखांकित किया गया है। जब राजकुमार लक्ष्मण से राजकुमारी सीता के स्वरूप के बारे में पूछा गया तो, लक्ष्मण जवाब देते हैं कि उन्हें सिर्फ सीता के पैर ही याद हैं, क्योंकि उन्होंने इससे ऊपर कभी नहीं देखा।'' इसी तरह, रामचरितमानस के अरण्य कांड में महिलाओं की गरिमा की रक्षा और उनके सम्मान की उत्कृष्ट परंपरा का जिक्र है, जब जटायू ने रावण को सीता का अपहरण करते देखा तो उसने सीता की रक्षा के लिए रावण से युद्ध किया।'वहीं, महाभारत के सभा पर्व में भी महिलाओं की गरिमा के संदर्भ में न्याय मांगने का उल्लेख है, जब रानी द्रौपदी ने कुरु राजसभा में दुशासन द्वारा उसे खींचने और उसके साथ किए दु‌र्व्यवहार के संबंध में न्याय की अपील की थी'

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     महत्वपूर्ण टिप्पणियां

    यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए महिला का दंडित नहीं किया जा सकता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन की गारंटी के रूप में जीवन के अधिकार और महिला की गरिमा की हर कीमत पर रक्षा करने का प्रविधान है।

    रमानी की दलील

    अदालत ने फैसला देने के पीछे रमानी की उस दलील का जिक्र किया है, जिसमें रमानी ने कहा था कि घटना होने के दौरान कार्यस्थल पर हुए यौन उत्पीड़न के संबंध में कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके अलावा अकबर की ताकत और पद को देखते हुए शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। रमानी ने दलील दी है कि अकबर के खिलाफ कई सहयोगी महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, लेकिन अकबर ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया।

    घटनाक्रम

    8 अक्टूबर, 2018 - रमानी ने 'टू द हार्वे वाइंस्टीन ऑफ द व‌र्ल्ड' शीर्षक से लिखे एक लेख के साथ एक ट्वीट में अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाया।

    15 अक्टूबर, 2018 - अकबर ने रमानी के खिलाफ मानहानि मामला दायर किया।

    17 अक्टूबर, 2018 - अकबर ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया।

    29 जनवरी, 2019- अदालत ने रमानी को आरोपित के तौर पर समन जारी किया।

    25 फरवरी, 2019 - अदालत ने रमानी को जमानत दी

    7 फरवरी 2020- अदालत ने मामले में अंतिम सुनवाई शुरू की।

    19 सितंबर, 2020 - मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने मामले को स्थानांतरित करने की मांग की।

    18 नवंबर, 2020 - मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश का तबादला।

    21 नंवबर, 2020 - नए न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई शुरू की।

    1 फरवरी, 2021 - अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा।

    10 फरवरी - देरी से लिखित बयान देने के कारण फैसला। 17 फरवरी के लिए टला।

    17 फरवरी - अकबर की तरफ से दायर मानहानि मामला खारिज कर अदालत ने रमानी को बरी किया